RBI के डिविडेंड का इकोनॉमी पर क्या पड़ेगा असर? फिच की…- भारत संपर्क

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RBI के डिविडेंड का इकोनॉमी पर क्या पड़ेगा असर? फिच की…- भारत संपर्क
RBI के डिविडेंड का इकोनॉमी पर क्या पड़ेगा असर? फिच की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

भारतीय रिजर्व बैंकImage Credit source: File Photo

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने नई सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए का डिविडेंड देने का ऐलान किया था. अब इसको लेकर फिच रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि डिविडेंड राशि देश की जीडीपी के 0.6 प्रतिशत के बराबर है. आरबीआई के निदेशक मंडल ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2023-24 में हुए मुनाफे में से सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपए का डिविडेंड ट्रांसफर करने का निर्णय लिया था. यह अंतरिम बजट में निर्धारित 1.02 लाख करोड़ रुपए के अनुमान के दोगुने से भी अधिक है.

फिच ने जारी किया रिपोर्ट?

फिच ने बयान में कहा कि आरबीआई को पिछले वित्त वर्ष में अधिक लाभ होने के पीछे विदेशी सिक्योरिटीज पर अधिक ब्याज से हुए रेवेन्यू की भूमिका नजर आती है. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अभी तक इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया है. आरबीआई ने जीडीपी के 0.6 प्रतिशत के बराबर राशि सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड के रूप में देने की घोषणा की. यह वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट की अनुमानित जीडीपी के 0.3 प्रतिशत से अधिक है. इससे अधिकारियों को छोटी अवधि के घाटे में कटौती के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

फिच ने कहा कि रिजर्व बैंक से सरकार को डिविडेंड ट्रांसफर कई कारकों पर निर्भर करता है जिनमें केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट और भारत की विनिमय दर पर मौजूद संपत्तियों का आकार और प्रदर्शन शामिल हैं. इसके साथ ही यह बैलेंस शीट में बफर रखने से संबंधित आरबीआई की राय से भी प्रभावित हो सकता है. फिच ने कहा कि हम यह अनुमान नहीं लगा पाते हैं कि जीडीपी के हिस्से के रूप में डिविडेंड इतने उच्चस्तर पर कायम रहेगा. हालांकि, इस अप्रत्याशित डिविडेंड ट्रांसफर से चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य करे हासिल किया जा सकेगा और इसका उपयोग मौजूदा लक्ष्य से परे घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है.

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नई सरकार तय करेगी इसका कैसे होगा इस्तेमाल

चार जून को चुनाव परिणाम जारी होने के बाद नई सरकार का बजट जुलाई में पेश होने की संभावना है. उससे यह तय होगा कि इस डिविडेंड का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा. फिच ने कहा कि निरंतर घाटे में कमी, खासकर अगर टिकाऊ रेवेन्यू बढ़ाने वाले सुधारों पर आधारित हो, तो मध्यम अवधि में भारत की सॉवरेन रेटिंग के बुनियादी सिद्धांतों के लिए सकारात्मक होगा.

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