कैसे एक पाकिस्तान मूल के शख्स ने लंदन की सत्ता पर अपना कब्जा जमा लिया | London mayor… – भारत संपर्क

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कैसे एक पाकिस्तान मूल के शख्स ने लंदन की सत्ता पर अपना कब्जा जमा लिया | London mayor… – भारत संपर्क
कैसे एक पाकिस्तान मूल के शख्स ने लंदन की सत्ता पर अपना कब्जा जमा लिया

सादिक खान.Image Credit source: Facebook

पाकिस्तानी मूल के लेबर पार्टी के नेतासादिक खान ने लंदन के मेयर के पद के लिए रिकॉर्ड तीसरी बार जीत हासिल की है. 53 वर्षीय लेबर पार्टी के राजनेता और एक पूर्व मानवाधिकार वकील सादिक खान ने सिटी हॉल में तीसरी बार कंजर्वेटिव प्रतिद्वंद्वी की सुसान हॉल को आसानी से पराजित कर जीत हासिल की है. अब वह इस पद पर सबसे लंबे समय तक रहने वाले व्यक्ति के रूप में पूर्ववर्ती बोरिस जॉनसन से आगे निकल गए हैं. इंगलैंड के नौ मिलियन की आबादी वाले लंदन शहर में आपातकालीन सेवाओं, परिवहन और योजना को अमलीजामा पहनने जिम्मेदारी सादिक खान की ही है.

पाकिस्तानी आप्रवासी बस चालक के बेटे सादिक खान साल 2016 में लंदन के पहले मुस्लिम मेयर चुने गए थे. उसके बाद साल 2021 के चुनाव में उन्होंने कंजर्वेटिव उम्मीदवार शॉन बेली को हराकर दूसरी जीत हासिल की थी. अब 2024 के लंदन मेयर चुनाव में उन्होंने कंजर्वेटिव उम्मीदवार सुसान हॉल को पराजित कर जीत की हैट्रिक लगाई है.

लेबर पार्टी के केन लिविंगस्टोन (2000-2008) और जॉनसन (2008-2016) के बाद वह लंदन के ऐसे तीसरे मेयर हैं, जो अपने पूर्ववर्ती का अनुसरण करते हुए वह इस साल के अंत में होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकते हैं.

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पाकिस्तानी मूल के माता-पिता के हैं पांचवीं संतान

सादिक खान के माता-पिता उनके जन्म से कुछ समय पहले पाकिस्तान से ब्रिटेन पहुंचे थे. सुन्नी मुस्लिम माता-पिता से पैदा हुए वह आठ बच्चों में से पांचवें थे. वह काउंसिल के स्वामित्व वाले किराए के अपार्टमेंट में पले-बढ़े थे और उनके पिता एक बस ड्राइवर थे. वह दक्षिण लंदन के टुटिंग में सार्वजनिक आवास में पले-बढ़े और 24 साल की उम्र तक चारपाई पर सोते थे. उत्तरी लंदन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन करने के बाद खान ने 1994 में एक वकील के रूप में योग्यता प्राप्त की.

वह मानवाधिकारों में विशेषज्ञता रखते थे और अक्सर पुलिस और सरकारी विभागों के खिलाफ मामले चलाते थे. उसी वर्ष उन्हें लंदन के टुटिंग क्षेत्र में स्थानीय लेबर पार्टी काउंसलर के रूप में चुना गया. स्थानीय लेबर सांसद द्वारा संसद से सेवानिवृत्त होने का निर्णय लेने के बाद, खान ने लेबर के उम्मीदवार के रूप में उनकी जगह के लिए लड़ाई लड़ी. 2005 के आम चुनाव में उन्हें हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुना गया, जिससे लेबर राष्ट्रीय स्तर पर सरकार में लौट आई.

सादिक खान को मिली थी मौत की धमकियां

चुनाव के कुछ सप्ताह बाद ही लंदन में ब्रिटिश मूल के इस्लामी चरमपंथियों द्वारा किए गए बम हमलों में 50 से अधिक लोग मारे गए थे. खान ने इस तरह की कार्रवाइयों के खिलाफ जमकर बात की और कहा कि हिंसा एक छोटे से गुमराह अल्पसंख्यक के विचारों को प्रतिबिंबित करती है. उनकी पृष्ठभूमि वाले एक व्यक्ति के लिए यह एक जोखिम भरा रुख था. उन्हें मौत की धमकियां मिलीं, लेकिन उस स्थिति ने उन्हें प्रशंसा दिलाई.

साल 2005 में स्पेक्टेटर पत्रिका के संसदीय पुरस्कार समारोह में उन्हें न्यूकमर ऑफ द ईयर नामित किया गया था. तीन साल बाद अक्टूबर 2008 में खान को समुदायों के लिए राज्य का अवर सचिव नियुक्त किया गया और एक साल बाद उन्हें परिवहन राज्य मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया.

विवादों से सादिक खान का रहा है पुराना नाता

2010 के आम चुनाव में लेबर की हार के बाद सादिक खान ने पार्टी नेता बनने के लिए एड मिलिबैंड का सफल अभियान चलाया. सादिक खान ने राजधानी के 2016 के चुनाव में लंदन के मेयर के रूप में अपनी पार्टी के नामांकन की मांग की और जीत हासिल की थी. उस जीत के बाद से उनकी जीत का सिलसिला जारी है और तीसरी बार फिर से लंदन के मेयर चुने गए हैं.

मेयर के रूप में उन्होंने ब्रेक्सिट और जॉनसन सहित लगातार कंजर्वेटिव प्रधानमंत्रियों के मुखर आलोचक के साथ-साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ विवाद के कारण वह सुर्खियों में रहे थे. पिछले साल सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोजाना लगने वाले टोल के कारण ग्रेटर लंदन के बाहरी इलाकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. सादिक खान की चाकूबाजी से जुड़े अपराध के उच्च स्तर पर काबू पाने में विफल रहने और पिछले साल से फिलिस्तीन समर्थक बड़े साप्ताहिक विरोध प्रदर्शनों से निपटने में उनकी आलोचना भी की गई थी.

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