एक तरफ महाकाल की सवारी तो एक तरफ बजेंगे 1500 डमरू; उज्जैन में कब दिखेगा ये … – भारत संपर्क

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एक तरफ महाकाल की सवारी तो एक तरफ बजेंगे 1500 डमरू; उज्जैन में कब दिखेगा ये … – भारत संपर्क

डमरू बजाते महाकाल के भक्त.
वैसे तो धार्मिक नगरी उज्जैन में अब तक कई विश्व रिकॉर्ड बनाया जा चुके हैं, लेकिन आने वाले 5 अगस्त 2024 को बाबा महाकाल की तीसरी सवारी के दौरान एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा, जिसकी तैयारी को लेकर प्रशासन अभी से जुट चुका है. इस विश्व रिकॉर्ड के लिए अभी से तैयारी जारी हैं. यह आयोजन कहां होगा, इसमें कितने कलाकार शामिल होंगे और कलाकार कहां-कहां से आएंगे. इनकी संख्या के निर्धारण के लिए एक समिति का गठन भी कलेक्टर द्वारा किया जा चुका है.
श्रावण-भादो मास में बाबा महाकाल की सवारी और भी भव्यता के साथ निकले, इसी कामना के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार इस सवारी को भव्यता प्रदान करने में लगे हुए हैं. अब तक निकाली गई बाबा महाकाल की दो सवारी में लोक नृत्यों के साथ ही इस सवारी में 350 सदस्यीय पुलिस बैंड के द्वारा पहली बार प्रस्तुति दी गई, लेकिन आने वाले 5 अगस्त 2024 को निकाली जाने वाली श्रावण मास की तीसरी सवारी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद उपस्थित रहेंगे. इस दिन एक विश्व रिकॉर्ड बनाया जाने वाला है.
बताया जाता है कि यह विश्व रिकॉर्ड कुछ अनोखा होगा. इस विश्व रिकॉर्ड के दौरान भगवान शिव को अति प्रिय डमरू का वादन किया जाएगा, जिसको लेकर उज्जैन ही नहीं बल्कि भोपाल से भी बड़ी संख्या में डमरू वादक उज्जैन पहुंचेंगे.
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पहली बार हो रहा ऐसा आयोजन
याद रहे कि शहर में एक साथ 1500 डमरू बजाने के विश्व रिकॉर्ड का आयोजन पहली बार होने जा रहा है, जबकि डमरू तो बाबा महाकाल को अति प्रिय है. एक ओर बाबा महाकाल की सवारी और दूसरी ओर डमरू बजाकर बाबा महाकाल की आराधना… श्रावण के तीसरे सोमवार पर इस प्रकार का आयोजन वाकई में शिव भक्तों के लिए देखने लायक रहेगा. बताया जाता है कि इस दिन विश्व रिकॉर्ड की टीम के अधिकारी मौजूद रहेंगे और लगभग 10 मिनट तक यह प्रस्तुति होगी.
भजन मंडलियों को भी किया जाएगा शामिल
डमरू बजाने के इस विश्व रिकॉर्ड के दौरान उज्जैन और भोपाल के कलाकारों के साथ ही बाबा महाकाल की सवारी में निकलने वाली भजन मंडलियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा. उज्जैन DM नीरज कुमार सिंह ने बताया कि डमरू वादन के लिए हमने एक लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसको लेकर हमने तैयारी करना भी शुरू कर दिया है. एक समिति का गठन किया गया है, जो कि यह निश्चित करेगी कि इस आयोजन का स्थान क्या होगा, इसमें अधिक से अधिक कितने डमरू वादक शामिल होंगे, साथ ही डमरू का वादन सवारी के साथ और सवारी के दौरान आखिर किस प्रकार से किया जाएगा?

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