बांग्लादेश के तट से टकराया चक्रवात ‘रेमल’, 8 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर… – भारत संपर्क

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बांग्लादेश के तट से टकराया चक्रवात ‘रेमल’, 8 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर… – भारत संपर्क
बांग्लादेश के तट से टकराया चक्रवात 'रेमल', 8 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया

तूफान आने से पहले बांग्लादेश के समुद्र तट पर पानी में बिखरे अपने सामानों को इकट्ठा करता शख्सImage Credit source: PTI

बांग्लादेश ने चक्रवाती तूफान रेमल को देखते हुए जोखिम वाले इलाकों से 8 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. चक्रवाती तूफान की वजह से समुद्र में ऊंची लहरें उठने तथा देश के तटीय जिलों सतखीरा और कॉक्स बाजार क्षेत्र में भारी बारिश होने की संभावना है. चक्रवात ने रात लगभग 8:30 बजे (स्थानीय समय) बांग्लादेश के मोंगला और खेपुपारा तट के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से से होते हुए भारत के पश्चिम बंगाल तट को पार करना शुरू कर दिया.

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश मौसम विभाग (BMD) ने दक्षिण-पश्चिम वृहद बारीसाल के लिए अत्यधिक खतरे की चेतावनी जबकि चटगांव शहर सहित दक्षिण-पूर्वी तटीय क्षेत्रों के लिए अधिक खतरे की चेतावनी जारी की है. मौसम विभाग ने तटीय जिलों के निचले इलाके और उनके सटे द्वीप में सामान्य ज्वार से 08-12 फुट ऊंचा ज्वार आने से जलभराव की आशंका भी व्यक्त की है.

8 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया

आपदा प्रबंधन और राहत मंत्री मोहम्मद मोहिबुर रहमान ने बताया कि आठ लाख से अधिक लोगों को चक्रवात केंद्रों और अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि हमने चक्रवाती तूफान से निपटने के लिए तत्काल आधार पर सभी आवश्यक कदम उठाए हैं. सभी संबंधित संगठनों को चक्रवात का सामना करने के लिए समन्वित तरीके से काम करने के लिए कहा गया है.

बांग्लादेश की विमानन कंपनी बांग्लादेश एयरलाइंस ने चक्रवाती तूफान को देखते हुए रविवार को कॉक्स बाजार के लिए अपनी उड़ानें निलंबित कर रखी है. इसके अलावा, कोलकाता के लिए बीजी395 और बीजी391 की उड़ानें क्रमशः रविवार और सोमवार को निलंबित रहेंगी.

चक्रवात का नाम कैसे पड़ा रेमल?

हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की प्रणाली के अनुसार, मानसून-पूर्व मौसम में बंगाल की खाड़ी में यह पहला चक्रवात है और इसे ‘रेमल’ नाम दिया गया है, जिसका अरबी में अर्थ रेत होता है. चक्रवात की वजह से तटीय इलाकों में कई फीट ऊंची लहरें उठने का खतरा है. चक्रवात से निपटने के लिए 78,000 स्वयंसेवकों को तटीय जिलों में तैनाती की गई है.

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