पूरी दुनिया का आधा एयर ट्रैफिक अकेले कंट्रोल करेगा इंडिया,…- भारत संपर्क

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पूरी दुनिया का आधा एयर ट्रैफिक अकेले कंट्रोल करेगा इंडिया,…- भारत संपर्क
पूरी दुनिया का आधा एयर ट्रैफिक अकेले कंट्रोल करेगा इंडिया, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने किया दावा

एयर इंडिया

भारतीय एयरलाइन कंपनियां वित्त वर्ष 2027-28 तक देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात की 50 प्रतिशत जरूरत को पूरा करने में सक्षम होंगी. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को यह अनुमान लगाया है. एजेंसी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात में भारतीय एयरलाइन कंपनियों की हिस्सेदारी 2027-28 तक 50 प्रतिशत हो जाएगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 43 प्रतिशत थी.

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने जारी किया रिपोर्ट

क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह सुधार भारतीय एयरलाइन द्वारा अतिरिक्त विमानों की तैनाती और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में नए मार्ग जोड़ने के साथ-साथ विदेशी एयरलाइन की तुलना में बेहतर घरेलू संपर्क के बल पर होगा. रिपोर्ट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय यातायात में उनकी बढ़ती हिस्सेदारी के चलते भारतीय एयरलाइन कंपनियों की व्यावसायिक स्थिति मजबूत होगी, जो घरेलू क्षेत्र की तुलना में अधिक लाभदायक है.

क्रिसिल के अनुसार, भारत का अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात वित्त वर्ष 2023-24 में करीब सात करोड़ तक बढ़ गया. यह वैश्विक महामारी से पहले के स्तर को पार कर गया है. वैश्विक महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में यह एक करोड़ के निचले स्तर पर आ गया था. इसमें कहा गया, भारतीय एयरलाइन की हिस्सेदारी वैश्विक महामारी के बाद से तेजी से बढ़ी है.

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खर्च करने के तरीकों में आया बदलाव

क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने कहा कि वैश्विक महामारी के बाद खर्च करने के तरीकों में काफी बदलाव आया है, जो कि भारतीयों के छूट्टियों के लिए विदेश जाने की इच्छाओं से स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि बढ़ती खर्च योग्य आय, आसान वीजा पहुंच, हवाई अड्डों की बढ़ती संख्या और बेहतर हवाई यात्रा संपर्क से अंतरराष्ट्रीय यात्रा को बढ़ावा मिल रहा है. भारत को पर्यटन का केंद्र बनाने पर सरकार के ध्यान देने से भी हवाई यातायात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय एयरलाइन ने पिछले 15 महीनों में 55 नए अंतरराष्ट्रीय मार्ग जोड़े हैं, जिससे उनकी संख्या 300 से अधिक हो गई है. क्रिसिल के मुताबिक, इनमें अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के लोकप्रिय लंबी दूरी के गंतव्यों के लिए सीधी उड़ानें शामिल हैं. इससे उड़ान का समय प्रभावी रूप से कम हुआ और किसी अन्य देश में रुकने की आवश्यकता भी खत्म हुई है.

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