रूस की मदद से भारत को हुआ 2 लाख करोड़ फायदा, जानिये कैसे |…- भारत संपर्क

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रूस की मदद से भारत को हुआ 2 लाख करोड़ फायदा, जानिये कैसे |…- भारत संपर्क
रूस की मदद से भारत को हुआ 2 लाख करोड़ फायदा, जानिये कैसे

कच्चे तेल पर भारत ने रूस की मदद से पिछले वित्त वर्ष में 2.1 लाख करोड़ रुपए का फायदा हुआ है.

रूस और भारत के बीच संबंध कैसे रहे हैं, इसके बारे में ज्यादा बताने की जरुरत नहीं. जब कच्चे तेल की कीमतें आसमान पर थी और रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए थे तो दोनों ही देशों ने एक दूसरे की काफी मदद की. जिससे भारत को 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा हुआ. वास्तव में ये फायदा सस्ते कच्चे तेल के कारण हुआ. जोकि रूस से भारत को मिला. इसका मतलब है कि भारत क्रूड ऑयल इंपोर्ट बिल में 16 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार की ओर से किस तरह की जानकारी मिली है.

कितनी हुई सेविंग

देश में कच्चे तेल के इंपोर्ट बिल में बीते वित्त वर्ष (2023-24) में 16 फीसदी की गिरावट आई. इसका कारण इंटरनेशनल मार्केट में तेल के दाम में नरमी है. हालांकि, इस दौरान विदेशी सप्लायर्स पर निर्भरता नई ऊंचाई पर पहुंच गई. पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल 2023 से मार्च 2024) में 23.25 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया. कच्चे तेल को प्रोसेस कर पेट्रोल और डीजल बनाया जाता है. आयात की मात्रा पिछले वित्त वर्ष के लगभग बराबर है. लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 में आयात के लिए 132.4 अरब डॉलर का भुगतान किया, जबकि 2022-23 में यह राशि 157.5 अरब डॉलर थी. इसका मतलब है कि सरकार ने क्रूड ऑयल के बिल में 2.1 लाख करोड़ रुपए की सेविंग की है.

एक साल में बढ़ गई निर्भरता

दुनिया के तीसरे सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश के घरेलू उत्पादन में गिरावट आई है. इससे उसकी आयात निर्भरता बढ़ गई है. आधिकारिक आंकड़ों अनुसार, कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता 2023-24 में बढ़कर 87.7 प्रतिशत हो गयी, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 87.4 प्रतिशत थी. घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन 2023-24 में 2.94 करोड़ टन पर लगभग अपरिवर्तित रहा. भारत ने कच्चे तेल के अलावा 4.81 करोड़ टन एलपीजी जैसे पेट्रोलियम उत्पादों का आयात किया. इसपर 23.4 अरब डॉलर खर्च हुए. साथ ही 47.4 अरब डॉलर मूल्य के 6.22 करोड़ टन उत्पादों का निर्यात भी किया गया.

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गैस पर भी हुई बचत

तेल के अलावा, भारत तरल रूप में गैस का भी आयात करता है, जिसे एलएनजी कहा जाता है. मूल्य के स्तर पर 2022-23 के झटके के बाद, 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में 30.91 अरब घनमीटर गैस के आयात की लागत 13.3 अरब डॉलर रही. इसकी तुलना में 2022-23 में 26.3 अरब घनमीटर गैस के आयात पर खर्च 17.1 अरब डॉलर था. इसका कारण यह था कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ऊर्जा की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गयी थीं. शुद्ध रूप से तेल और गैस आयात बिल (कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, एलएनजी आयात बिल को निर्यात से घटाने पर) 2023-24 में 121.6 अरब डॉलर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 144.2 अरब डॉलर था.

निर्यात हुआ कम

देश के कुल आयात के प्रतिशत के रूप में पेट्रोलियम आयात (मूल्य के संदर्भ में) 25.1 फीसदी रहा, जो 2022-23 के 28.2 फीसदी से कम है. इसी तरह, देश के कुल निर्यात के प्रतिशत के रूप में पेट्रोलियम निर्यात 2023-24 में 12 फीसदी पर आ गया, जबकि इससे पिछले वर्ष यह 14 फीसदी था. देश में ईंधन खपत 31 मार्च, 2023 को समाप्त वर्ष में 4.6 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 23.33 करोड़ टन हो गई.

जबकि 2022-23 में यह 22.3 करोड़ टन और 2021-22 में 20.17 करोड़ टन रही थी. हालांकि, देश में कच्चे तेल का उत्पादन कम है, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता के मामले में अधिशेष की स्थिति है. यह डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात को सक्षम बनाती है. आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में कुल खपत 23.33 करोड़ टन रही जबकि पेट्रोलियम उत्पाद का उत्पादन 27.61 करोड़ टन था.

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