मालदीव में आज चुनाव, भारत विरोधी राष्ट्रपति मुइज्जू की होगी अग्निपरीक्षा | maldives… – भारत संपर्क


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू
मालदीव में रविवार 21 अप्रैल को संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग की जाएगी. ये चुनाव राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. मुइज्जू की नीतियों को लेकर देश में काफी नाराजगी है और उनका जमकर विरोध हो रहा है. भारत के खिलाफ अभियान और भ्रष्टाचार को लेकर मुइज्जू की चौतरफा आलोचना हो रही है. वहीं भारत उम्मीद कर रहा है कि मुख्य विपक्षी और भारत समर्थक पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) बहुमत हासिल करेगी.
संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चीन की ओर झुकाव और लक्जरी पर्यटन हॉटस्पॉट के पारंपरिक संरक्षक भारत से दूरी का खामियाजा भी भुगतने की संभावना है. 45 वर्षीय राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के प्रतिनिधि के रूप में पिछले सितंबर के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी. वहीं यामीन को इस सप्ताह एक अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे उनकी 11 साल की जेल की सजा को रद्द करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया है.
चीन के समर्थक और भारत के विरोधी
इस महीने मोहम्मद ,वहीं पूर्ववर्ती इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की भारत समर्थक मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के प्रभुत्व वाली वर्तमान संसद द्वीपसमूह की कूटनीति को फिर से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही है. लेकिन इस काम में मुइज्जू प्रशासन लगातार बाधा डजाल रहा है.
ये भी पढ़ें
मुइज्जू के एक वरिष्ठ सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के वादे पर सत्ता में आए थे और वह इस पर काम कर रहे हैं. सत्ता में आने के बाद से संसद उनके साथ सहयोग नहीं कर रही है. मुइज्जू के कार्यालय में आने के बाद से सांसदों ने उनके तीन नामित लोगों को कैबिनेट में शामिल करने से रोक दिया है साथ ही उनके कुछ खर्च प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है.
किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल
मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) सहित सभी मुख्य राजनीतिक दलों में विभाजन से किसी एक पार्टी के लिए बहुमत हासिल करना आसान नहीं है. हालांकि इस सप्ताह मुइज्जू की संभावनाओं को उस समय बल मिला जब उनके गुरु यामीन को इस सप्ताह नजरबंदी से रिहा कर दिया गया. राजधानी माले की एक अदालत ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में दोबारा सुनवाई का आदेश दिया है जिसमें 2018 में दोबारा चुनाव हारने के बाद यामीन को जेल भेज दिया गया था.
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन भी हैं भारत विरोधी
यामीन ने भी सत्ता में रहते हुए बीजिंग के साथ करीबी तालमेल का समर्थन किया था लेकिन उनकी सजा के कारण वह पिछले साल का राष्ट्रपति चुनाव अपने दम पर लड़ने में असमर्थ हो गए. इसके बाद उन्होंने मुइज्जू को आगे रखा. गुरुवार को रिहा होने के बाद यामीन ने भारत विरोधी अभियान को जारी रखने की कसम खाई जिससे उनके सहयोगी को जीत में मदद मिली.