एजुकेशन लोन, जिसे देने से बचते हैं बैंक…क्या इसे माफ करना संभव है? | can…

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एजुकेशन लोन, जिसे देने से बचते हैं बैंक…क्या इसे माफ करना संभव है? | can…
एजुकेशन लोन, जिसे देने से बचते हैं बैंक...क्या इसे माफ करना संभव है?

एजुकेशन लोन माफ करना कितना आसान?

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जब अपना घोषणा पत्र जारी किया तो उसके पिटारे से एक ऐसा वादा निकला जो देश की बड़ी आबादी को टारगेट करता है. कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में दावा किया कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह 15 मार्च 2024 तक के सारे एजुकेशन लोन को ब्याज सहित माफ कर देगी. बड़ा सवाल यह है कि क्या यह संभव है, देश की आर्थिक हालत पर इससे क्या असर पड़ेगा, साथ ही किन छात्रों को इससे होगा फायदा? ये कुछ बड़े सवाल हैं.

क्या होता है एजुकेशन लोन?

एजुकेशन लोन वह माध्यम है जिसकी मदद से छात्रों को पढ़ाई में आर्थिक मदद मिलती है. बदलते वक्त के साथ पढ़ाई भी काफी महंगी हुई है. कोई भी प्रोफेशनल कोर्स करना हो या विदेश में पढ़ाई, सबके लिए जरूरत होती है मोटी फीस की, जो सबके लिए भरना आसान नहीं होता. ऐसे में आप बैंक से लोन लेकर अपने सपनों को नई उड़ान दे सकते हैं. सरकार से मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट या कॉलेज के लिए एजुकेशन लोन मिलना आसान होता है. भारत में पढ़ाई के लिए 10 लाख तक का लोन मिल सकता है वहीं विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख तक का लोन मिल सकता है. देश में पढ़ाई के लिए 4 लाख रुपये तक के लोन के लिए आपको किसी भी तरह की सिक्योरिटी की जरूरत नहीं पड़ती है, ये आसानी से मिल सकता है. वहीं आप साढ़े 4 लाख से लेकर 6.5 लाख तक लोन लेते हैं तो आपको गारंटर की जरूरत पड़ती है. 7 लाख से ऊपर का लोन लेने के लिए सिक्योरिटी की जरूरत होती है वो चल या अचल संपत्ति हो सकती है. लोन की रिकवरी न होने की सूरत में बैंक इनके जरिए अपनी भरपाई करते हैं. एजुकेशन लोन की रीपेमेंट करने के लिए अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग नियम हैं. कुछ बैंकों में कोर्स खत्म होने के 6 महीने बाद रीपेमेंट शुरू होती है तो वहीं कुछ बैंक अधिक समय देते हैं.

कुल कितना है एजुकेशन लोन

वैसे अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि बैंकों पर एजुकेशन लोन का भार हर साल बढ़ता जा रहा है. RBI की साइट पर जो डाटा उपलब्ध है उसके मुताबिक, फरवरी 2024 तक 1,18,708 करोड़ रुपये एजुकेशन लोन लिया जा चुका है. अब अगर इसे माफ कर दिया जाए तो बैंकों पर इसका क्या असर पड़ेगा. इस बारे में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर विकास कुमार कहते हैं कि ये आसान नहीं है. भारत में बैंकों के व्यवसाय में एजुकेशन लोन का हिस्सा करीब 1 लाख करोड़ रुपए का है, जिसकी ईएमआई सामान्य रूप से कोर्स पूरा होने के बाद या उसके एक साल बाद शुरू होती है ताकि छात्र को पढ़ाई और नौकरी ढूंढने के पर्याप्त अवसर मिल सकें. केंद्र सरकार CSIS के माध्यम से 4.5 लाख से कम आय वाले अभिभावकों के बच्चों को शिक्षा ऋण के ब्याज पर सब्सिडी भी देती है, इसके अलावा भी कई योजनाएं चलाती है. इसके बाद भी बैंकों के एजुकेशन लोन की डिफॉल्टर दर करीब 8 फीसदी है.

education loan waive off

एजुकेशन लोन से छात्रों को मिलती है मदद

क्या एजुकेशन लोन माफ करना आसान है?

इस सवाल पर अर्थशास्त्री ज्योति ग्रोवर कहती हैं कि इतने सारे लोगों के लोन हैं कि अगर सब माफ करने लगे तो फंड कहां से आएगा. अगर लोन माफ भी कर दिया जाए तो किसी न किसी तरह से टैक्स के रूप में सरकार हम पर ही बोझ डालेगी. आखिर कहां से फंडिंग होगी, कितना बजट होगा, ये सारी डिटेल तो उनके घोषणा पत्र में है ही नहीं. वैसे भी एजुकेशन लोन माफ करने का कोई मतलब नहीं होगा. अगर माफ ही करना है तो किसी खास कैटेगरी के लिए किया जाए, लेकिन सबका लोन माफ करने का कोई सेंस नहीं बनता है.

लोन माफी से बैंकों पर क्या असर?

अगर लोन माफ कर दिया जाए तो सरकारी खजाने पर कितना असर पड़ेगा, इस सवाल पर विकास कुमार कहते हैं- ऋण माफ होने की स्थिति में सरकारी खजाने को न सिर्फ 1 लाख करोड़ की चपत लगेगी, बल्कि किसी भी प्रकार की ऋण माफी की तरह ये भी अर्थव्यस्था के लिए नुकसानदेह ही होगी. भारत में जब-जब लोन माफी हुई है, बैंकों पर आर्थिक बोझ काफी बढ़ा है. ऋण माफी तत्काल नुकसान के साथ-साथ भविष्य में भी बैंकों और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती है. इससे लोन लेकर न चुकाने की एक गलत परंपरा बनती है और उन लोगों पर बुरा असर पड़ता है, जो अनुशासित होकर वक्त पर अपना लोन भरते हैं. बैंकों की लचर हालत इधर हाल के सालों में धीरे-धीरे पटरी पर लौटती नजर आई है, मगर ऋण माफी जैसे प्रलोभन इसे वापस उन हालात में धकेल सकते हैं.

भरपाई टैक्स पेयर से होगी

अर्थशास्त्री आलोक पुराणिक कहते हैं- एजुकेशन लोन सरकारी बैंक और प्राइवेट बैंक दोनों ने दिए हैं. प्राइवेट बैंकों का लोन माफ करने की शक्ति सरकार के हाथ में नहीं है, ऐसे लोन को सरकार माफ नहीं कर सकती. वहीं सरकारी बैंकों की हालत भी इतनी अच्छी नहीं है कि लोन माफ कर सकें. अगर सरकार चाहे तो बैंकों को कह सकती है कि आप लोन माफ कर दीजिए हम आपकी भरपाई कर देंगे. वो भरपाई टैक्स पेयर से ही की जाएगी. दूसरा तरीका ये भी है कि सरकार बैंकों को लोन माफ करने के लिए कहे और उसे घाटा खाते में डाल दिया जाए. कुल मिलाकर या तो बैंकों को चोट सहनी पड़ेगी या टैक्स पेयर को.

एजुकेशन लोन

विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लेते हैं ज्यादातर छात्र

विदेश में पढ़ाई के लिए लोन का ट्रेंड बढ़ा

2023 में एजुकेशन लोन लेने वालों में विदेश जाने वाले छात्रों का हिस्सा करीब 65 फीसदी रहा है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत में मौजूद यूएस एंबेसी और कांसुलेट ने अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच सर्वाधिक 1 लाख 40 हज़ार स्टूडेंट वीजा जारी किए. जाहिर है कि इनमें से एक बड़ी संख्या एजुकेशन लोन लेने वालों की है. इस बारे में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर (क्रेडिट एवं एनपीए) मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में विदेश जाकर पढ़ाई करने का चलन तेजी से बढ़ा है. बड़े एजुकेशन लोन लेने वाले ज्यादातार वही छात्र हैं जो विदेश जाकर पढ़ाई कर रहे हैं. विदेश में भी सबसे ज्यादा छात्र अमेरिका जाकर पढ़ाई करने वाले हैं. ऐसे में अगर इन छात्रों का लोन माफ कर दिया जाए और वो विदेश में ही रहकर नौकरी करने लगें तो जाहिर सी बात है नुकसान अपना ही होगा.

हमेशा विवादों में रहा है एजुकेशन लोन

एजुकेशन लोन को लेकर बैंक अक्सर अपने पांव पीछे ही खींचते रहे हैं. साल 2017 से लेकर 2021 का डाटा अगर देखें तो एजुकेशन लोन देने में लगातार गिरावट ही आई है. दरअसल एजुकेशन लोन के एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (जिसकी रिकवरी संभव न हो) में बदलने की दर बाकी लोन के मुकाबले काफी ज्यादा रही है. यही कारण है कि प्राइवेट बैंक एजुकेशन लोन देने में कन्नी काटते रहे हैं. एजुकेशन लोन देने में सबसे बड़ा हिस्सा पब्लिक सेक्टर बैंकों का रहा है, मगर कोरोना काल के बाद अचानक से एजुकेशन लोन बढ़ गया है. जिसका बड़ा कारण एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी) के विदेश में पढ़ने के लिए जाने वाले छात्रों को एजुकेशन लोन देना रहा है.

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एजुकेशन लोन की मदद से छात्रों को पढ़ाई में मदद मिलती है

कैसे करते हैं लोन की रिकवरी

मृत्युंजय कुमार बताते हैं कि एजुकेशन लोन की रिकवरी के लिए आम नियम ही फॉलो किए जाते हैं. लोन का अमाउंट नहीं मिलने पर पहले तो बैंक पेपर भेजकर नोटिस देते हैं, इसके बाद भी अगर वो पैसे नहीं मिलते हैं तो उसके इंम्पलॉयर को लेटर लिखकर शिकायत की जाती है. इसको सॉफ्ट रिकवरी प्रोसेस कहते हैं. अगर उसके बाद भी लोन की रिकवरी नहीं होती तो हम मुकदमा दर्ज करवाते हैं. वहीं कुछ ऐसे केस भी होते हैं, जिनमें हम गारंटी लेते हैं, वो गारंटर बच्चे का कोई भी रिश्तेदार या कोई जान पहचान वाला हो सकता है . लोन नहीं चुकाने पर हम गारंटर को नोटिस देते हैं. इसके बाद भी अगर लोन की रिकवरी नहीं होती है, तो यहां भी मुकदमा दर्ज कराया जाता है. वहीं विदेश में पढ़ाई के लिए दिए जाने वाले लोन के लिए सिक्योरिटी मांगी जाती हैं. एक तो लिक्विड सिक्योरिटी होती है, जिसमें फिक्स डिपॉजिट, एनएसी, किसान विकास पत्र या LIC जैसी चीजें होती हैं, जो उसकी सरेंडर वैल्यू के हिसाब से रख ली जाती हैं. वहीं अचल संपत्ति में प्लॉट या फ्लैट हो सकता है. अगर तय वक्त पर लोन की रकम नहीं लौटाई जाती है, तो बैंक सिक्योरिटी में रखी इन चीजों को बेचकर अपनी रिकवरी कर लेता है.

(साथ में फरीद अली)

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