क्या चीन को मिलेगा टाटा का सहारा, और भारत में खुल जाएगा फिर…- भारत संपर्क

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क्या चीन को मिलेगा टाटा का सहारा, और भारत में खुल जाएगा फिर…- भारत संपर्क
क्या चीन को मिलेगा टाटा का सहारा, और भारत में खुल जाएगा फिर कारोबार का पिटारा?

टाटा ग्रुप बना सकता है चीनी कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर

चीन से भारत में होने वाले निवेश पर अभी सरकार की कड़ी नजर रहती है. अगर सामान्य परिस्थिति में देखा जाए, तो सरकार इसे बहुत ज्यादा पसंद नहीं करती है. लेकिन इस बार कुछ बड़ा बदलाव हो सकता है. चीनी निवेश को टाटा ग्रुप का सहारा मिल सकता है, जिससे उसके लिए भारत में कारोबार करना एक बार फिर आसान हो सकता है. आखिर क्या है ये पूरी खबर…

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत सरकार हर मामले को अलग-अलग देखकर चीन की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को भारत में निवेश की इजाजत दे सकती है. सरकार कुछ रियायतों के साथ चीनी कंपनियों को भारत में निवेश करने देगी, इसकी उम्मीद जगी है. खासकर के इससे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को गति भी मिलने की उम्मीद है.

चीन को मिलेगा टाटा ग्रुप का साथ

ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी ‘वोल्टास’ जल्द ही चीन की एयर-कंडीशनर कंप्रेसर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी शंघाई हाईली ग्रुप कंपनी के साथ गठजोड1 कर सकती है. इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि चीन की कंपनी ने अपनी निवेश योजना का प्रस्ताव इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भेजा था, जिस पर अब मंत्रालय से और जानकारी मांगी गई है.

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प्रस्ताव के मुताबिक चीनी कंपनी वोल्टास के साथ एक जॉइंट वेंचर बनाएगी. इसमें 60 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की शंघाई हाईली ग्रुप कंपनी की होने की संभावना है. जबकि बाकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी वोल्टास के पास होगी. इस प्रस्ताव पर जब पिछले साल सरकार से अनुमति नहीं मिली थी, तो टाटा ने इससे अपने हाथ पीछे खींच लिए थे.

चीन की दीवार में खुलेगी ‘खिड़की’?

शंघाई हाईली दुनिया की सबसे बड़ी एयर-कंडीशनर कंप्रेसर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों में से एक है. उसकी ओर से मंत्रालय को जवाब भी दे दिया गया है, जिसमें उसने बताया है कि इस निवेश योजना को अमलीजामा पहचाने के लिए उसे और किन-किन चीजों की जरूरत होगी. वोल्टास ने केंद्र सरकार की पीएलआई स्कीम के तहत इस निवेश के लिए आवेदन किया था. दोनों कंपनियां इस साझेदारी में करीब 500 करोड़ का निवेश कर देश में बड़े पैमाने पर एसी का उत्पादन करने वाली थीं.

अगर सरकार शंघाई हाईली ग्रुप कंपनी की निवेश योजना को स्वीकार कर लेती है, तो ये चीन के लिए भारत में खड़ी की गई एक महान दीवार में खिड़की खोलने जैसा होगा, जहां से निवेश की ठंडी बहार बहना शुरू होगी.

इससे भारत में ना सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स बल्कि उनके कंपोनेंट्स से लेकर सेमीकंडक्टर्स तक का इको-सिस्टम खड़ा करने में मदद मिलेगी. चीन की कंपनियों को ये राहत मिलने से देश में वोल्टास के अलावा डिक्सन, एंबर, ऑप्टिमस और जैना ग्रुप जैसी कई कंपनियों को फायदा होगा.

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