पूजा खेडकर ने कैसे किया सर्टिफिकेट का खेल? UPSC ने बताई सच्चाई | Trainee IAS…
ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को यूपीएससी ने बर्खास्त कर दिया है.Image Credit source: PTI
संघ लोक सेवा आयोग के पास अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है और न ही यूपीएससी के पास इसका कोई साधन है. ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर मामले में आयोग ने यह जानकारी दी है. नियमों के उल्लघंन के मामले में दोषी पाए जाने पर यूपीएससी ने पूजा खेडकर को बर्खास्त कर दिया था. साथ ही उन्हें ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है.
यूपीएससी ने खेडकर मामले में बयान जारी करते हुए कहा कि उसके पास अभ्यर्थियों के कैटेगरी और अन्य सर्टिफिकेट की जांच करने का कोई अधिकार और साधन नहीं है. आयोग ने कहा कि वह प्रमाण-पत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है, जैसे कि क्या प्रमाण-पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, प्रमाण-पत्र किस वर्ष का है, प्रमाण-पत्र जारी करने की तिथि, क्या प्रमाण-पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है, प्रमाण-पत्र का प्रारूप आदि.
आम तौर पर यदि प्रमाण-पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, तो उसे असली मान लिया जाता है. यूपीएससी के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए जाने वाले हजारों प्रमाण-पत्रों की सत्यता की जांच करने का न तो अधिकार है और न ही साधन. हालांकि यह समझा जाता है कि प्रमाण-पत्रों की सत्यता की जांच और सत्यापन कार्य के लिए नियुक्त प्राधिकारी द्वारा किया जाता है.
सर्टिफिकेट में किया खेल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूजा खेडकर ने फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट दिया था और उन्होंने अपना और अपने माता-पिता का नाम भी बदला था. आयोग ने नियमों के उल्लघंन मामले में उन्हें दोषी पाया है. जिसके बाद उन्हें बर्खास्त करते हुए यूपीएससी ने ब्लैक लिस्ट कर दिया. अब वह भविष्य में संघ लोक सेवा आयोग की किसी भी परीक्षा में नहीं शामिल हो सकती हैं.
क्या था पूजा खेडकर का विवाद?
ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर महाराष्ट्र के पुणे में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात थी. ज्वाइन करते हुए उन्होंने पुणे कलेक्टर से अलग केबिन, लाल बत्ती वाली गाड़ी और घर की मांग की, जिसकी शिकायत पुणे कलेक्टर ने उच्च स्तर पर की और उनका तबादला वासिम कर दिया गया था. उसके बाद खेडकर पर फर्जी तरीके से आईएएस बनने के आरोप लगने लगे और उन्हें वापस लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी बुला लिया गया था.
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