मालदीव पर भारत ने बदली अपनी चाल, चीन का क्यों हुआ बुरा हाल?…- भारत संपर्क

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मालदीव पर भारत ने बदली अपनी चाल, चीन का क्यों हुआ बुरा हाल?…- भारत संपर्क
मालदीव पर भारत ने बदली अपनी चाल, चीन का क्यों हुआ बुरा हाल?

भारत सरकार ने मालदीव भेजे वाले कई सामन से प्रतिबंध हटा दिया है.

भारत और मालदीव के रिश्तों में किस तरह से खटाई पड़ी और उसके बाद चीन ने इसका किस तरह से फायदा उठाने की कोशिश की. ये बात पूरी दुनिया जानती है. अब भारत ने मालदीव अपनी चाल को बदल दिया है. देश की मोदी सत्ता ने एक पांसा फेंका है. जिससे मालदीव की तो बोलती बंद हो ही गई है. वहीं दूसरी ओर चीन भी पूरी तरह से सकपका गया है. वास्तव में भारत ने रिश्तों में खटास आने के बाद जिन सामानों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है. इससे पहले मालदीव में नई सरकार के बाद इंडिया आउट के नारे लगने शुरू हो गए थे. जबकि मालदीव के लिए भारत टूरिज्म के लिहाज से सबसे बड़ा रेवेन्यू सोर्स है. कई भारतीय टूरिस्ट मालदीव जाते हैं. जिसके बाद चीन ने मालदीव के साथ दोस्ती की आड़ में इस माहौल का फायदा उठाने की कोशिश की.

जारी हुआ नोटिफिकेशन

भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी और दाल जैसी कुछ वस्तुओं की स्पेसिफिक मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंध शुक्रवार को हटा दिया. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत मालदीव को इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी गई है. डीजीएफटी ने कहा कि मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी, दाल, बजरी और नदी की रेत के निर्यात की अनुमति दी गई है. मालदीव को इन वस्तुओं के निर्यात को किसी भी मौजूदा या भावी प्रतिबंधों से छूट दी जाएगी. आमतौर पर इन वस्तुओं के निर्यात पर या तो पूरी तरह प्रतिबंध है या सीमित निर्यात की अनुमति दी जाती है. निर्यात के लिए निर्दिष्ट मात्रा में आलू (21,513.08 टन), प्याज (35,749.13 टन), चावल (1,24,218.36 टन), गेहूं का आटा (1,09,162.96 टन), चीनी (64,494.33 टन), दाल (224.48 टन), बजरी (10 लाख टन) और नदी की रेत (10 लाख टन) शामिल है.

भारत-मालदीव रिश्तों में खटास

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू को चीन का बड़ा सपोर्टर माना जाता है. जब मुइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने चीन के साथ सैन्य समझौता तक कर दिया. जिसके तहत मालदीव के द्वीप पर चीन को मिलिट्री इंफ्रा खड़ा करने की छूट मिल गई. वहीं दूसरी ओर चीन मालदीव को भारत के खिलाफ भड़काता रहा है. ताकि भारत के चीन की पहुंच बढ़ जाए. जिसे भारत की सरकार भी बिल्कुल भी नहीं चाहती है. यहीं वजह है कि भारत के मालदीव के स्ट्रैटिजिकली मालदीव के साथ रिश्तों को मधुर करना काफी जरूरी है. प्रतिबंधों को हटाने के साथ डीजीएफटी ने कहा कि सरकार ने ये प्रतिबंध दोनों देशों के व्यापारिक समझौतों को देखते हुए लिया है.

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मालदीव हैरान, चीन परेशान

भारत सरकार के इस फैसले से जहां एक ओर मालदीव हैरान है, वहीं दूसरी ओर चीन काफी परेशान हो गया है. सरकार का यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब मालदीव ने भारत के खिलाफ कई फैसले लिए हैं. लेकिन भारत ने सख्त रवैया छोड़ते हुए मालदीव को राहत दी है. इससे दोनों देशों के बीच की खटास को कम करने में मदद मिलेगी. वहीं दूसरी ओर चीन की हालत इसलिए खराब है कि कहीं भारत अपनी रणनीतियों से मालदीव के दरवाजें दोबारा से अपने लिए खुलवा दे. कहीं ऐसा हुआ तो चीन की मालदीव में आने की पूरी प्लानिंग फेल हो जाएगी.

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