China Vs Taiwan: ड्रैगन ने शुरू की ड्रिल… चीन और ताइवान में जंग हुई तो कौन पड़ेगा… – भारत संपर्क

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China Vs Taiwan: ड्रैगन ने शुरू की ड्रिल… चीन और ताइवान में जंग हुई तो कौन पड़ेगा… – भारत संपर्क
China Vs Taiwan: ड्रैगन ने शुरू की ड्रिल... चीन और ताइवान में जंग हुई तो कौन पड़ेगा भारी?

ग्लोबल फायर इंडेक्स 2022 के अनुसार, चीन सैन्य ताकत के मामले में पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर है.

चार दिन पहले ही ताइवान में नए राष्ट्रपति विलियम लाई ने पद संभालने के साथ ही चीन से कहा था कि वह ताइवान को धमकियां देनी बंद करे. इसके साथ ही ताइवान के लोकतंत्र के अस्तित्व को स्वीकार करे. इस ड्रैगन की अलग ही प्रतिक्रिया सामने आई है. उसने ताइवान के आस-पास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है. चीन की सेना ताइवान की गतिविधियों को अलगाववादी बताने के साथ ही दो दिन के इस सैन्य अभ्यास को उसके लिए सख्त सजा बता रही है.

पिछले साल भी चीन ने ऐसा ही सैन्य अभ्यास किया था और ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसने की कोशिश की थी. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर दोनों में युद्ध हुआ तो कौन किस पर भारी पड़ेगा. आइए जान लेते हैं कि चीन और ताइवान की सैन्य ताकत कितनी है.

दुनिया में तीसरे नंबर पर है चीन की सैन्य ताकत

ग्लोबल फायर इंडेक्स 2022 के अनुसार, चीन सैन्य ताकत के मामले में पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर है और 142 देशों की सूची में उसकी फायरिंग क्षमता तीसरे नंबर पर है, जबकि ताइवान इस मामले में 21वें नंबर पर है. दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना चीन के पास ही है. उसकी वायु और थल सेना भी ताइवान के सामने काफी बड़ी और ताकतवर है. फिर भी 14 देशों की सीमाओं से घिरे चीन ने हर पड़ोसी देश को अपना दुश्मन बना रखा है. इसलिए चाहकर भी वह अपनी पूरी फौज केवल ताइवान पर हमले के लिए नहीं भेज सकता.

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10 लाख से भी ज्यादा सैनिक हैं चीन के पास

अमेरिकी मीडिया के हवाले से साल 2020 में कहा गया था कि चीन के पास 10,40,000 सैनिक हैं. वहीं, ताइवान के पास सैनिकों की केवल 88 हजार है. चीन की सेना 6300 टैंकों और 7000 तोपों से लैस है, वहीं ताइवान के पास केवल 800 से ज्यादा टैंक और 1100 तोपें हैं. मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन की सेना के पास 35 हजार बख्तरबंद वाहन हैं तो ताइवान के पास इनकी संख्या 3,472 है. मोबाइल रॉकेट छोड़ने वाले उपकरण भी चीन के पास ताइवान से कहीं ज्यादा है.

Taiwan China Military Drills

चीन ने ताइवान के चारों ओर मिलिट्री ड्रिल शुरू कर दी है.

समुद्री ताकत में भी ताइवान के मुकाबले आगे

समुद्र में भी चीन की ताकत ताइवान के मुकाबले कहीं ज्यादा है. चीन युद्ध में 32 विध्वंसक पानी के जहाज और 48 युद्धपोत तैनात कर सकता है. वहीं, ताइवान के पास सिर्फ 4 विध्वंसक जहाज और 22 युद्धपोत हैं. चीन के पास परमाणु क्षमता से लैस नौ और बैलिस्टिक मिसाइल वाली छह पनडुब्बियां हैं. ताइवान के पास डीजल से चलने वाली केवल दो पनडुब्बियां हैं, जबकि चीन के पास ऐसी पनडुब्बियों की संख्या 56 है. ताइवान के पास परमाणु और बैलिस्टिक पनडुब्बियां नहीं हैं.

हवाई हमले के मामले में भी ताइवान के मुकाबले चीन काफी ताकतवर है. ड्रैगन के पास 1600 लड़ाकू विमान हैं तो ताइवान के लड़ाकू विमानों की संख्या 400 ही है. चीन के पास 49 तो ताइवान के पास 22 फ्रिगेट्स हैं. चीन की सेनाओं के पास कुल 912 हेलिकॉप्टर हैं, जिनमें से 281 अटैक हेलिकॉप्टर हैं. वहीं, ताइवान के पास केवल 91 अटैक हेलिकॉप्टर हैं.

ड्रैगन लगातार बढ़ा रहा अपना रक्षा बजट

संख्या बल के मामले में अव्वल सेना वाले चीन की हथियारों की भूख कभी शांत होती नहीं दिखती है. वह लगातार अपने रक्षा बजट में वृद्धि कर रहा है. चीन का रक्षा बजट साल 2022 में 229 बिलियन डॉलर था. वहीं एशिया पैसिफिक डिफेंस रिपोर्टर ने दावा किया था कि ताइवान का सैन्य बजट 16.9 बिलियन डॉलर का है.

चीन को खुद का राज्य मानता है चीन

दरअसल, ताइवान को चीन खुद से अलग हो गया एक राज्य मानता है. चीन का यह भी दावा है कि ताइवान को आखिरकार एक दिन बीजिंग के नियंत्रण में आना ही है. उधर, ताइवान में स्वायत्तशासी सरकार है. इससे विस्तारवादी ड्रैगन हमेशा चिढ़ा रहता है. वैसे क्षेत्रफल और हथियारों के मामले में ताइवान जरूर चीन की तुलना में छोटा है, लेकिन उसकी फौज भी कम शक्तिशाली नहीं कही जा सकती है.

ताइवान ने अमेरिका से खरीदे हैं 60 फीसदी हथियार

ताइवान के पास मौजूद हथियारों में से 60 फीसदी केवल अमेरिका से खरीदा गया है. साथ ही ताइवान ने खुद के भी हथियार उद्योग को अच्छे से विकसित किया है. एक अनुमान यह है कि चीन की तुलना में भले कम हैं, लेकिन क्षेत्रफल के अनुसार ताइवान के पास दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा मिसाइलें हैं. ताइवान ने पेट्रियॉट एयर डिफेंस सिस्टम तक अमेरिका से खरीद रखा है, जो चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों के अलावा दूसरे हर तरह के हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है.

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