भोजशाला सर्वे के लिए ASI ने हाईकोर्ट से मांगा और वक्त, मुस्लिम पक्ष ने लगाय… – भारत संपर्क

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भोजशाला सर्वे के लिए ASI ने हाईकोर्ट से मांगा और वक्त, मुस्लिम पक्ष ने लगाय… – भारत संपर्क

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ आज करेगी सुनवाई.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ राज्य के धार जिले में भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए आठ और सप्ताह की मांग करने वाली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की याचिका पर सोमवार को सुनवाई कर सकती है. हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में जारी सर्वे को पूरा करने के लिए एएसआई को अतिरिक्त समय मिलने पर इस विवादित स्मारक की असलियत बताने वाले अहम सबूत सामने आ सकते हैं.
मध्ययुग के इस विवादित परिसर में महीने भर से ज्यादा वक्त से सर्वे कर रहे एएसआई ने यह कवायद पूरी करने के लिए हाईकोर्ट की इंदौर पीठ से आठ हफ्तों की मोहलत मांगी है. एएसआई ने इस सिलसिले में दायर अर्जी में कहा कि परिसर की संरचनाओं के उजागर भागों की प्रकृति को समझने के लिए उसे कुछ और समय की जरुरत है. इस अर्जी पर सोमवार यानी कल को सुनवाई हो सकती है.
मुस्लिम पक्ष ने लगाया खुदाई का आरोप
उधर, मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे के दौरान भोजशाला परिसर के एक हिस्से में फर्श की खुदाई का दावा किया. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सर्वेक्षण के कारण इस स्मारक की मूल संरचना में कोई भी बदलाव न हो. भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है. इस परिसर को एएसआई ने संरक्षित किया है.
महत्वपूर्ण साक्ष्य सामने आएंगे
भोजशाला मामले में हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने कहा कि पिछले छह हफ्तों के दौरान भोजशाला परिसर में एएसआई के सर्वेक्षण की बुनियाद भर तैयार हुई है. सर्वे के लिए एएसआई को अतिरिक्त समय मिलने पर ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और अन्य उपकरणों के इस्तेमाल से इस परिसर की वास्तविकता बताने वाले कई महत्वपूर्ण साक्ष्य सामने आ सकते हैं.
गोपाल शर्मा, धार की संस्था श्री महाराजा भोज सेवा संस्थान समिति के सचिव हैं. वह भोजशाला मामले में हाईकोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नाम के संगठन की ओर से दायर जनहित याचिका के प्रतिवादियों में शामिल हैं. उन्होंने दावा किया कि भोजशाला के 200 मीटर के दायरे में अब भी ऐसी खंडित प्रतिमाएं और अन्य अवशेष दिखाई देते हैं जो अतीत में इस परिसर पर हुए आक्रमण की गाथा कहते हैं.
भोजशाला परिसर का मूल चरित्र
वहीं धार के शहर काजी वकार सादिक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिशा-निर्देश दे चुका है कि एएसआई के सर्वेक्षण में ऐसी खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे भोजशाला परिसर का मूल चरित्र बदल जाए, लेकिन पिछले दिनों हमने देखा कि इस परिसर के दक्षिणी भाग में स्थित फर्श पर दो-तीन फुट के गड्ढे खोद दिए गए.
शहर काजी ने कहा कि एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे विवादित परिसर का मूल चरित्र बदल जाए. उन्होंने कहा कि एएसआई को पूरी निष्पक्षता से इस परिसर का सर्वे करना चाहिए. उसे इस कवायद के दौरान सु्प्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए.
हाईकोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो लगातार जारी है.
पूजा और नमाज दोनों की इजाजत
भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के अनुसार पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है.

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