ईरान से क्या लेता और देता है भारत? दोनों देशों के बीच इतना…- भारत संपर्क

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का कल हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई. पीएम नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के योगदान को याद किया है. उनके कार्यकाल में नई दिल्ली का तेहरान के साथ व्यापार भी बढ़ा और दोनों देशों ने काफी अच्छा बिजनेस भी किया है. काफी कम लोग इस बात के बारे में जानते हैं कि ईरान भारत को सिर्फ कच्चा तेल ही नहीं देता है. बल्कि अन्य समान भी आयात करता है. ईरान में पैदा हुई इस संकट के चलते यह चिंता सताने लगी है कि क्या इससे भारत ईरान के बिजनेस पर असर पड़ेगा? चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
इतना बड़ा है कारोबार
आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान भारत-ईरान व्यापार 13.13 अरब डॉलर का था, जिसमें 8.95 अरब डॉलर का भारतीय इंपोर्ट शामिल था और इसमें 4 अरब डॉलर से ज्यादा का कच्चे तेल का आयात था. हालांकि, साल 2019-20 में ईरान के साथ भारत के व्यापार में तेज गिरावट देखने को मिली थी. विशेष रूप से क्रूड ऑयल का आयात 2018-19 में 13.53 अरब डॉलर की तुलना में घटकर महज 1.4 अरब डॉलर रह गया था. भारत ने 2018-19 में लगभग 23.5 मिलियन टन ईरानी कच्चे तेल का आयात किया था.
सबसे अधिक ये चीज खरीदता है ईरान
इंडिया ईरान से कच्चे तेल के अलावा सूखे मेवे, रसायन और कांच के बर्तन खरीदता है. वहीं, भारत की ओर से ईरान को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख सामानों में बासमती चावल शामिल है. वित्त वर्ष 2014-15 से ईरान भारतीय बासमती चावल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश रहा है और वित्त वर्ष 2022-23 में 998,879 मीट्रिक टन भारतीय चावल खरीदा था. बासमती चावल के अलावा इंडिया ईरान को चाय, कॉफी और चीनी का भी निर्यात करता है.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
भारत ईरान रिश्तों को लेकर डिफेंस एक्सपर्ट रोबिंद्र सचदेव टीवी9 हिंदी को बताते हैं कि इस घटना से भारत और ईरान के ट्रेड बिजनेस पर कोई असर नहीं देखने को मिलेगा. उसका एक बड़ा कारण यह है कि भारत और ईरान का रिश्ता काफी पुराना है. दोनों काफी सालों से बिजनेस करते रहे हैं. उन्होंने हाल ही में हुई चाबहार डील पर भी बात की और कहा कि ईरान काफी समय से भारत के साथ चाबहार डील करना चाह रहा था. इसलिए इस पर भी कोई खास असर नहीं देखने को मिलेगा. हालांकि अगर मीडिल ईस्ट में इस घटना को लेकर टेंशन होती है तब बिजनेस पर थोड़ा असर देखने को मिलेगा और चाबहार के मैनेजमेंट और ऑपरेशन का काम थोड़ा डीले हो सकता है.