ना शरीफ…ना इमरान, गधे बदलेंगे पाकिस्तान! ये है कारण |…- भारत संपर्क

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ना शरीफ…ना इमरान, गधे बदलेंगे पाकिस्तान! ये है कारण |…- भारत संपर्क
ना शरीफ...ना इमरान, गधे बदलेंगे पाकिस्तान! ये है कारण

पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले पाकिस्तान में गधों की संख्या में इजाफा हुआ है.

पाकिस्तान की इकोनॉमी के खस्ता हालात के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है. महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. अब पाकिस्तान को आखिरी उम्मीद ‘गधोंं’ से है, जो उसकी इकोनॉमी को सुधारने का दम रखते हैं. पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे में एक बात निकलकर सामने आई है, जो गधों के बारे में और बेहद चौंकाने वाली है. आप भी पाकिस्तान की इकोनॉमी और गधों का ये कनेक्शन देखकर हैरान रह जाएंगे.

पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे में चौंकाने वाली बात ये है कि यहां पर गधों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 1.72 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. खास बात ये है कि पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए गधे काफी अहम हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए गधे आखिरी उम्मीद की तरह हैं.

गधों की संख्या में इजाफा

कृषि प्रधान देश पाकिस्तान में पशुधन पर जारी फ्रेश आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश में गधों की संख्या 1.72 फीसदी बढ़कर 59 लाख हो गई है. मंगलवार को पाकिस्तान इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 जारी किया गया जिसमें मौजूदा वित्त वर्ष में प्रमुख आर्थिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है. इसमें दिखाया गया है कि देश में गधों की संख्या बढ़ रही है.

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पीईएस में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि ‘बोझ ढोने वाले जानवरों’ की संख्या 2019-2020 में 55 लाख थी. यह संख्या 2020-21 में 56 लाख, 2021-22 में 57 लाख और 2022-23 में 58 लाख थी, जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 59 लाख हो गई है. इसमें कहा गया है कि घोड़े और खच्चरों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में कोई खास बदलाव नहीं आया है, तथा यह क्रमशः चार लाख और दो लाख है.

पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए क्यों जरूरी?

गधे कई पाकिस्तानियों की आखिरी उम्मीद हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. ग्रामीण इलाकों में अर्थव्यवस्था इन जानवरों के साथ गहरे से जुड़ी हुई है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब द्वारा जारी किए गए इस सर्वेक्षण में अन्य पशुधन का भी ब्यौरा दिया गया है. देश में ऊंटों की संख्या जो पिछले चार वर्षों से स्थिर थी, अब बढ़ गई है. इनकी संख्या पिछले वित्त वर्ष के दौरान 11 लाख से बढ़कर अब 12 लाख हो गई है. पशुपालन पाकिस्तान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवार पशुधन उत्पादन में लगे हुए हैं.

ग्रोथ से चूका पाकिस्तान

इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार पाकिस्तान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 3.5 फीसदी के अपने इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के टारगेट से चूक गया है. पाकिस्तान की ग्रोथ बीते एक साल में 2.38 फीसदी रही है. इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार पाकिस्तान की ग्रोथ रेट के टारगेट में चूक की प्रमुख वजह इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर का खराब प्रदर्शन है.

पाकिस्तान के वित्त मंत्री के अनुसार कृषि सेक्टर ने 3.5 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 6.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर बाकी सभी क्षेत्रों से बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, औद्योगिक विकास की वृद्धि दर सिर्फ 1.21 फीसदी रही. सर्विस सेक्टर ने भी 3.6 फीसदी लक्ष्य के मुकाबले 1.21 प्रतिशत की ही वृद्धि दर हासिल की. औरंगजेब ने कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर पिछले 19 सालों की सर्वाधिक वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि का प्रमुख जरिया बनकर उभरा है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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