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ब्रेकिंग न्यूज़…..पूर्व कलेक्टर ने एक स्कूल में टॉयलेट बनाने के लिए 44 लाख रुपये से अधिक का दिए राशि, संयोग कहें या प्रयोग, जांच की विषय
कोरबा। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न खाउंगा न खाने दूंगा के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर कोरबा में सिर्फ खाउंगा के फार्मूले पर काम हो रहा है। चर्चित पूर्व कलेक्टर का एक नया कारनामा कुछ इस ओर ही इशारा कर रही है। पूर्व कलेक्टर के आदेश पर रंजना स्कूल में टॉयलेट बनाने सीएसआर मद के अंतर्गत स्वीकृति की प्रत्याशा में 44 लाख 80 हजार रूपये जारी किए गए हैं। हैरानी तो इस बात की है कि प्रधानमंत्री ने गरीबों को टॉयलेट बनवाने 12 हजार और पीएम आवास के लिए 1 लाख 20 हजार का निर्धारण किया है, वहीं दूसरी ओर स्कूल के टॉयलेट निर्माण के किए कई गुना अधिक राशि जारी की गई है । इसे पूर्व कलेक्टर का प्रयोग या संयोग कहें यह जांच का विषय बना हुआ है।स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट हिंदी विद्यालय रंजना में टॉयलेट निर्माण के लिए एसईसीएल गेवरा के सीएसआर मद से 44 लाख 80 हजार रूपये की तकनीकी व प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कोरबा द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। एक स्कूल के टॉयलेट के लिए 44 लाख 80 हजार रूपये दिए गए हैं, जबकि इतनी राशि में तो स्कूल भवन ही बनकर तैयार हो जाते हैं। शायद पूर्व कलेक्टर ने स्कूल में ऐसा टॉयलेट बनवाया है, जो विश्व का 8वां अजूबा हो सकता है। आपको जानकर इस बात की हैरानी होगा कि प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवाने प्रति परिवार 12 हजार रूपये की राशि निर्धारित की है यानि एक परिवार का टॉयलेट 12 हजार रूपये में बनकर तैयार हो जाता है। वहीं प्रधानमंत्री आवास के लिए गरीबों को 1 लाख 20 हजार रूपये की राशि जारी की जाती है। वहीं आईएएस दर्जे के अफसर ने महज स्कूल में टॉयलेट निर्माण के नाम पर 44 लाख 80 हजार रूपये की स्वीकृति दी है, जो कि एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रही है, जांच होगी तो पूर्व कलेक्टर के आलीशान टॉयलेट के भ्रष्टाचार की ईंटे निकलने लगेंगी। सीएसआर और डीएमएफ मद में जमकर भ्रष्टाचार पूर्व कलेक्टर ने किया है। रंजना स्कूल में 44 लाख 80 हजार का टॉयलेट निर्माण भ्रष्टाचार का एक नमूना है। सीएसआर मद का उपयोग जिले के विकास कार्यों में किया जाना है, लेकिन जिले में भ्रष्टाचार के नाम पर चर्चित रहने वाले पूर्व कलेक्टर ने स्कूलों के नाम पर 100 करोड़ से अधिक की राशि का भ्रष्टाचार कर लिया है। खास बात तो यह है कि भ्रष्टाचार से जुड़े इन कार्यों की फाईल भी समग्र शिक्षा विभाग कार्यालय से चोरी हो चुकी है। यह बताना जरूरी है कि पूर्व डीएमसी संजय सिंह से पूरा मामला जुड़ा हुआ है। कांग्रेस शासनकाल में हुए इस भ्रष्टाचार के भाजपा की सत्ता में जांच की उम्मीद थी, लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि पूर्व कलेक्टर पर जांच की बजाए उन्हें बड़ा पद देकर उपकृत कर दिया गया है। जबकि पूर्व में भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकी राम कंवर ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत कर चुके हैं।
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महंत मान चुके हैं अधिकारी-कर्मचारी स्तर पर हुआ है भ्रष्टाचार
प्रेस क्लब तिलक भवन में कांग्रेस के न्याय पत्र, घोषणा पत्र के संबंध में पत्रकारवार्ता के लिए डॉ.चरणदास महंत पहुंचे थे। यहां उनसे पीसी के उपरांत मीडिया ने सवाल किया कि ज्योत्सना महंत डीएमएफ शासी परिषद में सदस्य हैं। विरोधी कह रहे है कि जब भ्रष्टाचार हुआ तो उन्हें बैठक से उठकर चले जाना था या विरोध करना था, इसके जवाब में डॉ.महंत ने सीधा जवाब दिया था कि डीएमएफ में भ्रष्टाचार शासन स्तर पर नहीं हुआ है। बल्कि प्रशासन स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है। इससे साफ है कि जिले में भ्रष्टाचार में अधिकारी स्तर की भूमिका रही है। डॉ महंत का यह बयान भी शायद पूर्व कलेक्टर की अनियमितताओं की ओर ही इशारा कर रही है।