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डॉक्टर ने पर्यावरण के दुश्मन को बना दिया प्रकृति का दोस्त, महिला डॉक्टर दे रही पर्यावरण संरक्षण का संदेश, प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने की बजाय किया सदुपयोग
कोरबा। पर्यावरण के सबसे बड़े दुश्मन प्लास्टिक से निपटने के लिए प्रयास तो हो रहे हैं, पर जितनी गंभीरता इस विषय को लेकर होनी चाहिए थी, उतनी अभी नहीं दिख नहीं रही। अब भी हर गांव-गली में प्लास्टिक व पॉलीथिन की थैलियां इधर-उधर बिखरी नजर आती है। पर कुछ योद्धा ऐसे भी हैं, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कुछ अच्छा हो रहा है, यह उम्मीद जगाते हैं। इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ही प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं है। इसी थीम पर पिछले एक अरसे से डॉ मंजुला साहू स्वयं सक्षम बनकर प्रयास में जुटी हुई हैं। उन्होंने कोल्ड्रिंक के बाजार घर पहुंची प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने की बजाय सदुपयोग की ऐसी राह बनाई है, जिससे न केवल घर-आंगन की रोनक बढ़ गई, प्रकृति और पर्यावरण के लिए खतरा बन रहे इस प्लास्टिक के कचरे को कम करने का विकल्प भी सुझा रही हैं।
हसदेव ताप विद्युत संयंत्र (एचटीपीपी) पश्चिम स्थित विभागीय चिकित्सालय में वरिष्ठ चिकित्सक, प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ मंजुला साहू ने प्लास्टिक को बीट करने के लिए जहां दोस्त बनाकर दुश्मन को मात देने का फार्मूला इजाद किया है, वहीं पर्यावरण की रक्षा में योगदान का व्यवहारिक संदेश भी दे रहीं हैं। उन्होंने नई-पुरानी बेकार चीजों के पुन: उपयोग के साथ खूबसूरत रुप देने की ऐसी क्रिएटिव एक्टिविटी को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, जिससे प्लास्टिक की बोतलें फेंकनी न पड़े। डॉ मंजुला का कहना है कि हम पालीथिन का उपयोग न करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं और साथ में बाजार की प्लास्टिक के उचित इस्तेमाल से प्रकृति संरक्षण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं। कोल्ड्रिंक का बाजार इतना बड़ा है, जिसकी वजह से लाखों बोतलें सडक़ों पर फेंक दी जाती हैं। हमने अपने इस प्रयास के माध्यम से इन बोतलों का सदुपयोग करने एक राह बनाने की कोशिश की, तो वेस्ट से बेस्ट सामने आ गया। घरों में बोतलें फेंकने की बजाय पक्षियों के पानी के लिए, पौधों के गमले के लिए व अन्य कई तरह उपयोग में लेनी चाहिए।
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पर्यावरण संरक्षण आदत मे शुमार
डॉ.मंजुला का कहना है कि पर्यावरण की रक्षा किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है। यही ध्येय रखते हुए उनका परिवार छोटे-छोटे कामों के लिए वाहनों का उपयोग नहीं करता, बल्कि हॉस्पिटल भी पैदल चलकर ही जाते हैं। घर से थैला लेकर चलना पुरानी आदत है। कुछ सामान अभी भी पालीथिन में पैक आता है, लेकिन मेरा प्रयास यह रहता है कि प्लास्टिक की थैलियां कम से कम घर में पहुंचे। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने ग्रह की देखभाल करें और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए अधिक टिकाऊ जीवन शैली अपनाएं। निश्चित तौर पर हमारे घर में अभिनव और सुंदर फूलों के बर्तनों के रूप में उपयोग करने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का पुन: उपयोग करना इस दिशा में एक उत्कृष्ट पहल है।
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कलाकृति ऐसी कि ठहर जाए नजर
इस विधि से घर की सजावट एक उपचारात्मक अनुभव हो सकता है, अगर इसमें पौधे शामिल हो जाएं तो क्या कहना। इसके लिए कुछ प्लास्टिक की बोतल के फूलों के बर्तन के अ?द्भुत डिजाइन जैसे विचार एक रचनात्मक और टिकाऊ तरीके की हमारी तलाश पूरी करते हैं। सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली प्लास्टिक की बोतल से फूलों के बर्तन, अजीब वा जानवरों की आकर्षक आकृति में उकेरना, बिल्ली के बच्चे या खरगोश की झलक उम्दा प्रदर्शन हो सकते हैं, जो डॉ मंजुला ने कर के दिखाया है। एक सिंगल फ्लावर पॉट बनाने के लिए पूरी प्लास्टिक की बोतल का उपयोग करना अनावश्यक है। आप उन्हें मिट्टी से भर सकते हैं और अपने पसंदीदा फूल लगा सकते हैं।