40 साल से सलाखों के पीछे…कैदियों का भी कत्ल, किलर ‘हैनिबल द कैनिबल’ की कहानी |… – भारत संपर्क

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40 साल से सलाखों के पीछे…कैदियों का भी कत्ल, किलर ‘हैनिबल द कैनिबल’ की कहानी |… – भारत संपर्क
40 साल से सलाखों के पीछे...कैदियों का भी कत्ल, किलर 'हैनिबल द कैनिबल' की कहानी

सांकेतिक तस्वीर

माता-पिता दोनों के जिंदा होने के बाद भी अगर कोई बच्चा अनाथालय में रखा जाए तो उस बच्चे की मानसिक स्थिति को आप कैसे बयां करेंगे. ऐसी ही कहानी है एक सीरियल मर्डर किलर की, जिसे आज के दिन में हर कोई हैनिबल द कैनिबल के नाम से जानता है, जिसका मतलब होता है वह इंसान जो इंसानों को खाता हो.

यह कहानी है साल 1953 की, जो शुरू होती है लिवरपूल के स्पेक में, जहां एक बच्चे का जन्म होता है. उसके घर में माता-पिता के साथ उसके भाई, बहन रहते थे. एक पूरा परिवार होने के बावजूद भी उसके माता-पिता ने उसे और उसके अन्य तीन भाई-बहन को कैथोलिक अनाथालय भेज दिया. उस बच्चे का नाम था रॉबर्ट मौडस्ले, जो आठ साल तक अनाथालय में रहा.

बाद में रॉबर्ट को उसके माता-पिता घर वापस लेकर चले गए, जिसके बाद लगा कि अब उसकी जिंदगी में सब कुछ सही होगा लेकिन उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था. जब उसे वापस घर लेकर आया गया तो उसके पिता ने उसका शारीरिक और यौन शोषण किया और यह तब तक होता रहा जब तक रॉबर्ट को सोशल सर्विस वाले लोगों ने किसी दूसरे परिवार के पास ना भेज दिया, जो उसका पालन-पोषण कर पाए.

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रॉबर्ट जब 16 साल का हुआ तो वह लंदन चला गया जहां पर रहते हुए वह नशे का आदि हो गया, जिसकी वजह से आगे चलकर वह मानसिक रूप से बीमार रहने लगा. कुछ वक्त गुजरा तब वह मनोरोग अस्पताल में कुछ सालों के लिए भर्ती हो गया. इस दौरान उसने कई बार अलग-अलग तरहों से अपनी जान लेने की कोशिश की. उसने इलाज के दौरान डॉक्टरों को बताया कि उसके कानों में हर वक्त एक आवाज गूंजती रहती है जो उसे बार-बार अपने माता-पिता की जान लेने के लिए कहती है.

लंबे समय से चल रहे इलाज के बाद भी उसकी नशे की लत नहीं छूटी और अपने लत के लिए उसने सेक्स वर्कर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया.

इंसानों के दिमाग खाने का लगा आरोप

रॉबर्ट के इस लत के चक्कर में उसने पहली बार मौत के डरावने खेल में अपना हाथ आजमाया. साल 1973 जब वह सेक्स वर्कर का काम कर रहा था तब रॉबर्ट अपने एक कस्टमर से मिला, जिसका नाम था जॉन फैरेल. उसने कुछ समय बाद रॉबर्ट को कुछ बच्चों की तस्वीरों दिखाई, ये कोई आम तस्वीर नहीं थी बल्कि उन बच्चों की तस्वीरें थीं जिनके साथ जॉन ने दुर्व्यवहार किया था.

उन सभी तस्वीरों को देखने के बाद रॉबर्ट के सामने अपना बचपन आ गया, जिसके बाद उसने गुस्से में आकर बेरहम तरीके से उसका गला घोंट दिया. काफी समय बीत जाने के बाद रॉबर्ट खुद पुलिस स्टेशन पहुंचा और पुलिस को जॉन के मर्डर के बारे में सब बता दिया. इस मामले की जांच के वक्त रॉबर्ट पर किसी भी तरीके का मुकदमा चलाने को अयोग्य माना गया और उसे ब्रॉड़मूर अस्पताल में एक सीमित समय के लिए मनोरोग देखभाल के लिए रखा गया.

देखभाल में रखे जाने के दौरान ही रॉबर्ट और उसके एक साथी ने मिलकर एक कैदी को बंधक बना लिया और उसे प्रताड़ित करने लगे और कुछ समय बाद ही उस बंधक को उसने प्लास्टिक के चम्मच से वार कर के मार दिया. जांच के वक्त मृतक कैदी के कान से प्लास्टिक का चम्मच बरामद हुआ. इस घटना के आरोप में उसे और उसके साथी को वेकफील्ड जेल भेज दिया गया. इस जगह को मॉन्स्टर मेंशन के नाम से भी जाना जाता था. यहां आते ही उसे ‘नरभक्षी’ और ‘दिमाग खाने वाला’ करार दिया गया और आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई, हालांकि बाद में उसके ऊपर से इंसानों का दिमाग खाने का आरोप हट गया लेकिन उस घटना के बाद से ही रॉबर्ट को ‘हैनिबल द कैनिबल’ का नाम दिया गया.

अन्य कैदियों की ली जान

साल 1978 में उसने अपनी कोठरी में एक कैदी को लालच देकर बुलाया, जिसका नाम सैल्नी डारवुड था, जो कि अपनी पत्नी को मारने के आरोप में जेल में बंद था. रॉबर्ट ने उसे अपने पास बुलाकर उसका गला काट दिया और अपने बिस्तर के नीचे उसके शव को छिपा दिया. उसने इस तरह से करीब 6 कैदियों को मारने की साजिश की थी लेकिन उसके जाल में केवल एक कैदी 56 साल का बिल रॉबर्ट्स ही फंस पाया. रॉबर्ट ने उसके सिर पर हथियार से मारा और फिर सिर को कई बार दीवार पर लड़ाया जिसके बाद उसकी भी मौत हो गई.

उसको मारने के बाद वह गार्ड के ऑफिस में पहुंचा और हथियार को वहां पड़े टेबल पर रख दिया. इस डरा देने वाली घटना के बाद उसे एक और हत्या का दोषी ठहराया गया रॉबर्ट को असाधारण तरीके से वेकफील्ड वापस भेज दिया गया था, जहां दूसरे कैदियों और उसकी खुद की सुरक्षा के लिए उसे किसी के साथ भी घुलने-मिलने पर रोक लगा दी गई. रॉबर्ट को 18*15 फीट के कांच के एक कोठरी में रखा गया. उसे उसके अंदर ही भोजन दिया जाता है. उस कोठरी में एक कंक्रीट स्लैब, एक बिस्तर और कार्डबोर्ड से बने कुर्सी और मेज रखे हुए थे. रॉबर्ट को दिनभर में केवल 1 घंटे के लिए बाहर जाने की परमिशन दी गई थी लेकिन शर्त यह था कि उस दौरान उसके साथ 6 पुलिसकर्मी होने चाहिए.

अदालत से मांगी थी इच्छा मृत्यु

रॉबर्ट ने अधिकारियों से अपने रहने की स्थिति की शिकायत की थी और उनसे गाना सुनने के लिए एक टेप , एक टीवी, पालतू बजी बर्ड की मांगी थी और उसने वादा किया था कि वह इन सबको नहीं खाएगा. एक लेटर में उसने लिखा कि मुझे स्थिर रहने के लिए छोड़ दिया गया है, मुझे उन लोगों से अकेले में मुकाबला करने के लिए छोड़ दिया गया है जिनके पास आंखें हैं लेकिन देखते नहीं हैं और जिनके पास कान हैं लेकिन सुनते नहीं हैं, जिनके पास मुंह हैं लेकिन बोलते नहीं हैं.

साल 2000 में रॉबर्ट ने अदालत से मरने की अनुमति देने का अनुरोध किया. उसने कहा कि मुझे दिन में 23 घंटे बंद रखने से क्या उद्देश्य पूरा होता है? मुझे खाना खिलाने और दिन में एक घंटा व्यायाम कराने की जहमत क्यों उठाई जाए? असल में मैं किसके लिए खतरा हूं?’ उसकी इस अपील को भी अस्वीकार कर दिया गया था.

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