धार लोकसभा: यहां बदलता रहता है जनता का मूड, कोई पार्टी नहीं बना पाई अपना गढ… – भारत संपर्क

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धार लोकसभा: यहां बदलता रहता है जनता का मूड, कोई पार्टी नहीं बना पाई अपना गढ… – भारत संपर्क

मध्य प्रदेश के इंदौर से सटी हुई धार लोकसभा सीट उन सीटों में से एक है जो कि किसी पार्टी का गढ़ नहीं है, बल्कि यहां की जनता बारी-बारी दोनों पार्टियों को काम करने का मौका देती है. यह लोकसभा सीट सबसे पहले 1962 में अस्तित्व में आई थी, जहां पर अभी तक किसी एक पार्टी ने अपना गढ़ नहीं बना पाया है. विंध्याचल पहाड़ियों और नर्मदा के घाटों के बीच बसे इस शहर का ऐतिहासिक महत्व भी है. यहां पर परमार राजाओं का शासन था, उस वक्त की कई किले, बावड़ियां और तालाब आदि अभी भी मौजूद हैं. यहां राजा भोज ने भी मां सरस्वती की पूजा के लिए भोजशाला का निर्माण करवाया था. जो कि आज भी मौजूद हैं और प्रत्येक बसंत पंचमी के दिन यहां भव्य पूजन का आयोजन किया जाता है.
भोजशाला यहां पर धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. यह शिक्षा की देवी मां सरस्वती के लिए समर्पित है. परमार राजा भोज पर ही इस जगह का नाम भोजशाला पड़ा है. बताया जाता है कि मालवा क्षेत्र के शासकों ने धार को राजधानी बनाया था. उस वक्त से ही इस शहर की अलग ही साख बनी हुई है. इसके अलावा यहां पर धार का किला भी दर्शनीय स्थल हैं जो कि अपने अंदर कई ऐतिहासिक स्मृतियों को सहेजे हुए है. यह लाल पत्थर से बना है और अफगान, हिंदू और मुगल वास्तुकला का मिश्रण है. इसके अलावा मांडू के महल भी पूरे देश में विख्यात हैं. मांडू को जॉय सिटी नाम से भी जाना जाता है.
इनके स्थानों के अलावा धार्मिक महत्व वाले भी कई दर्शनीय स्थल यहां पर मौजूद हैं. जिनमें सिद्धिविनायक बड़ा गणपति मंदिर जो कि नौगांव में है, मां गढ़कालिका मंदिर, मानतंगगिरी दिगंबर जैन मंदिर, भक्तांबर आदिनाथ श्वेतांबर जैन तीर्थ, काल भैरव मंदिर, कुंदनपुर अमझेरा का अमका झमका मंदिर शामिल हैं. जैन श्रद्धालु भी धार में इन विश्व विख्यात मंदिरों के दर्शन करने के लिए हर साल आते हैं. इनके अलावा मान नदी पर बन रहा मान बांध, चंद्रशेखर आजाद बांध परियोजनाएं भी दर्शनीय हैं.
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राजनीतिक ताना-बाना
धार लोकसभा की बात की जाए तो इसे धार जिले के साथ इंदौर जिले के कुछ हिस्से को मिलाकर बनाया गया है. इसमें धार जिले की सरदारपुर, गंधवानी, कुच्क्षी, मनावर, धरमपुरी, धार, बदनावर और इंदौर जिले की महू यानी डॉ. अंबेडकर नगर को शामिल किया गया है. इन सभी विधानसभाओं में से सिर्फ तीन पर बीजेपी काबिज है वहीं 5 पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. अगर लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो यहां पर 1962 से ही पहले चार चुनावों तक भारतीय जन संघ और जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी. इसके बाद अगले चार चुनावों तक कांग्रेस को जीत मिली. इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस की बारी एक-एक दो-दो चुनावों के लिए चलती रही. वर्तमान में यहां से 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर छत्तर सिंह दरबार सांसद हैं.
पिछले चुनाव में क्या रहा?
2019 के लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो यहां पर बीजेपी ने छत्तर सिंह दरबार को टिकट दिया था. वहीं कांग्रेस ने उनके सामने प्रतिद्वंद्वी के रूप में गिरवाल दिनेश को मैदान में उतारा. जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो इसमें बीजेपी के उम्मीदवार छत्तर सिंह दरबार को 722,147 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के गिरवाल दिनेश को 5,66,118 वोट मिले. यानी कि छत्तर सिंह ने 1,56,029 वोटों से गिरवाल दिनेश को करारी शिकस्त दी.

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