अंडर ग्राउंड माइंस ने बढ़ाई एसईसीएल प्रबंधन की टेंशन  – भारत संपर्क

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अंडर ग्राउंड माइंस ने बढ़ाई एसईसीएल प्रबंधन की टेंशन

खर्च ज्यादा कमाई कम, गत वित्तीय वर्ष में नहीं हुआ ग्रोथ

कोरबा। एसईसीएल ने हाल में बीते वित्तीय वर्ष में दमदार प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन में कंपनी के ओपन कास्ट परियोजनाओं की अहम भूमिका रही है। दूसरी ओर भूमिगत खदानों से कोयला खनन का जो आंकड़ा बाहर आया है वह कंपनी की टेंशन बढ़ा रहा है। कोयला कंपनी के लिए अंडरग्राउंड खदानों का संचालन घाटे का सौदा हो रहा है। इन खदानों से उत्पादन लगातार गिर रहा है और यहां काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन समय के साथ बढ़ रहा है। इस स्थिति में कंपनी के लिए अंडरग्राउंड खदानों से कोयला निकालकर बाजार में बेचना और इससे संबंधित खदानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए वेतन भुगतान करना मुश्किल है। इससे कंपनी की चिंता बढ़ती जा रही है।

हालात ऐसे ही रहे तो कंपनी इन खदानों के संचालन को लेकर नए सिरे से विचार कर सकती है। गौरतलब है कि कोरबा जिले में कोरबा एरिया के अंतर्गत सात अंडरग्राउंड खदानों का संचालन किया जा रहा है। इन खदानों में कुछ की स्थिति तो इतनी खराब है कि यहां से लक्ष्य का आधा कोयला खनन भी नहीं हो पा रहा है और इन खदानों को चालू रखना कंपनी के लिए घाटे का सौदा बन रहा है।अभी तक अंडरग्राउंड खदानों को लाभ में लाने के लिए कंपनी की ओर से किये जा रहे सभी प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। सारे प्रयास खदान के भीतर दबते चले जा रहे हैं। अब कंपनी को कंटीन्यूअस कोल कटर माइनर मशीन से ही उम्मीद है। इसे प्रबंधन आने वाले दिनों में कोयला खदानों में उतारने की तैयारी कर रहा है। लेकिन प्रबंधन यदि इस मशीन को उतारता है तो इसका सीधा असर खदान में काम करने वाले नियमित कर्मचारियों पर पड़ेगा। अंडरग्राउंड खदानों से हटाकर उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार कंपनी दूसरे खदानों में शिफ्ट करेगी। कोरबा एरिया के अंतर्गत ढेलवाडीह को छोडक़र ऐसी कोई खदान नहीं है जिसने वित्तीय वर्ष 2023-24 में अपने उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त किया हो। खदानों के घाटे का असर इन क्षेत्रों में स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है, यहां कंपनी सुविधाएं घटा रही है। रजगामार, सुराकछार की तो हालत खराब है ही, बल्गी भी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर रही है। इससे कंपनी की चिंता बढ़ रही है। बल्गी खदान से प्रबंधन ने 80 हजार टन कोयला खनन का लक्ष्य रखा था जबकि 15 हजार टन ही कोयला खनन किया जा सका। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 46 हजार टन लिया गया गया था। सिंघाली और ढेलवाडीह की भी हालात दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। नेगेटिव ग्रोथ के मामले में सुराकछार मेन माइंस की स्थिति भी बेहद खराब है। समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में खदान से 37.28 फीसदी नेगेटिव ग्रोथ दर्ज किया गया है। मेन माइंस से 50 हजार टन कोयला बाहर निकालने का इरादा था लेकिन 18 हजार टन ही कोयला बाहर निकल सका, जो वित्तीय वर्ष 22-23 की तुलना में 37.28 फीसदी कम है। इस नेगेटिव ग्रोथ ने चिंता बढ़ा दी है।कोरबा एरिया के तहत संचालित रजगामार खदान में सबसे अधिक नेगेटिव ग्रोथ वित्तीय वर्ष 2023-24 में दर्ज किया गया है। इस खदान से कंपनी ने 1 लाख 50 हजार टन कोयला बाहर में लाने की योजना बनाई थी लेकिन खदान से 8 हजार 3 टन ही कोयला बाहर निकल सका। यह खदान वित्तीय वर्ष 22-23 की तुलना में 23-24 में 75.15 फीसदी नेगेटिव ग्रोथ में रही है।

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