Mother’s Day 2024: परफेक्ट मदर नहीं, हर मां है परफेक्ट, कई चुनौतियों का सामना कर लिख… – भारत संपर्क

हम अकसर सबसे प्यारी सबसे न्यारी मां लाइनें लिखते आए हैं. हमेशा सबने मां को परफेक्ट ही समझा, जो कभी कोई गलती न करें हर चीज बिल्कुल सही हिसाब से करे, किसी चीज में पीछे न रहे और किसी को कुछ आता हो या नहीं लेकिन मां को तो हर चीज बिल्कुल सही आती होगी.
लेकिन परफेक्ट मां जैसा कुछ नहीं होता. हर चुनौती, हर मुश्किल, हर पड़ाव पार कर जाने वाली हर मां अपने आप में परफेक्ट होती है. कई चुनौतियों का सामना कर हर मां अब परफेक्ट मदर का नया इतिहास लिख रही है. चाहे वो जॉब छोड़ देने वाली मां हो , चाहे वो दिन-रात एक कर के बच्चों के लिए जॉब करने वाली मां हो.
खुद लिख रही परफेक्ट मां की परिभाषा
अकसर सुना है हम ने एक महिला जब मां बनती है उससे उम्मीद की जाती है कि वो परफेक्ट मां बने उससे कोई गलती न हो लेकिन परफेक्ट मां नहीं, मां सिर्फ मां होती है. लेकिन अब हर मां परफेक्ट मदर की खुद एक परिभाषा लिख रही है. मां होना आसान नहीं होता, एक महिला जब मां बनती है वो बहुत सी चुनौतियों का सामना करती है बच्चे को पैदा करने से लेकर पालने तक वो कई वो त्याग देती है जिसको शायद समाज त्याग मानता ही नहीं.
कई महिलाएं अपनी हेल्थ की फिक्र किए बिना कंसीव (Conceive) करती है, कई महिलाएं मां बनने के बाद अपनी जॉब छोड़ देती है. कुछ महिलाएं मां बनने के बाद भी काम करती है तो बच्चों से दूर रहना उनको समय न दें पाने का दुख उन्हें सताता है. दूसरी तरफ सिंग्ल मदर बनना भी आसान नहीं है. चलिए बात करते हैं उन पांच चुनौतियों के बारे में जिसका एक मां बच्चे पैदा करने से लेकर उसको पालने तक सामना करती है.
बच्चे के जन्म के दौरान मां की मौत
जहां देश और दुनिया में इतनी तरक्की हो गई है, विज्ञान मेडिकल अपने शिखर पर पहुंच गया है, वहीं अभी भी बच्चों के जन्म के दौरान महिलाओं की मौत हो जाती है. भारत में 1990 में प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 556 महिलाओं की बच्चे के जन्म के दौरान मृत्यु हुई थी.
गर्भावस्था और बच्चे के जन्म से संबंधित मुश्किलों के चलते हर साल लगभग 1.38 लाख महिलाएं साल 1990 में मर जाती थीं. संयुक्त राष्ट्र की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 4.5 मिलियन मौतों में से भारत में साल 2020 में लगभग 8 लाख महिलाओं की बच्चों को जन्म देने के दौरान, मृत जन्म और नवजात शिशु की मौत देखी गई.
दुनिया में कितनी महिलाओं की हुई मौत
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-2021 में कुल मिलाकर 4.5 मिलियन मौतें हुईं – जिसमें जन्म देने के दौरान (0.29 मिलियन), मृत जन्म (1.9 मिलियन) और नवजात शिशु की मृत्यु (2.3 मिलियन) हुई.
प्रेगनेंसी के दौरान पोषण की कमी
महिलाओं को पूरी जिंदगी भर अलग-अलग पोषण संबंधी जरूरतें होती हैं, लेकिन खास कर प्रेगनेंसी से पहले, प्रेगनेंसी के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद, पोषण की जरूरत सबसे ज्यादा होती है. लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं की पोषण स्थिति काफी खराब है. प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें पोषण नहीं मिलता जो उन्हें स्वस्थ रहने के साथ ही बच्चे की ग्रोथ पर असर डालता है. जिससे बच्चे की ग्रोथ सही नहीं हो पाती और कुछ कंडीशन में समय से पहले (Premature)बच्चे पैदा होजाते हैं.
गर्भावस्था के दौरान, आयोडीन, आयरन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक जैसे प्रमुख पोषक तत्वों की कमी वाले खराब आहार से मां में एनीमिया, प्री-एक्लेमप्सिया, रक्तस्राव और मृत्यु हो सकती है. वे बच्चों में मृत बच्चे के जन्म, कम वजन, कमजोरी और देर से विकास का कारण भी बन सकते हैं. यूनिसेफ का अनुमान है कि हर साल जन्म के समय 20 मिलियन नवजात शिशुओं का वजन कम होता है.
मां बनने के बाद छोड़नी पड़ती है जॉब
मां बनने के बाद जॉब करना एक बड़ी चुनौती है, जिसको अकसर चुनौती माना नहीं जाता, बल्कि मां बनने वाली महिला से उम्मीद की जाती है कि वो खुद जॉब छोड़ कर बच्चे पर ध्यान दें और अपने काम को करियर को थोड़े समय के लिए किनारे रख दें. लेकिन हर मां का यह संघर्ष और त्याग आसान नहीं होता जिसे आसान माना जाता है. कभी-कभी जॉब छोड़ देना सिर्फ एक नौकरी छोड़ घर बैठ जाना है. लेकिन कभी-कभी जॉब आपकी एक पहचान है, ख्वाब है जिसको आप जीते हो. लेकिन उन सब चीजों को एक दम छोड़ कर घर बैठ जाना, आसान है या मुश्किल यह आप बताइये.
दूसरी तरफ अगर देखें तो कहा जाता है, बच्चा बड़ा हो जाए तब तक जॉब छोड़ दो, लेकिन कितनी ही बार एक बार जॉब छोड़ने के बाद एक मां वापस जॉब पर लौट पाती है? साल 2020 में Local Cirlces एक सोशल मीडिया प्लेटफोर्म ने सर्वे किया था जिसके मुताबिक 49 प्रतिशत कंपनी चाहती है कि बच्चे के जन्म के बाद महिला को मिलने वाली छुट्टी (Maternal Leaves) को 6 महीने से कम कर दिया जाए.
क्या कहता है आंकड़ा
ASHOKA UNIVERSITY ने एक रिपोर्ट सामने रखी जिसमें उसने बताया कि साल 2018 के आंकड़ो के अनुसार, भारत में 73 प्रतिशत महिलाएं बच्चों को जन्म देने के बाद जॉब छोड़ देती है और जैसा उनसे जॉब छोड़ते वक्त कहा जाता है कि एक बार बच्चा बड़ा हो जाए फिर काम पर लौट जाना वैसा नहीं हो पाता, वो दोबारा काम पर वापस कभी नहीं लौट पाती. 50 प्रतिशत महिलाएं 30 की उम्र में जॉब छोड़ देती है जिससे वो बच्चों की परवारिश कर पाए.
एक रिसर्च के मुताबिक लगभगसवा लाख मां बनने वाली और छोटे बच्चों की मां ने काम और बच्चे की देखभाल के बीच संतुलन बनाने में कठिनाइयों के कारण अपनी नौकरी छोड़ दी है.
मां बनने के बाद जॉब करना भी एक चुनौती
जो महिलाएं मां बनने के बाद जॉब छोड़ देती है, वही कुछ वो होती है जो इस चुनौती का सामना रोजाना जॉब कर के करती है. जहां जॉब छोड़ देना मुश्किल है, वही बच्चों के साथ जॉब करते रहना भी उतना ही मुश्किल है.
सुबह जल्दी उठ कर बच्चों के लिए टिफिन बनाना और फिर खुद तैयार हो कर ऑफिस जाना और फिर सारा दिन ऑफिस के कामों के साथ कभी सीसीटीवी फुटेज से तो कभी बच्चे जिनके साथ है उनसे बात करके लगातार उनको देखते रहना, उनकी सुरक्षा की निगरानी करना और फिर जब वो घर आती है तो बच्चे सो जाते हैं, जिस पर उन्हें एक गिल्ट महसूस होता है, बच्चों से दूर रहने पर बुरा महसूस होता है. जिसका सामना वो रोज करती है. फिलहाल, भारत में 15-64 साल की आयु की 63 प्रतिशत या 290 मिलियन महिलाएं जॉब नहीं करती हैं.
सिंग्ल पेरेन्ट होना नहीं है आसान
भारत में सिंग्ल मदर की तादाद में इजाफा हो रहा है. कुछ कंडीशन में पति की मौत के बाद महिला बच्चों की जिम्मेदारी खुद उठाने लगती है और कुछ कंडीशन में भारत में बढ़ते डिवोर्स रेट के चलते मदर अकेले बच्चों की देखरेख करती है. संयुक्त राष्ट्र की 2019-2020 की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में, सिंग्ल मदर की संख्या बढ़ रही है, सभी भारतीय घरों में 4.5% (लगभग 13 मिलियन) सिंग्ल मदर हैं. इसके अलावा, अनुमान के मुताबिक लगभग 32 मिलियन अपने विस्तारित परिवारों के साथ रह रही हैं.