टेंशन में नाटो अमेरिका… पुतिन जिनपिंग की मुलाकात पर दुनिया की नजर, आखिर क्या होने… – भारत संपर्क

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टेंशन में नाटो अमेरिका… पुतिन जिनपिंग की मुलाकात पर दुनिया की नजर, आखिर क्या होने… – भारत संपर्क
टेंशन में नाटो-अमेरिका... पुतिन-जिनपिंग की मुलाकात पर दुनिया की नजर, आखिर क्या होने वाला है?

पुतिन और शी (फाइल फोटो)/X

चीन में ऐसी मुलाकात होने वाली है, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें हैं. नाटो टेंशन में है तो अमेरिका भी परेशान है. तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि यह अभी तक साफ नहीं है कि आखिर पुतिन और जिनपिंग की कल होने वाली सबसे खास मुलाकात में क्या होने वाला है.

पुतिन ने पांचवीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद पहली बार चीन दौरे पर जा रहे हैं. पश्चिम के साथ रूस के तनाव और यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बीच दुनिया की दो बड़ी शक्तियों की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. इससे पहले पिछले साल भी पुतिन और जिनपिंग ने द्विपक्षीय वार्ता की थी. इस बातचीत के बाद जिनपिंग ने कहा था कि ऐसे बदलाव हो रहे हैं जो पिछले 100 साल में नहीं हुए, हम दोनों इस बदलाव का नेतृत्व साथ मिलकर कर रहे हैं. पुतिन ने भी इस पर सहमति जताई थी.

चीन-रूस में बढ़ती नजदीकी

चीन और रूस में नजदीकी लगातार बढ़ती जा रही है. दोनों देशों के शीर्ष नेताओं में बढ़ती दोस्ती इस बात का उदाहरण है. दरअसल 2023 में जिनपिंग ने राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद बाद मॉस्को का दौरा किया था. अब पुतिन ने भी पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद पहली यात्रा के लिए चीन को ही चुना. वह 16 और 17 मई को बीजिंग में रहेंगे. इस बीच दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी. पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा का मानना है कि व्लादिमीर पुतिन चीन जा रहे हैं, क्योंकि चीन रूस की मदद कर रहा है. उनको हथियार नहीं दे रहा, लेकिन क्रिटिकल कंपोनेंट्स दे रहा है. अमेरिका बड़ा नाराज होता है, अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाया है, रूस पर भी प्रतिबंध लगाया है. इस तरह से ये दोनों ही देश अमेरिका से पीड़ित हैं और अब इकट्ठे होकर चुनौती दे रहे हैं.

यूक्रेन पर होगी बातचीत

पुतिन छह माह में दूसरी बार बीजिंग दौरे पर जा रहे हैं, क्रेमलिन इस दौरे को ऐतिहासिक बता रहा है. माना जा रहा है कि इस दौरे में दोनों देशों के बीच यूक्रेन को लेकर भी बातचीत होगी. चीन रवाना होने से पहले समाचार एजेंसी शिन्हुआ को दिए साक्षात्कार में पुतिन ने यूक्रेन-रूस पर चीन के शांतिपूर्ण समाधान के लिए पेश की गई योजना का समर्थन कर इस ओर इशारा भी कर दिया. दरअसल चीन ने तकरीबन एक साल पहले 12 सूत्रीय मांगों के साथ यूक्रेट संकट पर एक पीस पॉलिसी तैयार की थी. इस पीस पॉलिसी ने ज्यादातर नाटो देश सहमत नहीं थे, क्योंकि इसमें ज्यादातर बातें पश्चिम के खिलाफ थीं. अब दोनों देशों के इस तरह साथ आने से नाटो के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही है.

टेंशन में आया नाटो, चीफ ने कह दी ये बात

नाटो चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि जो आज यूक्रेन में हो रहा है, कल ताइवान में हो सकता है, ये मेरी मजबूत राय है कि अमेरिका को यूक्रेन को हर हाल में सपोर्ट करते रहना होगा. ये अपनी ही सुरक्षा के लिए एक निवेश की तरह है. पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने बताया कि नाटो तो अब एक चुटकुला बन गया है, जितने उसके देश हैं उनमें से अमेरिका को अलग कर दीजिए, कुछ हद तक ब्रिटेन को.. बाकी जो उसके सदस्य हैं, उन्होंने जंग कभी लड़ी ही नहीं, उनको लड़ना नहीं आता.

अमेरिका भी मुसीबत में

नाटो के लिए चिंता की बात ये है कि चीन रूस के इस दावे का समर्थन करता है कि पुतिन ने पश्चिमी देशों के उकसावे के कारण 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था और पुतिन को लगता है कि यूक्रेन युद्ध में अमेरिका आज भी बेवजह दखल दे रहा है और ऐसे में जब पुतिन चीन दौरे पर जाने वाले हैं तब अमेरिकी विदेशमंत्री का कीव पहुंचना, पैट्रियट बैटरी देने की घोषणा करना, इसी का नतीजा है.

यूक्रेन को रूस में मिलाएंगे पुतिन

पुतिन जब बीजिंग जाने वाले हैं तो उससे पहले रूसी सेना ने खारकीव में बढ़त ले ली है. जानकारों को लगता है कि रेड आर्मी यहां से सूमी और फिर कीव की ओर रुख करेगी. पुतिन पूरे यूक्रेन को रूस में मिलाने के प्लान पर आगे बढ़ेंगे. वहीं जेलेंस्की रूस को खारकीव में ही रोकने के लिए क्रीमिया पर फोकस करना शुरू कर चुके हैं. पुतिन के चीन दौरे से ठीक पहले अमेरिका से मिलीं लॉन्ग रेंज मिसाइलें सेवस्तोपोल पर बरसी हैं.

-Tv9 ब्यूरो

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