NATO से टकराव के बीच तालिबान से रिश्ते सुधारने में क्यों जुटा है रूस? | russia… – भारत संपर्क

0
NATO से टकराव के बीच तालिबान से रिश्ते सुधारने में क्यों जुटा है रूस? | russia… – भारत संपर्क
NATO से टकराव के बीच तालिबान से रिश्ते सुधारने में क्यों जुटा है रूस?

व्लादिमीर पुतिन और हैबुतुल्लाह अखुनज़ादा

अफगानिस्तान की सत्ता 2021 से तालिबान के हाथों में है. जिसके बाद दुनिया के कई बड़े देशों ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से इनकार किया है. पिछले तीन सालों से अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों से अछूता रहा है. अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने तालिबान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं और अफगान के फॉरेन रिजर्व को भी सीज किया हुआ है. उधर, यूक्रेन से युद्ध लड़ रहा रूस भी इसी तरह के पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. रूस एक तरफ यूक्रेन से युद्ध लड़ रहा है और उसके खिलाफ नाटो देशों की ताकतें लगी हुई हैं. दूसरी तरफ, रूस पश्चिमी विरोधी देशों से अपने रिश्ते मजबूत करने में जुटा है. अब रूस ने तालिबान से रिश्ते बनाने के शुरुआत कर दी है.

रूस की इस पहल की हिमायत करते हुए विदेश रूसी मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने तालिबान से नजदीकियां बढ़ाने को देश के लिए फायदेमंद बताया है.

ये भी पढ़ें

रूस की तालिबान से बढ़ती नजदीकियों पर कई पत्रकारों ने आपत्ति जताई थी. जिसका जवाब देते हुए मारिया ने कहा कि ड्रग तस्करी और आतंकवाद से लड़ने के लिए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से संबंध बनाना जरूरी है.

“आतंकवाद से लड़ने के लिए तालिबान का साथ जरूरी”

रूस की TASS न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मारिया ज़खारोवा ने अपने बयान में कहा है, “कुछ ब्लॉगर और पत्रकार तालिबान से बातचीत पर घबराहट में प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जो लोग इन मुद्दों के बारे में नकारात्मक लिख रहे हैं, वे यह नहीं समझते हैं कि नशीले पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद और संगठित अपराध से लड़ने जैसी समस्याओं को हल करने के लिए तालिबान से संपर्क जरूरी है और यह हमारे हित में है.”

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने रूसी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी की प्रशंसा की और कहा कि इस्लामिक अमीरात दुनिया के सभी देशों के साथ जुड़ना चाहता है. मुजाहिद ने दुनिया दूसरे देशों से भी अफगानिस्तान के साथ रिश्ते सामान्य करने की अपील की है. मुजाहिद के मुताबिक, अफगानिस्तान को देशों के साथ सहयोग और सकारात्मक संपर्क की आवश्यकता है.

पश्चिमी देश की तालिबान से दूरी और रूस से विवाद

अफगान में तालिबान के तीन सालों के शासन के बाद भी पश्चिमी देश तालिबान को काबुल की सरकार के रूप में मान्यता नहीं दे रहे हैं. वहीं युक्रेन युद्ध के बाद से ही नाटो देश रूस के खिलाफ एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं. ऐसे में रूस और तालिबान का साथ आना पश्चिमी देशों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. रूस पहले ही अमेरिकी लाइन से अलग चलने वाले देश जैसे चीन, ईरान, नॉर्थ कोरिया से अपने रिश्ते मजबूत कर चुका है.

तालिबान के करीब आते देश

तालिबान को अफगानिस्तान का कंट्रोल लिए करीब 3 साल का वक्त बीत गया है. चीन तालिबान के साथ संबंध बनाने वाले शुरुआती देशों में से एक है. चीन की कई बड़ी कंपनियां इस वक्त तालिबान सरकार के साथ काम कर रही हैं. हाल ही में UAE के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने तालिबान नेता सिराजुद्दीन हक्कानी से मुलाकात की है. वहीं सेंट्रल एशिया के कई देश तालिबान सरकार के साथ संबंध स्थापित कर रहे हैं.

दूसरी ओर ईरान के साथ भी तालिबान की नजदीकियां बढ़ रही हैं. तालिबान को कट्टर सुन्नी गुट माना जाता है और उसपर शिया मुस्लिम के खिलाफ हमलों का भी आरोप लगा है. इस साल मार्च में भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी जितेंद्र पाल सिंह ने अफगान विदेश मंत्री आमिर मुतक्की से मुलाकात की थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अब OTT पर आई राजकुमार राव की गैंग्सटर फिल्म Maalik, बॉक्स ऑफिस पर बुरा रहा था… – भारत संपर्क| रनिंग रूम में हादसा टला, गिरते पंखे से मच्छरदानी ने बचाई…- भारत संपर्क| ’15 लाख दे नहीं तो रेप केस में फंसा दूंगी…’, दो महीने से घर के बाहर कर रह… – भारत संपर्क| पटना: JEE की तैयारी कर रहे छात्र ने किया सुसाइड, फंदे से लटका मिला शव,…| झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए… भारत को लेकर अचानक कैसे बदले ट्रंप के सुर? – भारत संपर्क