पोप ही तय करेंगे घटना अलौकिक है या नहीं, वेटिकन ने बनाए नए नियम | Vatican released… – भारत संपर्क


वर्जिन मैरी
लोगों को अफवाहों से बचाने के लिए वेटिकन ने नए नियम बनाए हैं. जिनके मुताबिक केवल पोप ही यह तय कर सकते हैं कि कोई धार्मिक घटना, जैसे वर्जिन मैरी का प्रकट होना या जीसस क्राइस्ट की मूर्ति का रोना, सच में अलौकिक है या नहीं.
ऐसी घटनाएं बहुत वर्षों से देखी जा रही हैं जिन्हें देखकर लोग अपनी आस्था मजबूत करते हैं. कई बार ये घटनाएं झूठी भी निकल जाती हैं जिससे अफवाहें फैल जाती है. वेटिकन ने लोगों को अफवाहों से बचाने और धोखाधड़ी पर नकेल कसने के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की है. जिनमें कहा गया है कि केवल बिशप ही इन दावों की सत्यता की जांच कर सकता है और उन्हें अलौकिक घोषित कर सकता है. साथ ही यह भी कहा है कि आखिरी फैसला पोप (कैथोलिक चर्च के प्रमुख) का ही होगा. ये नियम लोगों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए बनाए गए हैं.
लोगों को धोखे से बचाना है उद्देश्य: फर्नांडीज
वेटिकन डॉक्ट्रिन के हेड कार्डिनल विक्टर मैनुअल फर्नांडीज ने कहा कि नए नियम का उद्देश्य आध्यात्मिकता को नियंत्रित करना या दबाना नहीं है, बल्कि लोगों को धोखे से बचाना है. फर्नांडीज ने कहा इन अफवाहों को फैलाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, किसी का व्यक्तिगत हित, झूठ बोलने की प्रवृत्ति या कोई अन्य कारण. इनमें से कुछ घटनाएं ही सच होती हैं.
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अलौकिक घटनाओं को देखने आते हैं लोग
सदियों से वर्जिन मैरी और जीसस क्राइस्ट के प्रकट होने की घटनाएं दुनियाभर में देखी और सुनी गई हैं, जिससे भक्त इन जगहों पर अलौकिक घटनाओं को देखने के लिए आते हैं. पुर्तगाल के शहर फातिमा में साल 1917 में तीन छोटे बच्चों ने मदर मैरी की झलक देखी थी, तो वहीं फ्रांस में लूर्डेस में लोग सिर्फ इस उम्मीद में आते हैं क्योंकि कहा जाता है कि वहां पर चमत्कारी रूप से व्यक्ति का इलाज होता है. इस तरह की घटनाओं के बाद से इन जगहों को तीर्थस्थल के तौर पर जाना जाता है.
6 वर्षों का लगा समय
वेटिकन के इन नए नियमों को बनाने में लगभग छह वर्षों का समय लग गया. ये नियम वेटिकन के पिछले 1978 के अंतिम निर्देश की जगह लेते हैं जो केवल 2011 में सार्वजनिक किए गए थे. ये नियम अलौकिक घटनाओं पर वेटिकन के उन अंतिम निर्देशों की जगह लेते हैं जो 1978 में जारी किए गए थे, लेकिन 2011 में इन्हें सार्वजनिक किया गया. इन नियमों में घटनाओं की जांच करने के तरीके बताए गए हैं. साथ ही ये भी बताया गया है कि जांच के बाद क्या नतीजे निकल सकते हैं. इन नियमों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि लोग असली और नकली घटनाओं में फर्क कर सकें.