Explainer : हांगकांग सिंगापुर से लेकर नेपाल तक लग रहे बैन,…- भारत संपर्क

0
Explainer : हांगकांग सिंगापुर से लेकर नेपाल तक लग रहे बैन,…- भारत संपर्क
Explainer : हांगकांग-सिंगापुर से लेकर नेपाल तक लग रहे बैन, क्या भारत बना रहेगा 'मसालों का किंग'?

भारत का मसाला और उस पर लगा बैनImage Credit source: Freepik

मसाले… भारत के साथ जुड़ी ये वो पहचान है जिसने उसे इतिहास में ‘सोने की चिड़िया’ का दर्जा दिलाया. मसालों की वजह से ही उसे लंबे समय तक पश्चिमी देशों की गुलामी झेलनी पड़ी. आज भी भारत दुनिया में मसालों का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. लेकिन आज उसकी इस सबसे खास पहचान को संकट का सामना करना पड़ रहा है. एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी के नाम पर भारत के कुछ मसालों पर सबसे पहले हांगकांग ने बैन लगाया, जो अब नेपाल तक पहुंच गया है. तो क्या ये भारत की ‘मसाला किंग’ की छवि को तोड़ देगा?

भारत के दो सबसे बड़े मसाला ब्रांड के कुछ प्रोडक्ट में एथिलीन ऑक्साइड जैसे कीटनाशक की मौजूदगी को लेकर हांगकांग ने उनके इंपोर्ट और सेल पर बैन लगा दिया. इसी दौरान सिंगापुर ने भी कुछ प्रोडक्ट को बैन किया. वहीं सबसे ताजा मामला है जब पड़ोसी देश नेपाल ने भी भारत से कुछ मसाला प्रोडक्ट के इंपोर्ट और सेल पर बैन लगा दिया है. इतना ही नहीं, उसने मार्केट से प्रोडक्ट रिकॉल करने के भी निर्देश दिए हैं.

क्या करता है एथिलीन ऑक्साइड?

हांगकांग और सिंगापुर ने एथिलीन ऑक्साइड को कैंसर कारक बताते हुए भारतीय प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया है. जबकि एथिलीन ऑक्साइड को खेती में उत्पादों को फंगस से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है. इस पर बैन की शुरुआत 1991 में तब हुई जब यूरोपीय यूनियन ने इसे प्रतिबंधित की श्रेणी में डाल दिया था. इसके बाद अब दुनिया के कई देशों में इस पर बैन लगाया गया है. वहीं कई देश एक निश्चित मात्रा में इसके उपयोग को मान्यता देते हैं. हालांकि आम धारणा यही है कि लंबे समय तक इसके उपयोग से कैंसर होने की संभावना है, लेकिन ये कैंसर का एकमात्र कारण नहीं है.

ये भी पढ़ें

यूरोप ने जारी की 527 प्रोडक्ट की लिस्ट

हांगकांग और सिंगापुर के भारतीय मसालों पर बैन का असर ये हुआ कि इसकी प्रतिक्रिया दुनियाभर में देखने को मिली. यूरोपीय यूनियन (EU) के फूड सेफ्टी विभाग ने सितंबर 2020 से अप्रैल 2024 के बीच भारत से इंपोर्ट किए गए ऐसे 527 प्रोडक्ट्स की लिस्ट जारी की, जिनमें एथिलीन ऑक्साइड पाया गया. इससे पहले 2020-21 में भी यूरोपीय यूनियन ने दुनियाभर से इंपोर्ट की गई 468 वस्तुओं में एथिलीन ऑक्साइड होने की जानकारी दी थी.

सबसे बड़ी बात, इन 527 फूड प्रोडक्ट्स में 313 ड्राई फ्रूट्स और तिल से बने आइटम्स थे. 60 तरह के सामान में जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग किया गया था. करीब 48 डायट्री फूड और सप्लीमेंट आइटम्स और बाकी 34 अन्य प्रोडक्ट्स थे. इसमें कई प्रोडक्ट ऐसे भी थे जिन पर ‘ऑर्गेनिक’ का लेबल लगा हुआ था.

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी आंच

भारतीय मसालों का संकट हांगकांग, सिंगापुर और यूरोपीय यूनियन तक ही सीमित नहीं रहा. अमेरिका के फूड सेफ्टी विभाग (USFDA) ने भारत के मसाला प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक एफडीए भारतीय मसाला प्रोडक्ट्स पर लगे बैन को लेकर अलर्ट है और जांच के बाद बैन भी लगा सकता है. कुछ इसी तरह की कार्रवाई ऑस्ट्रेलिया में भी चल रही है.

कितना बड़ा है भारत का मसाला कारोबार?

प्राचीन काल से लेकर आज तक भारत दुनिया का ‘मसाला किंग’ है. चीन के पास जिस तरह ‘सिल्क रूट’ था, उसी तरह इतिहास काल में भारत के पास ‘मसाला रूट’ था, जिसे रिवाइव करने के लिए G20 की बैठक में सहमति बनी और ‘भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ बनाने पर काम शुरू हुआ. भारत के ‘गरम मसाला’ और ‘मलमल’ के कपड़े की दीवानगी एक समय दुनिया में ऐसी थी, जिसकी वजह से आज दुनिया के नक्शे पर ‘अमेरिका’ दिखता है.

भारत हर साल 14-15 लाख टन मसालों का एक्सपोर्ट करता है. ये करीब 3-4 अरब डॉलर का कारोबार है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का मसाला एक्सपोर्ट कुल 4.25 अरब डॉलर था जो ग्लोबल स्पाइस एक्सपोर्ट का 12 प्रतिशत है. भारत से सबसे ज्यादा चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल और इंडोनेशिया को मसालों का एक्सपोर्ट किया जाता है. वहीं यूरोप में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन भारतीय मसालों के बड़े कस्टमर हैं.

भारत ने मसालों की जांच के उठाए कदम

हांगकांग और सिंगापुर के बैन के बाद ही भारत इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सजग हो गया. भारत सरकार ने फूड रेग्युलेटर FSSAI से डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी है. वहीं देश में मौजूद मसालों की जांच का जिम्मा भी उसे सौंप दिया है. भारत में मसालों का एक्सपोर्ट भारतीय मसाला बोर्ड हैंडल करता है. सरकार ने बोर्ड से कहा है कि वह सभी मसालों का क्वॉलिटी टेस्ट करे और इसे अनिवार्य प्रेक्टिस बनाए.

क्या भारत बना रहेगा ‘मसाला किंग’?

भारत के मसाला उद्योग में काम करने वाली कंपनियों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स (एफआईएसएस) ने एथिलीन ऑक्साइड के मुद्दे के बड़ा बनते जाने को लेकर चिंता व्यक्त की है. उसका कहना है कि अगर मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) की मौजूदगी के मुद्दे का जल्द हल नहीं निकाला जाता है, तो 2024-25 के दौरान इसका एक्सपोर्ट 40 प्रतिशत तक गिर सकता है.

एफआईएसएस देश भर के करीब 600 मसाला व्यापारियों, एक्सपोर्टर्स और किसानों के संगठनों की प्रतिनिधि संस्था है. इसके चेयरमैन अश्विन नायक का कहना है कि ईटीओ के बारे में गलत सूचना फैलाई जा रही है जबकि दुनिया भर में इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय कंपनियां भी बीते 30 से 40 वर्षों से अमेरिका को ऐसे मसालों का निर्यात कर रही हैं.

उनका कहना है कि ईटीओ ऐसा कीटनाशक नहीं है जिसे सीधे फसलों पर छिड़का जाता है. ईटीओ एक गैसीय एजेंट है. इसका उपयोग कुछ निश्चित इकाइयां ही करती हैं. ये मसालों से कुछ हानिकारक सूक्ष्मजीवों और जीवाणुओं को हटाने या नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सर्पदंश से बचने किया गया जागरूक- भारत संपर्क| गौतम गंभीर के तलवे नहीं चाटने चाहिए…सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया की जीत के… – भारत संपर्क| सशस्त्र सैन्य समारोह : भारतीय सेना की ताकत, जवानों का शौर्य हमें रोमांच के साथ गौरवान्वित करता… – भारत संपर्क न्यूज़ …| MP: छिंदवाड़ा का ऐसा गांव, जहां नवरात्रि में मां दुर्गा की नहीं, रावण की पू… – भारत संपर्क| UP: गोंडा में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका, 2 की मौत; 3 की हालत गंभीर – भारत संपर्क