बिलासपुर का छठ घाट तिराहा बना लुटेरों का स्वर्ग, रात में…- भारत संपर्क

शहर से जुड़ जाने और पुल बन जाने से मोपका और राजकिशोर नगर का क्षेत्र भले ही तोरवा से जुड़ चुका है लेकिन रात होते ही यह इलाका बेहद खतरनाक हो जाता है। आज भी आसपास बसाहट ना होने से राजकिशोर नगर और मोपका को तोरवा से जोड़ने वाले छठ घाट पल के पास से रात को गुजरना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। रेलवे रनिंग स्टाफ अक्सर नाइट ड्यूटी में यहां से जाने को विवश होते हैं। पहले भी कई बार उन्हें लूटपाट का शिकार होना पड़ा है। एक बार फिर से इस तरह की सिलसिलेवार घटनाओं से आक्रोशित रेलवे रनिंग स्टाफ लोको पायलेट्स ने सरकंडा थाने का घेराव कर दिया, जिन्होंने बताया कि राजकिशोर नगर और मोपका की ओर से छठ घाट जाने व
वाली सड़क लूटपाट का अड्डा बन चुका है। देर रात यहां लुटेरे सक्रिय रहते हैं जो लोको पायलेटस को निशाना बना रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर ही यहां दो लोको पायलट लूट का शिकार हो गए । 5 अप्रैल को मोपका में रहने वाले महेश वर्मा रात करीब 3:00 बजे घर से ड्यूटी जाने निकले थे। जैसे ही वे रवी रिजॉर्ट और छठ घाट के पास तिराहा के करीब पहुंचे तो वहीं पीछे से दो बाइक सवार लुटेरे उनके पीछे लग गए , जिन्होंने चलती बाइक से चाबी निकाल लिया और फिर चाकू अड़ाकर महेश वर्मा के पास मौजूद 770 रुपए और उनका मोबाइल लूट लिया। लेकिन इतने भर से उनका मन नहीं भरा तो दुस्साहस की सीमा पार करते हुए उन्होंने महेश वर्मा से उनके मोबाइल से ₹50,000 ऑनलाइन ट्रांसफर करवा लिया।

इससे पहले 31 मार्च को मोपका निवासी गोविंद राव भी लुटेरों का शिकार हो चुके हैं। उन्हें भी छठ घाट तिराहे में रोक कर लाठी डंडा से पीटा गया ,फिर उनके जेब में मौजूद 150 रुपए लूट लिए। इतने से भला लुटेरे कब मानने वाले थे। उन्होंने गोविंद राव के मोबाइल से कियूआर कोड के जरिए ₹3000 ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करवा लिए। जान की डर से इन दोनों ने लुटेरों की हर बात मानी। इधर बार-बार शिकायत के बावजूद भी सरकंडा पुलिस इसे लेकर गंभीर नहीं है। जिसके बाद रेलवे लोको पायलट ने थाने का घेराव कर दिया। बताया गया कि क्षेत्र का आदतन बदमाश राहुल वर्मा और उसका साथी शिवम अडोलिया ने इस लूटपाट की घटना को अंजाम दिया है, लेकिन पुलिस जांच में यह भी पता चला कि आबकारी के मामले में राहुल वर्मा और आर्म्स एक्ट के मामले में शिवम पहले शिवम जेल में बंद है। पुलिस उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की बात कह रही है।
यह पूरा क्षेत्र रात में सुनसान होने की वजह से लुटेरों के लिए स्वर्ग बन चुका है। इसी वजह से यहां पुलिस चौकी भी खोली गई थी, लेकिन समय के साथ उसे बंद कर दिया गया। छठ घाट पुल के उस पार बसाहट है लेकिन ब्रिज से लेकर छठ घाट, बिलासा उपवन, ट्रांसिट और बाकी पूरा क्षेत्र रात में एकदम सुनसान हो जाता है, इसलिए लुटेरे यहां लूटपाट की घटना को अंजाम देते हैं ।अक्सर रेल कर्मियों को या फिर रात में ट्रेन पकड़ने वालों को मजबूरन यहां से गुजरना पड़ता है ,जो इन लोगों के लूटपाट का शिकार हो रहे हैं। जाहिर सी बात है जिस तरह से लुटेरे राहगीरों के मोबाइल के जरिए अपने खाते में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करवा रहे हैं इससे उनकी साफ पहचान हो रही है और पुलिस के लिए यह पता करना जरा की मुश्किल नहीं है कि लुटेरे कौन है। पुलिस को भी चाहिए की बार-बार इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले लुटेरे का एक बार एनकाउंटर करें, ताकि उन्हें भी समझ में आए कि बिलासपुर में जंगल राज नहीं चल रहा है।