दुनिया भर में विरोध, फिर भी IDF से क्यों जुड़ना चाहते हैं इजराइल के अरबी मुस्लिम |… – भारत संपर्क


इजराइल के अरबी मुसलमान आईडीएफ से लगातार जुड़ रहे हैं.
गाजा में ईद पर जो हालात हैं, उसे देखकर दुनिया भर में इजराइल का विरोध हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार इजराइल से युद्ध रोकने की अपील कर रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और नीदरलैंड के साथ मुस्लिम देश भी इजराइल की इस कार्रवाई के विरोध में हैं. मगर इजराइल में रह रहे अरबी मुस्लिम ऐसा नहीं मानते. दुनिया भर में विरोध के बीच इजराइल में रहने वाले मुस्लिम IDF से जुड़ना चाहते हैं.
इजराइल में सभी नागरिकों के लिए 2 वर्ष तक सेना में रहना अनिवार्य है, लेकिन इजराइल में रहने वाले अरबी मुसलमानों को इस नियम में छूट दी गई थी. यानी कि इनके लिए सेना में सेवा करना अनिवार्य नहीं है. इसके बावजूद आईडीएफ में सेवा देने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. कोरोना के बाद से इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. खास तौर से हमास युद्ध के समय भी इसमें कोई गिरावट नहीं आई है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दिया इजराइल को झटका
गाजा में इजराइल की कार्रवाई के छह माह पूरे होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्ध को समाप्त करने के लिए इजराइल के पीएम नेतन्याहू पर दबाव डाल रहे हैं. कई देशों में इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. अमेरिका में इजराइल की पॉजिटिव रेटिंग 68 प्रतिशत से घटकर 58 प्रतिशत हो चुकी है जो पिछले दो दशकों में सबसे कम रेटिंग है. इसी तरह अरब देशों में भी इजराइल की प्रतिष्ठा गिर गई है. RT की एक रिपोर्ट के मुताबिक मिडिल ईस्ट के 89 प्रतिशत देशों ने गाजा पर लगातार हो रहे हमलों की वजह से इजराइल के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने का विचार खारिज कर दिया है.
ऐसा नहीं सोचते इजराइल के अरबी मुसलमान
खास बात ये है कि इजराइल की अरब आबादी ऐसा नहीं सोचती. हमास के इजराइल पर हमले के बाद नवंबर 2023 में देश में कराए गए एक सर्वे में सामने आया कि 70 प्रतिशत इजराइली मुस्लिम देश से जुड़ाव महसूस करते हैं, जबकि इससे पहले जब जून में यह सर्वे कराया गया था तो 48 प्रतिशत ही इजराइली मुस्लिम देश के साथ खड़े नजर आए थे.
20 प्रतिशत हैं अरबी मुस्लिम
इजराइल में अरबी मुसलमानों की संख्या कुल आबादी की तकरीबन 20 प्रतिशत है. ये अरबी मुसलमान लगातार आईडीएफ से जुड़ना चाहते हैं, हालांकि RT की रिपोर्ट के मुताबिक हाल के वर्षों में आईडीएफ यानी इजराइली डिफेंस फोर्स से जुड़ने वालों की तादाद बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक 2018 और 2019 में क्रमश: 436 और 489 मुस्लिम अरबों ने आईडीएफ को चुना. 2020 में 600 और 2021 से यह संख्या एक हजार पार कर गई. अब गाजा युद्ध में इनकी संख्या और बढ़ गई है.
यह है अरबी मुसलमानों का मानना
इजराइल की डिफेंस फोर्स से जुड़ने वाले अरबी मुसलमानों का मानना है कि यह हमारे देश की सेना है, इसे आईडीएफ कहा जाता है न कि जेडीएफ यानी यहूही रक्षा बल. यह सेना यहूदियों के साथ अरबों की भी समान रूप से रक्षा करती है. रशियन न्यूज वेबसाइट आरटी ने ऐसे ही युवक हदाद से बातचीत की है. वर्दी वाले दिनों को याद कर वह कहते हैं कि फिलिस्तीनी मुद्दे की उपेक्षा करने के लिए कई बार उन्हें गद्दार तक कहा गया, लेकिन ऐसे लोग उनका संकल्प नहीं तोड़ पाए. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार से ऐसा करने वाले पहले शख्स थे, लेकिन उसके बाद परिवार के कई लोगों ने IDF में दिलचस्पी दिखाई.