RBI MPC : हाथी चला जंगल की ओर…गवर्नर शक्तिकांत दास ने…- भारत संपर्क

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RBI MPC : हाथी चला जंगल की ओर…गवर्नर शक्तिकांत दास ने…- भारत संपर्क
RBI MPC : हाथी चला जंगल की ओर...गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्यों कही ये बात?

हाथी कैसे पहुंचा जंगल, समझें यहां Image Credit source: TV9 Graphics

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को जब मौद्रिक नीति पेश की, तब उनकी एक बात ने सबका ध्यान खींचा. महंगाई कंट्रोल करने की जब बात आई, तब उन्होंने कहा कि ‘हाथी घर आया था, अब वह जंगल लौट चुका है और उसे अब वहीं रहना चाहिए. आखिर उनकी इस बात के मायने क्या हैं? चलिए समझते हैं…

दरअसल, मौद्रिक नीति का पूरा गणित ही महंगाई कंट्रोल करने का है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को देश में महंगाई दर 4 प्रतिशत के आसपास बनाकर रखने का मेंडेट दिया गया है. इसमें 2 प्रतिशत के उतार-चढ़ाव की छूट है. ऐसे में मौद्रिक नीति के माध्यम से आरबीआई इकोनॉमी में कैश फ्लो को मेंटेन करने का काम करता है, जो महंगाई को नीचे लाने में मददगार होता है. इसलिए आरबीआई ने लगातार 7वीं बार भी महंगाई दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को ‘हाथी’ क्यों कहा, इसकी गवाही आंकड़े देते हैं.

‘हाथी’ बन चुकी थी देश में महंगाई

अगर आपको आरबीआई गवर्नर की बात को समझना है तो आपको 2 साल पहले के आंकड़े देखने होंगे. देश में कोविड के बाद 2021 के अंत में महंगाई बढ़ना शुरू हुई, जो लगातार बढ़ती गई. अप्रैल 2022 में ये 7 प्रतिशत के पास पहुंच गई और अक्टूबर तक आते-आते इसने लगभग 7.5 प्रतिशत का रास्ता पकड़ लिया.

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हालांकि इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हुई, लेकिन अगस्त 2023 में एक बार फिर इसने 7 प्रतिशत के स्तर को पार कर लिया. मौजूदा समय में भी देश की महंगाई दर 5 प्रतिशत के स्तर से ऊपर है, यानी ये अब भी आरबीआई के 4 प्रतिशत के मेंडेट पर नहीं आई है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई की तुलना ‘हाथी’ से इसलिए की, क्योंकि इसको मैनेज करने में आरबीआई की बहुत मेहनत लगी है और अब जाकर ये पिछले कुछ महीनों में 6 प्रतिशत से नीचे पर बनी हुई है. इसलिए शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई नीचे आई है ( हाथी जंगल लौट चुका है ), इसे आगे भी बने रहना चाहिए (हाथी को जंगल में ही रहना चाहिए).

आखिर कैसे मैनेज हुई महंगाई ?

अगर आरबीआई की कोशिशों को देखा जाए, तो महंगाई का स्तर बढ़ने के साथ ही आरबीआई ने मौद्रिक नीति के माध्यम से इसे नीचे लाने के उपाय करने शुरू कर दिए थे. 2022 की शुरुआत में देश के अंदर रेपो रेट 4 प्रतिशत के आसपास बना हुआ था, जिसमें लंबे समय से बदलाव नहीं हुआ था, लेकिन जैसे महंगाई बढ़ने लगी आरबीआई की रेपो रेट पर इसका असर दिखने लगा.

आरबीआई ने मई 2022 में इमरजेंसी मीटिंग के बाद रेपो रेट को बढ़ाने का ऐलान किया और इसे 4.40 प्रतिशत कर दिया. इसके बाद ये फरवरी 2023 तक लगातार बढ़ा और 6.50 प्रतिशत पर पहुंच गया. इसके बाद भी आरबीआई ने इसे नीचे लाने का काम नहीं किया, बल्कि शुक्रवार को पेश हुई मौद्रिक नीति में लगातार सातवीं बार इसे 6.50 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है.

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