इस मामले में पाकिस्तान हुआ फेल, बजट से पहले सामने आया पूरा…- भारत संपर्क

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इस मामले में पाकिस्तान हुआ फेल, बजट से पहले सामने आया पूरा…- भारत संपर्क
इस मामले में पाकिस्तान हुआ फेल, बजट से पहले सामने आया पूरा खेल

पाकिस्तान ने अपना बजट पेश करने से पहले अपने इकोनॉमी के आंकड़ें जारी किए हैं.

पाकिस्तान की इकोनॉमिक हालत हर कोई जानता है. पाकिस्तान का बजट पेश होने वाला है. उससे पहले पाकिस्तान की इकोनॉमिक तस्वीर सामने आई है. उसमें वो एक मामले में पूरी तरह से फेल होता नजर आया है. पाकिस्तान ने जो इकोनॉमिक रफ्तार का आंकड़ा सेट किया था, उसे हासिल करने में पाकिस्तान फेल हो गया है. इस फेल्योर का सबसे बड़ा कारण इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर का खराब प्रदर्शन है.

मई के महीने में पाकिस्तान के महंगाई के आंकड़ें सामने आए थे. जिसमें काफी सुधार देखने को मिला था. जिसके बाद जून के महीने में सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने पॉलिसी रेट में भी कटौती की है. पाकिस्तान का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले उनकी इकोनॉमी में थोड़ा सुधार देखने को जरूर मिला है. लेकिन वो ग्रोथ के आंकड़ें से चूक गए हैं. आइए देखते हैं कि आखिर पाकिस्तान की ओर से किस तरह के आंकड़ें पेश किए गए हैं.

पाकिस्तान हुआ फेल

पाकिस्तान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 3.5 फीसदी का अपना वृद्धि दर लक्ष्य हासिल करने से चूक गया है और उसकी वृद्धि दर सिर्फ 2.38 फीसदी ही रही है. पाकिस्तान सरकार ने बजट पेश करने के एक दिन पहले वित्त वर्ष 2023-24 का आर्थिक समीक्षा जारी करते हुए कहा कि जुलाई 2023-जून 2024 के दौरान पाकिस्तान की इकोनॉ​मी 2.38 फीसदी की दर से बढ़ी है. वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने एक संवाददाता सम्मेलन में इसे पेश किया.

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समीक्षा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तविक जीडीपी लक्ष्य से कम रहने के बावजूद सरकार के विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन और क्रमिक आर्थिक सुधारों के कारण सकारात्मक दायरे में आ गई। वित्त वर्ष 2022-23 में पाकिस्तान की जीडीपी की नकारात्मक वृद्धि रही थी. यह वृद्धि निवर्तमान वर्ष के लिए अनुमानित लक्ष्य 3.5 प्रतिशत से कम रही और सरकार इसे हासिल करने में विफल रही, जिसका मुख्य कारण उद्योगों और सेवा क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन था.

किस सेक्टर ने कैसा किया प्रदर्शन

पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र ने 3.5 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 6.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर बाकी सभी क्षेत्रों से बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, औद्योगिक विकास की वृद्धि दर सिर्फ 1.21 प्रतिशत रही. सेवा क्षेत्र ने भी 3.6 प्रतिशत लक्ष्य के मुकाबले 1.21 प्रतिशत की ही वृद्धि दर हासिल की. औरंगजेब ने कहा, कृषि क्षेत्र पिछले 19 वर्षों की सर्वाधिक वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि का प्रमुख जरिया बनकर उभरा है.

आलोच्य अवधि में राजकोषीय घाटा 3.7 प्रतिशत दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष के समान ही है. इस दौरान पाकिस्तान का व्यापार घाटा 4.2 प्रतिशत पर रहा. पाकिस्तान सरकार बुधवार को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करने वाली है. पाकिस्तान का वित्त वर्ष जुलाई से शुरू होकर जून तक चलता है.

भारत की ग्रोथ रेट दुनिया में सबसे ज्यादा

वहीं दूसरी ओर भारत की बात करें तो भारत का जीडीपी की ग्रोथ रेट पिछले वित्त वर्ष में 8.2 फीसदी देखने को मिली थी. जोकि अनुमान से काफी ज्यादा थी. जबकि चौथी तिमाही में भारत की ग्रोथ 7.6 फीसदी रही थी. जो पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही के मुकाबले काफी कम देखने को मिली थी. हाल ही में आरबीआई ने अपनी एमपीसी में वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी रखा है, जोकि बीते वित्त वर्ष के आंकड़ों के मुकाबले करीब एक फीसदी कम है. जानकारों की मानें तो जिस तरह से भारत सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर का साइज है, उससे यही लग रहा है कि भारत अपने इस टारगेट से काफी आगे निकल जाएगा.

वर्ल्ड बैंक ने भी की सराहना

वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड बैंक ने भी भारत की इकोनॉमी की सराहना की है. वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत अगले तीन वर्षों में 6.7 फीसदी की स्थिर वृद्धि दर्ज करते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. विश्व बैंक की नवीनतम वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि बढ़कर 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह विश्व बैंक के जनवरी में जताए गए पिछले अनुमान से 1.9 प्रतिशत अधिक है.

रिपोर्ट कहती है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बना रहेगा लेकिन इसके विस्तार की रफ्तार धीमी होने की संभावना है. वित्त वर्ष 2023-24 में उच्च वृद्धि के बाद 2024-25 से शुरू होने वाले तीन वित्त वर्षों के लिए औसतन 6.7 प्रतिशत प्रति वर्ष की स्थिर वृद्धि का अनुमान है. विश्व बैंक ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति सितंबर, 2023 से ही रिजर्व बैंक के दो-छह प्रतिशत के निर्धारित दायरे के भीतर बनी हुई है. हालांकि, दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत को छोड़कर क्षेत्रीय मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर से नीचे होने के बावजूद अधिक बनी हुई है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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