भारत और ईरान के बीच हुई इस डील से अमेरिका इतना चिढ़ा क्यों है? | iran india Chabahar… – भारत संपर्क

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भारत और ईरान के बीच हुई इस डील से अमेरिका इतना चिढ़ा क्यों है? | iran india Chabahar… – भारत संपर्क
भारत और ईरान के बीच हुई इस डील से अमेरिका इतना चिढ़ा क्यों है?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

भारत ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है. यानी 10 साल तक इसके संचालन की जिम्मेदारी भारत की होगी. सोमवार को ये डील हुई. भारत ईरान के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इससे उसे मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी. ये बंदरगाह 7,200 किलोमीटर लंबा. इसके जरिए भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई की जाएगी.

हालांकि भारत और ईरान के बीच की ये डील अमेरिका पसंद नहीं करता है. वो शुरू से ही इसका विरोध करता रहा और अब एक बार फिर उसने चेतावनी दी है. अमेरिका ने कहा है कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाए जाने का संभावित खतरा है. उसने यह भी कहा कि वह जानता है कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

अमेरिका का पूरा बयान

विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, हम इन खबरों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मैं चाहूंगा कि भारत सरकार चाबहार बंदरगाह और ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों पर बात करे.

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सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को लेकर ईरान के साथ भारत के समझौते के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा, मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि चूंकि यह अमेरिका से संबंधित है, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हैं और हम उन्हें बरकरार रखेंगे.
पटेल ने कहा, आपने हमें कई मामलों में यह कहते हुए सुना है कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें संभावित जोखिम और प्रतिबंधों के बारे में पता होना चाहिए.

2003 में भी किया था विरोध

अमेरिका शुरू से ही भारत और ईरान के बीच इस समझौते का विरोध करता रहा है. 2003 में भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था. तब अमेरिका ने संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिसके चलते बंदरगाह के विकास का काम धीमा पड़ गया था.

अमेरिका ईरान के साथ व्यापार में शामिल 3 भारतीय कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. ये कंपनियां जेन शिपिंग, पोर्ट इंडिया प्रालि और सी आर्ट शिप मैनेजमेंट हैं. इससे पहले 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद भी अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिससे भात की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा था.

चाहबहार पोर्ट कहां है?

ईरान का चाहबहार पोर्ट ओमान की खाड़ी में स्थित है. हरमुज खाड़ी पर स्थित होने के सामरिक महत्व है. यह गुजरात के कंडला पोर्ट से 1016 किमी और मुंबई पोर्ट से 1455 किमी दूर है. चाहबहार और पाकिस्तान के ग्वादर के बीच में 140 किमी की दूरी है.

मई 2016 में प्रधानमंत्री मोदी की ईरान यात्रा के दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट एंड ट्रांसिट कॉरिडोर (चाबहार समझौता) स्थापित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. भारत ईरान के सहयोग से शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल, चाबहार बंदरगाह के पहले चरण पर काम कर रहा है. भारत ने अब तक छह मोबाइल हार्बर क्रेन (दो 140 टन और चार 100 टन क्षमता) और 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के अन्य उपकरणों की आपूर्ति की है.

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