नवरात्रि की महापंचमी पर माता के स्कंदमाता स्वरूप में की गई…- भारत संपर्क

श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में चैत्र नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।इसी कड़ी में नवरात्रि के पांचवे दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का पूजन श्रृंगार स्कन्दमाता देवी के रूप में किया गया एवं प्रातः कालीन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक नमक चमक विधि के द्वारा किया गया तत्पश्चात रूद्र चण्डी महायज्ञ एवं दुर्गा सप्तशती पाठ देवघर झारखंड से पधारे यज्ञाचार्य गिरधारी वल्लभ झा के नेतृत्व में विद्वानों के द्वारा निरंतर किया जा रहा है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ दिनेश जी महाराज ने बताया कि श्रीमद देवी भागवत महापुराण की कथा अठारह पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम है, जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवों में शंकर, काव्यों में रामायण, प्रकाश स्त्रोतों में सूर्य, शीतलता मे चंद्रमा, कर्मशीलों में पृथ्वी, गंभीरता में सागर और मंत्रों में गायत्री आदि श्रेष्ठ हैं। यह पुराण श्रवण सब प्रकार के कष्टों का निवारण करके आत्मकल्याण करता है। भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।इसकी महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक -आध श्लोक का उच्चारण करने वाला भक्त भी भगवती की कृपा का पात्र बन जाता है।इसका श्रवण अधिक फलदायी है।इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है।सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है, जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, वे एकमात्र भगवती ही हैं।
श्री पीतांबरा पीठ कथा मंडप से कथा व्यास आचार्य श्री मुरारी लाल त्रिपाठी राजपुरोहित कटघोरा ने बताया कि किसप्रकार देवकी और वासुदेव के पूर्व जन्म के पाप के कारण उन्हें जन्म लेना पड़ा और वे किस प्रकार से अपने पूर्व जन्म में मिले हुए श्राप के कारण कारागार में अपने सात पुत्रों को खोकर श्री कृष्ण को प्राप्त किया। व्यास जी किस प्रकार राजा जन्मेजय को माया की प्रबलता को समझते हैं, नर नारायण की मोहनी माया कामदेव को उनके पास भेजना एवं नर नारायण द्वारा किस प्रकार उर्वशी की उत्पत्ति की गई इसका वर्णन देवी भागवत में किया गया।