वादा हो तो ऐसा… गांव की सरपंच बच्चों को सिखा रहीं अंग्रेजी, नहीं लेतीं एक… – भारत संपर्क

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वादा हो तो ऐसा… गांव की सरपंच बच्चों को सिखा रहीं अंग्रेजी, नहीं लेतीं एक… – भारत संपर्क

सरपंच ने पूरा किया अपना वादा
वादा हो तो ऐसा जो गांव में शिक्षा जगत को रोशन करें. चुनाव के वक्त हर प्रत्याशी लोभ लुभावने वायदे करते हैं और चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. लेकिन एमपी के बालाघाट जिले की ग्राम पंचायत चरेगांव सरपंच ने चुनाव में जो वादा किया उसे निभाया भी. उन्होंने वादा किया था की वह चुनाव जीतेंगे तो बच्चों को अग्रेंजी भाषा सिखायेंगी. चुनाव जीतने के बाद महिला सरपंच ने ग्राम पंचायत भवन में ही बच्चों को अग्रेंजी भाषा सीखाने के लिए कोचिंग खोल दी.
चरेगांव की सरपंच हर रोज सुबह दो घंटे बच्चों को अग्रेंजी भाषा सीखाने का भरपूर प्रयास कर रही हैं. जिले में इस साल के बोर्ड परीक्षा के आए परिणामों में अंग्रेजी बच्चों की परेशानी थी. इसलिए सरपंच हर दिन लगभग 25 से 30 छात्र-छात्राओं को निशुल्क अंग्रेजी की कोचिंग दे रही हैं. बालाघाट जनपद पंचायत के गांव पंचायत चरेगांव की सरपंच मीना पुरुषोत्तम बिसेन अपने गांव में सुबह 9 बजे से 12 बजे तक पंचायत भवन में अंग्रेजी की कोचिंग क्लास दे रहीं हैं.
पहले प्रिंसिपल थीं सरपंच
गांव के गरीब बच्चों को अग्रेंजी भाषा सीखने में होने वाली परेशानियों को देखते हुए सरपंच ने अब अंग्रेजी भाषा में परिपक्व कर गांव के बच्चों को शहर तक पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया है. महिला सरपंच की यह अनोखी पहल एक मिसाल के तौर पर देखी जा रही है. आपको बता दें की सरपंच मीना पुरुषोत्तम बिसेन सरपंच बनने के पहले बालाघाट के टैगोर मोंटेसरी हायर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर थी.
संकल्प पत्र में किया था वादा
मीना छात्र-छात्राओं को इंग्लिश पढ़ाया करती थीं. लेकिन, उन्होंने अपने गांव के बारे में सोचा और अपने पद से इस्तीफा देकर ग्राम के विकास और ग्राम के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का संकल्प लिया. मीना बिसेन ने पंचायत चुनाव लड़ा और वो जीतकर सरपंच बन गईं. मीना ने चुनाव के दौरान अपने संकल्प पत्र में निशुल्क शिक्षा देने का जिक्र किया था. अब मीना अपने वादे के अनुसार गांव और आसपास के बच्चों को निःशुल्क अंग्रेजी शिक्षा देने का काम कर रही हैं.
18 सालों तक शिक्षा विभाग से जुड़ी थीं सरपंच
माहिल सरपंच मीना बिसेन ने कहा कि वह करीब 18 सालों तक शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई थीं. प्राइवेट स्कूल में प्रिंसिपल पद पर रहीं, उन्होंने सोचा की जब वह सरपंच बनेंगी तो उसी शिक्षा की सीख गांव के बच्चों को शिक्षित करने में देंगी. उन्होंने कहा की यही उनकी सोच है, इसलिए उन्होंने एक मार्च से पंचायत भवन में इंग्लिश कोचिंग शुरू कर दी. अभी गर्मी और शादी के चलते करीब 25 से 30 बच्चें ही आ रहें हैं. उन्होंने कहा कि अगर गांव के बच्चों को सही मार्गदर्शन मिल जाए तो वह अपने सपने पुरे कर सकते हैं क्योंकि गांव के बच्चे बहुत प्रतिभावनसाली हैं.

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