Raigarh News: ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी नागालैंड की गाड़ियां चल…- भारत संपर्क

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Raigarh News: ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी नागालैंड की गाड़ियां चल…- भारत संपर्क

भारत संपर्क न्यूज़ 21 मई 2024। नागालैंड से आई गाड़ियों का रायगढ़ में चलने का एक बड़ा खेल जिले में चल रहा है। परिवहन विभाग को काफी देर से यह पता चलने के बाद इन सारी 140 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन को सस्पेंड किया गया था। लेकिन सबसे बड़ी बात यह हैं कि स्थानीय परिवहन विभाग ने इन गाड़ियों को ब्लैक लिस्ट करने के बाद भी आरटीओ के अफसरों के सह पर ही यह सारी गाड़ियां अभी भी सड़कों पर चल रही है। इसमें ना तो आरटीओ का उड़नदस्ता ध्यान दे रहा है और ना ही अफसर या मैदानी कर्मचारी |

दरअसल बताया जाता हैं कि दो साल पहले यह सारी गाड़ियां जिले की सड़कों में एकाएक काफी संख्या में आई थी, काफी समय गुजर जाने के बाद आरटीओ को जब इसकी जानकारी मिली। राज्यस्तर में मामला उठा तो गाड़ियों को ब्लैक लिस्ट किया गया । दरअसल कई गाड़ियां बिना बीमा, फिटनेस, परमिट, टैक्स के जिलें की सड़कों में फर्राटे से चलती है। इसमें परिवहन विभाग आंखे मूंदे बैठा रहता है। रायगढ़ जिले में नागालैंड राज्य के नंबर वाली गाड़ियां रजिस्ट्रेशन के लिए आई। एनएल नंबर की इन गाडियों को एनओसी मिली थी। परिवहन अधिकारी ने एनओसी के आधार पर ही गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कर छत्तीसगढ़ का नंबर जारी कर दिया था।

प्रदेश के दूसरे शहरों में भी इसी तरह की गाड़ियां चलने की बातें सामने आई थी. इसके बाद राज्य स्तर की टीम जांच (ऑडिट) करने के लिए पहुंची थी । इसके बाद स्थानीय परिवहन विभाग का अमला जागा और अपना रिकार्ड खंगाला तो पता चला कि नागालैंड की 140 गाड़ियों को आरटीओ ने गाड़ी नंबर अलॉट कर दिया गया है।

आरसी टैक्स, परमिट की जांच नहीं

 आरटीओ ने इन नागालैंड की गाड़ियों का आरसी टैक्स, परमिट सहित अन्य दस्तावेजों को जांचे बिना गाड़ी मालिकों को छग का नंबर जारी कर दिया था।

परिवहन विभाग के अमले के दवारा कई बार इसी तरह की लापरवाही बरती जाती है और बाद में इसके दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। इस मामले में ऐसा ही देखने को मिला ।

विधानसभा में उठा मामला

बताया जाता हैं कि यह मामला इतना हाईप्रोफाईल हो गया हैं कि विधानसभा में यह मामला उठा है, कई विधायक आने वाले समय में इस मुद्दे को जोर शोर उठाने की तैयारी कर रहे है। क्योंकि रायगढ़ सहित राज्य के अन्य जिलों के भी इसी तरह का खेल हुआ है। इसलिए यह मामला हाईप्रोफाइल हो गया है, इसे जैसे तैसे कर मामले को दबा कर रखा जा रहा है।

बिना कुछ देखे अलॉट कर दिया था नंबर

सुत्रों की माने इन सबको देखे तो परिवहन विभाग ने बिना कुछ देखे ही इन गाड़ियों को नंबर अलॉट कर दिया गया, इसमें नंबर ऑबटन होंने के पहले गाड़ियों का भौतिक रूप में देखने के साथ गाड़ियों का फिटनेस सहित कई सारी बातों को देखना होता है, लेकिन बिना कुछ देखे ही इन सारी गाड़ियों के लिए नंबर का आबंटन कर दिया गया। यह गाड़ियां कब और कैसे आई, इन सबको देखा तक नहीं गया। नंबर जारी कर दिया गया, जब राज्य स्तर से जांच करने के लिए पहुंची तो आरटीओ अमला जागा और उसे गुपचुप तरीके से इन सारी गाड़ियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया।

 

बिना कुछ देखे अलॉट कर दिया था नंबर

सुत्रों की माने इन सबको देखे तो परिवहन विभाग ने बिना कुछ देखे ही इन गाड़ियों को नंबर अलॉट कर दिया गया, इसमें नंबर ऑबटन होंने के पहले गाड़ियों का भौतिक रूप में देखने के साथ गाड़ियों का फिटनेस सहित कई सारी बातों को देखना होता है, लेकिन बिना कुछ देखे ही इन सारी गाड़ियों के लिए नंबर का आबंटन कर दिया गया। यह गाड़ियां कब और कैसे आई, इन सबको देखा तक नहीं गया। नंबर जारी कर दिया गया, जब राज्य स्तर से जांच करने के लिए पहुंची तो आरटीओ अमला जागा और उसे गुपचुप तरीके से इन सारी गाड़ियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया।

 

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