क्या बंद हो जाएगा मॉरीशस से पैसा आना, फिर शेयर बाजार में…- भारत संपर्क

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क्या बंद हो जाएगा मॉरीशस से पैसा आना, फिर शेयर बाजार में…- भारत संपर्क
क्या बंद हो जाएगा मॉरीशस से पैसा आना, फिर शेयर बाजार में कैसे दिखेगी तेजी?

टैक्स नियम में हुए हैं बदलावImage Credit source: Freepik

भारत में जितना भी विदेशी निवेश आता है, भले वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) हो या पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का निवेश, मॉरीशस इस मामले में हमेशा टॉप पर रहने वाले देशों में से एक है. अगर मॉरीशस से आने वाले इस कैश फ्लो पर खासकर के एफपीआई के इंवेस्टमेंट पर रोक लग जाए, तो देश का शेयर मार्केट कैसे ग्रोथ करेगा? क्या ऐसा होने जा रहा है?

दरअसल भारत और मॉरीशस ने डबल टैक्सेशन से बचाव वाली संधि में संशोधनों के साथ एक नए एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. साथ ही इसमें एक व्यवस्था ‘प्रिंसिपल पर्पज टेस्ट’ (PPT) की गई है, जो यह तय करेगी कि कोई विदेशी निवेशक इस संधि का लाभ उठाने के योग्य है या नहीं? बस इसी प्रावधान से शेयर मार्केट में इंवेस्ट करने वालों की नींद उड़ाई हुई है.

चिंता की वजह क्यों बना है ये कारण ?

इंवेस्टर्स की चिंता है कि पीपीटी के प्रावधान की वजह से मॉरीशस के रास्ते से आने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अब टैक्स ऑफिशियल्स कीअधिक जांच का सामना करना पड़ेगा. वहीं कई ऐसी आशंकाएं भी जताई जा रही हैं कि सरकार इन नए नियमों के दायरे में एफपीआई के पिछले निवेशों को भी ले आएगी. अगर ऐसा होता है, तो संभव है कि एफपीआई निवेशक देश में निवेश करने से हिचकें. इसका सीधा असर शेयर बाजार पर होता है, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई बड़े पैमाने पर निवेश करते हैं.

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आयकर विभाग ने दिया स्पष्टीकरण

हालांकि इन चिंताओं को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि ये चिंताएं फिलहाल समय से पहले उठाई जा रही हैं, क्योंकि अभी इन गाइडलाइंस को आयकर कानून-1961 की धारा 90 के तहत नोटिफाई नहीं किया गया है. जब गाइडलाइंस लागू होंगी, तो जरूरी होने पर आशंकाओं का समाधान किया जाएगा.

क्या होती है डबल टैक्सेशन से बचाव वाली संधि?

भारत और मॉरीशस ने दोहरे टैक्स से बचाव की संधि (डीटीएए) में संशोधन के लिए नियमों और दिशानिर्देश से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. ये संधि दोनों देशों के बीच होने वाले ट्रांजेक्शंस के दौरान दोनों जगहों पर टैक्स लगने से बचाने का काम करती है. इस संधि की वजह से ट्रांजेक्शन पर सिर्फ एक ही जगह का टैक्स एप्लिकेबल होता है.

यह संधि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टैक्स सहयोग मानकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को बताती है. साथ ही यह भारत-मॉरीशस गलियारे का लाभ उठाने वाले निवेशकों के लिए स्थिति पर गौर करने पर भी ध्यान दिलाती है.

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