ईरानी राष्ट्रपति की मौत के पीछे कहीं अपनी ही ‘कमजोरी’ तो नहीं? | iran president… – भारत संपर्क

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ईरानी राष्ट्रपति की मौत के पीछे कहीं अपनी ही ‘कमजोरी’ तो नहीं? | iran president… – भारत संपर्क
ईरानी राष्ट्रपति की मौत के पीछे कहीं अपनी ही 'कमजोरी' तो नहीं?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई है. ये दुर्घटना जिस जगह पर हुई है, वहाँ मौसम काफी खराब है जिसके चलते रेस्क्यू टीमों को घटनास्थल तक पहुँचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. दुर्घटना में राष्ट्रपति रईसी का हेलीकॉप्टर पूरी तरह से जला हुआ मिला. हेलीकॉप्टर में राष्ट्रपति और विदेश मंत्री के साथ पूर्वी अजरबैजान के गवर्नर, पूर्व अजरबैजान में ईरानी सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.

रईसी के काफिले के साथ दो और हेलीकॉप्टरों भी थे जो ईरान के पूर्वी अज़रबैजान प्रांत में यात्रा कर रहे थे. हादसे को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये कैसे संभव हुआ कि काफिले के दो हेलिकॉप्टर सही सलामत पहुंच गए और रईसी का हेलिकॉप्टर ही क्रैश का शिकार हुआ. सवालों के जवाब तो जांच के बाद ही मिलेंगे लेकिन इस हादसे के पीछे कहीं न कहीं ईरान खुद भी जिम्मेदार है. दरअसल ईरान और उसकी सेना का विमानन सुरक्षा का इतिहास भी कम खराब नहीं. पहाड़ी इलाकों में घने कोहरे के कारण यह समस्या और भी बढ़ गई है.

किस विमान में थे इब्राहिम रईसी

राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी अमेरिका निर्मित बेल 212 हेलीकॉप्टर में उड़ान भर रहे थे, जिसे खराब मौसम और कोहरे की वजह से अजरबैजान की सीमा के पास जंगल में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी. हेलीकॉप्टर का मॉडल अमेरिका में बनाया गया था और 1979 की क्रांति के बाद से इसे ईरान को नहीं बेचा जा सकता था.

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बेल 212 का ट्रैक रिकॉर्ड भी खराब रहा है. इस विमान की वजह से सबसे हालिया घातक दुर्घटना पिछले साल सितंबर 2023 में हुई थी. एक निजी तौर पर संचालित विमान संयुक्त अरब अमीरात के तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसी तरह की एक दुर्घटना 2018 में हुई थी, जिसमें चार लोग मारे गए थे. बेल 212 चालक दल सहित 15 लोगों को ले जा सकता है. इसके अलावा एरियल फायरफाइटिंग गियर तैनात करने और नौका कार्गो के लिए अनुकूल है.

ईरान में विमानों की खस्ता हालत

1990 के दशक से ईरान नागरिक विमानों की कमी से जूझ रहा है. प्रतिबंधों की वजह से ईरान के लिए पश्चिमी कंपनियों से नए विमान या स्पेयर पार्ट्स खरीदना लगभग असंभव हो गया है. इसकी कमी को पूरा करने के लिए ईरान ने पुराने विमानों को लीज पर लेने या बिचौलियों के जरिए स्पेयर पार्ट्स की खरीद का सहारा लिया. वर्तमान में देश में 21 एयरलाइंस संचालित होती हैं लेकिन ईरान के नागरिक उड्डयन संगठन के अनुसार, कुल 171 ईरानी हवाई जहाज ही चलती है.

ईरान में कई सैन्य विमान अभी भी देश की 1979 की क्रांति के समय के हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक 1979 से दुर्घटनाओं में लगभग 2,000 ईरानी मारे गए हैं. ईरान की दो प्रमुख एयरलाइन – ईरान एयर और महान एयर – की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले विमानों की औसत आयु अक्सर 20 वर्ष से अधिक और कुछ मामलों में 30 वर्ष से अधिक होती है. जिसमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें खुद मरम्मत की जरूरत है. ईरान ने अपने दम पर IR.AN-140 जैसे विमान का निर्माण शुरू कर दिया है. पिछले पांच वर्षों के दौरान ईरानी यात्री विमानों के बेड़े में 108 एयरलाइनर जोड़े गए हैं.

सबसे ज्यादा हवाई दुर्घटनाएं

एविएशन सेफ्टी नेटवर्क ने 2000 के बाद से ईरान में 22 घातक हवाई दुर्घटनाएँ दर्ज कीं. 1919 से ईरान में 152 हवाई दुर्घटनाएँ दर्ज की हैं, जो मिस्र से बहुत आगे हैं, जिसमें 126 घटनाएँ देखी गईं. इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के कर्मियों को ले जा रहा एक रूसी निर्मित इल्यूशिन आईएल-76एमडी तेज हवाओं के दौरान करमान शहर के पास एक पहाड़ से टकरा गया था, जिसमें 275 लोगों की मौत हो गई थी.

लड़ाकू विमान ज्यादातर किस देश के

ईरान के पास वर्तमान में ज्यादातर रूसी मिग और सुखोई लड़ाकू विमान हैं. इसके अलावा चीनी जे-7 विमान भी ईरान के पास हैं. 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले के कुछ अमेरिकी F-4 और F-5 फाइटर जेट भी इसके बेड़े का हिस्सा हैं. कस्टम ऑर्गेनाइजेशन के डेटा के मुताबिक वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान ने पिछले 10 वर्षों में तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी और यहां तक ​​कि यूक्रेन और अमेरिका सहित देशों से कम से कम 236 मिलियन डॉलर मूल्य के विमान और ड्रोन इंजन भागों का आयात किया है.

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