18 दिनों में 45 हजार टन हुआ प्याज का निर्यात, फिर भी क्यों…- भारत संपर्क

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18 दिनों में 45 हजार टन हुआ प्याज का निर्यात, फिर भी क्यों…- भारत संपर्क
18 दिनों में 45 हजार टन हुआ प्याज का निर्यात, फिर भी क्यों नाराज हैं किसान?

Image Credit source: Unsplash

जब से प्याज के निर्यात से पाबंदी को हटाया गया है कि देश से 45 हजार टन प्याज निर्यात हो चुका है. उसके बाद भी प्याज उत्पादक खुश नहीं है. जिसके पीछे दो कारण, या यूं कहें कि निर्यात को लेकर लगाई दो शर्तें हैं. जिसमें मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस और 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी शामिल हैं. इन दो शर्तों की वजह से घरेलू बाजारों में प्याज की कीमतें प्रोडक्शन कॉस्ट से भी कम हो गई हैं और किसानों को मंडियों में घाटे में प्याज बेचना पड़ रहा है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किस तरह की खबरें सामने आ रही हैं.

कितना निर्यात हुआ प्याज

देश में मई की शुरुआत में प्याज के निर्यात से प्रतिबंध हटने के बाद 45,000 टन से अधिक प्याज का निर्यात किया गया है. दुनिया के सबसे बड़े सब्जी निर्यातक ने गत दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और फिर सुस्त उत्पादन के कारण कीमतों में वृद्धि के बाद मार्च में इसे बढ़ा दिया था. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा कि प्रतिबंध हटने के बाद से 45,000 टन से अधिक प्याज का निर्यात किया गया है. अधिकतर निर्यात पश्चिम एशिया और बांग्लादेश को किया गया.

प्याज के निर्यात पर लगाई दो शर्तें

सरकार ने चुनाव के दौरान प्याज की कीमतें कम रखने के लिए चार मई को प्रतिबंध हटा दिया था. हालांकि, प्रति टन पर 550 अमेरिकी डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया था. खरे ने कहा कि इस साल अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से जून से प्याज सहित खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसलों की बेहतर बुवाई सुनिश्चित होगी.

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सरकार ने कितना खरीदा प्याज

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों ने चालू वर्ष के लिए लक्षित 5,00,000 टन का भंडार (बफर स्टॉक) रखने के लिए हालिया रबी (सर्दियों) की फसल से प्याज की खरीद शुरू कर दी है. कृषि मंत्रालय के प्राथमिक अनुमान के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कम उत्पादन के कारण फसल वर्ष 2023-24 में देश का प्याज उत्पादन सालाना आधार पर 16 प्रतिशत घटकर 2.54 करोड़ टन रहने की उम्मीद है.

घाटे में किसान

वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र से जो खबर आई है, वो बेहद चौंकाने वाली है. किसानों को घाटा उठाकर मंडी में प्याज बेचनी पड़ रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक्सपोर्ट पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस और 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने से किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. मंडियों में प्याज की सप्लाई बढ़ गई है. जिसका असर कीमतों में देखने को मिल रहा है. मीडिया रिपोर्ट में किसानों का कहना है कि उन्हें लागत से भी कम कीमत पर प्याज बेचना पड़ रहा है. ताकि खरीफ फसलों की बुवाई के लिए पैसों को जुटाया जा सके.

कितनी है लागत और कितने हैं दाम

महाराष्ट्र एग्ररकल्चरल बोर्ड के मेंबर ने मीडिया ​रिपोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि 21 मई को छत्रपती संभाजी नगर में किसानों को प्याज का मिनिमम प्राइस दो रुपए किलो मिला. मैक्सीमम प्राइस 15 रुपए और एवरेज प्राइज 8.5 रुपए प्रति किलोग्राम था. ताज्जुब की बात तो ये है कि तीनों ही दाम प्याज के प्रोडक्शन कॉस्ट से भी कम है.

महाराष्ट्र के किसानों का दावा है कि उनकी लागत 18 से 20 रुपए प्रति किलोग्राम है. ऐसे में किसानों को एक किलो प्याज पर 20 रुपए से भी कम मिल रहा है वो नुकसान ही है. वहीं बात अकोला की करें तो मिनिमम प्राइस 8 रुपए, मैक्सीमम 16 और एवरेज 12 रुपए प्रति किलोग्राम है. जोकि प्रोडक्शन कॉस्ट से कम है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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