सेरलेक पर जारी विवाद के बीच नेस्ले इंडिया का बयान, यहां…- भारत संपर्क

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सेरलेक पर जारी विवाद के बीच नेस्ले इंडिया का बयान, यहां…- भारत संपर्क
सेरलेक पर जारी विवाद के बीच नेस्ले इंडिया का बयान, यहां समझिए विवाद की असल कहानी

विवादों में घिरा नेस्ले

सेरलेक पर जारी विवाद के बीच नेस्ले इंडिया ने कहा है कि 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए कंपनी का शिशु आहार फॉर्मूला वैश्विक आधार पर तैयार किया जाता है और इसे नस्लीय रूप से बनाए जाने का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण एवं गलत है. इस महीने की शुरुआत में स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले पर कम विकसित देशों में अधिक चीनी सामग्री वाले उत्पाद बेचने का आरोप लगाया गया था.

कंपनी के चेयरमैन ने जारी किया बयान

नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने इस मसले पर यहां संवाददाताओं से कहा कि शिशु आहार में चीनी की मात्रा एक विशेष आयु वर्ग के पोषण प्रोफाइल को पूरा करने की क्षमता से निर्धारित होती है और यह सार्वभौमिक है. उन्होंने दावा किया कि शिशु आहार उत्पाद सेरेलैक में चीनी की मात्रा खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई की तरफ से तय सीमा से काफी कम है. इस उत्पाद में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इसे ऐसा उत्पाद बनाता हो जिसके सेवन से बच्चे को कोई खतरा हो या किसी तरह का नुकसान हो. इस उत्पाद में मौजूद अधिकांश चीनी प्राकृतिक शर्करा है.

क्या कहता है नियम?

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुताबिक, शिशु आहार में चीनी का स्वीकार्य स्तर प्रति 100 ग्राम पाउडर में 13.6 ग्राम का है. नारायणन ने कहा कि नेस्ले के उत्पाद में यह मात्रा 7.1 ग्राम है, जो तय मानकों और अधिकतम सीमा से काफी कम है.

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स्विट्जरलैंड की एनजीओ पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) ने हाल ही में कहा कि नेस्ले ने यूरोपीय देशों की तुलना में भारत जैसे कम-विकसित देशों में अधिक चीनी की मात्रा वाले शिशु आहार की बिक्री की. इन आरोपों पर नेस्ले इंडिया के प्रमुख ने कहा कि 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के भोजन के लिए हर उत्पाद वैश्विक आधार पर तैयार किया जाता है.

उन्होंने कहा कि पोषण संबंधी पर्याप्तता का अध्ययन करने के लिए कोई स्थानीय दृष्टिकोण नहीं है. विश्व स्तर पर बढ़ते बच्चों को भरपूर ऊर्जा वाले उत्पादों की जरूरत होती है और उसी के हिसाब से उत्पाद तैयार किए जाते हैं. लिहाजा यूरोप और भारत एवं दुनिया के अन्य हिस्से के बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाता है.’ नारायणन ने कहा कि सेरेलैक के फॉर्मूला का पूरी तरह से पालन किया जाता है. हालांकि स्थानीय स्तर पर मातृ आहार से जुड़ी आदतों को ध्यान में रखते हुए कच्चे माल की उपलब्धता और स्थानीय नियामकीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस फॉर्मूले को ढाला जाता है.

नारायाणन ने कही ये बात

नारायाणन ने भारत में बिकने वाले सेरेलैक में चीनी की मौजूदगी के पीछे स्थानीय पोषण जरूरतों का हवाला देते हुए कहा कि यह स्थानीय नियामक के निर्दिष्ट स्तर से भी बहुत कम है. हमें यह भरोसा और विश्वास रखना होगा कि स्थानीय नियामक को निर्धारित मात्रा के बारे में पता है.’ उन्होंने कहा, ‘हां, इसमें अधिक चीनी है और इसके बारे में जानकारी पैक पर भी दी हुई है. पिछले पांच वर्षों में 30 प्रतिशत की कमी की गई है और आगे भी इसे न्यूनतम स्तर पर लाने की कोशिश की जा रही है.’

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