चांद पर जाएगा इंसान तो ‘मौत का कुआं’ आएगा सबसे ज्यादा काम, हो गई रिसर्च | Astronauts… – भारत संपर्क

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चांद पर जाएगा इंसान तो ‘मौत का कुआं’ आएगा सबसे ज्यादा काम, हो गई रिसर्च | Astronauts… – भारत संपर्क
चांद पर जाएगा इंसान तो 'मौत का कुआं' आएगा सबसे ज्यादा काम, हो गई रिसर्च

चांद पर इंसान खुद को कैस रख सकते हैं फिट

इंसान चांद पर जाने की तैयारी में जुटा हुआ है. लेकिन वहां पहुंचने के बाद वो फिट कैसे रखेगा, ये बड़ा सवाल है. क्योंकि धरती और चांद पर रहने में जमीन और आसमान का फर्क है. हालांकि अब रिसर्चर्स ने इंसानों के इस काम को आसान कर दिया है. उन्होंने बताया है कि इंसान चांद पर खुद को कैसे फिट रख सकता है. उन्होंने कहा, चट्टान की गेंद के चारों ओर वो घूमते हुए खुद को वहां पर फिट रख सकता है. कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में खुद को कमजोर होने से बचाने के लिए, वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यात्रियों को दौड़ने का सुझाव दिया है. उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की मौत की दीवार के आसपास दिन में कई बार दौड़ने की सलाह दी है. ऐसा कैसे करें, उन्होंने इसका भी तरीका भी बताया है.

वैज्ञानिकों ने कहा कि एक विशाल लकड़ी का सिलेंडर जिसका इस्तेमाल मोटरसाइकिल स्टंट करने वाले कलाकार मेले में करते हैं, सेफ्टी बेल्ट के साथ इंसान के लिए ग्रह पर उस तरीके से काफी तेजी से दौड़ना संभव है. गुरुत्वाकर्षण न केवल दीवार पर बना रहता है, बल्कि हड्डी और मांसपेशियों को भी मजबूत करता है.

क्या कहते हैं रिसर्चर्स?

फिजियोलॉजी के एक प्रोफेसर ने कहा, मुझे आश्चर्य है कि पहले किसी को इसका विचार नहीं था. यह चंद्रमा पर प्रशिक्षण का एक सुविधाजनक तरीका हो सकता है. 1972 में अपोलो कार्यक्रम के बाद से मनुष्य ने चंद्रमा पर कदम नहीं रखा है, लेकिन नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां दीर्घकालिक मिशनों के साथ वापसी के लिए कमर कस रही हैं. नासा के आर्टेमिस अंतरिक्ष यात्री अगले साल 2026 की शुरुआत में सतह पर एक मिशन के साथ चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरने वाले हैं.

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चांद पर वातावरण कई चुनौतियां पैदा करता है, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को हवा, भोजन और पानी सुनिश्चित करने से लेकर स्पेस रेडिएशन से खुद को बचाना होता है. लेकिन सामान्य गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध काम करने के बिना, अंतरिक्ष यात्री बोन और मशल्स के मास को खो देते हैं.

इंसानों के लिए पृथ्वी पर मौत की दीवार के चारों ओर गिरे बिना दौड़ना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन चंद्र गुरुत्वाकर्षण में जो पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण का छठा हिस्सा है, यह उपलब्धि बहुत आसान है. रिसर्चर्स के अनुसार, 8 मील प्रति घंटे से अधिक की गति से दौड़ना पर्याप्त होना चाहिए. वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्येक दिन की शुरुआत और अंत में कुछ मिनट दौड़ने से हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत रखने और अच्छा नियंत्रण बनाए रखने के लिए कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण उत्पन्न होना चाहिए.

लंदन की नॉर्थम्ब्रिया यूनिवर्सिटी, न्यूकैसल में एयरोस्पेस मेडिसिन के प्रोफेसर निक कैपलान ने कहा कि प्रस्ताव निश्चित रूप से नया है. लेकिन उन्होंने सवाल किया कि क्या चांद पर रहने के शुरुआती दिनों में ये पर्याप्त होंगे.

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