बृजभूषण के खिलाफ प्रोटेस्ट से ओलंपिक के पदक तक, विनेश फोगाट ने ऐसे लिया अपम… – भारत संपर्क

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बृजभूषण के खिलाफ प्रोटेस्ट से ओलंपिक के पदक तक, विनेश फोगाट ने ऐसे लिया अपम… – भारत संपर्क

सड़क पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली विनेश ने मैट पर देश का नाम रोशन कर हर किसी को जवाब दिया है.Image Credit source: PTI
वक्त हमेशा बदलता ही है… चाहे अच्छे से बुरे में बदले या बुरे से अच्छे में, लेकिन बदलता जरूर है. करीब एक-सवा साल पहले की ही बात है. नई दिल्ली की सड़कों पर भारत के दो ओलंपिक मेडलिस्ट न्याय के लिए आवाज उठाते हुए जूझ रहे थे. वो देश की उस नई संसद की ओर जाने की कोशिश कर रहे थे, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे. वही संसद, जो देश की जनता का प्रतिनिधित्व करती है. उसी संसद की ओर कुछ ऐसे लोग बढ़ रहे थे, जो पिछले कई सालों से देश का मान बढ़ा रहे थे लेकिन तब पुलिस ने उन्हें रोक लिया था. काफी संघर्ष हुआ और पुलिस से टकराव में वो लोग सड़क पर गिर पड़े. कोई उनके कपड़े खींच रहा था, कोई बाल और किसी ने ताकत के जोर से उन्हें उठने नहीं दे रहा था. सड़क पर इस बर्ताव को बर्दाश्त कर रहे थे विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया.
28 मई 2023 को नई दिल्ली में हुई उस घटना के 14 महीने और करीब 9 दिन बाद इनमें से एक नाम भारत की शान की वजह बन गया. ये नाम है- विनेश फोगाट. मंगलवार 6 अगस्त की रात पूरे देश की नजरें टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर लगी हुई थीं क्योंकि पेरिस ओलंपिक में भारत की स्टार पहलवान विनेश फोगाट रेसलिंग के फाइनल में जगह बनाने के लिए जूझ रही थीं. उनके सामने क्यूबा की रेसलर गुजमन लोपेज थीं. सिर्फ 6 मिनट तक चलने वाले रेसलिंग मैच में विनेश ने 5-0 से जीत दर्ज करते हुए फाइनल में जगह बना ली. इसके साथ ही इन ओलंपिक में भारत के चौथे मेडल पर मुहर लग गई.
सवाल उठे, आरोप लगे, नफरत फैलाई गई
विनेश फोगाट किसी भी ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला रेसलर बन गईं. इसके साथ ही ये तय हो गया कि विनेश इस ओलंपिक से मेडल लेकर ही लौटेंगी. लेकिन एक हफ्ते 6 अगस्त से 24 घंटे पहले भी देश में ही एक बड़ा तबका ऐसा था, जिन्हें विनेश पर यकीन नहीं था. या कहें जो विनेश पर यकीन करना नहीं चाहते थे क्योंकि उन्होंने विनेश को एक चुका हुआ रेसलर मान लिया था, एक मौकापरस्त एथलीट मान लिया था, झूठ बोलने वाला और राजनीति करने वाला एथलीट मान लिया था, जो सिर्फ भारतीय रेसलिंग में किसी और को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती थी. ये सब विनेश से नफरत करने लगे थे और इसकी वजह थी विनेश का अपने और अपनी साथी महिला पहलवानों की हक के लिए आवाज उठाना. ऐसे ही हेटर्स के लिए विनेश ने कहा भी था- “मेरे हेटर्स, मेरे पास तुम्हारे लिए बहुत कुछ है, जिससे तुम गुस्सा हो सको, बस थोड़ा धैर्य रखो.”

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— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) March 12, 2024

बृजभूषण के खिलाफ खोला मोर्चा
इस सबकी शुरुआत जनवरी 2023 में हुई थी, जब विनेश, साक्षी और बजरंग ने कई युवा महिला पहलवानों के साथ मिलकर नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर अचानक मोर्चा खोल दिया था. ये मोर्चा खुला था रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ, जिन पर विनेश-साक्षी समेत कई महिला रेसलरों ने छेड़खानी, यौन शोषण और मनमानी का आरोप लगाया था. उन्होंने तुरंत ही बृजभूषण को हटाने की मांग की. जनवरी की उस सर्द दोपहर को शुरू हुए इस आंदोलन ने देश में एक तूफान खड़ा कर दिया. किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि भारत की शान कहे जाने वाले खिलाड़ी न्याय के लिए इस तरह सड़कों पर उतर पड़ेंगे.
कुछ दिनों के आंदोलन के बाद आखिरकार तत्कालीन खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने विनेश समेत पहलवानों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को माना जाएगा. कुछ कमेटी बनाई गईं, कुछ एक्शन होता दिखा लेकिन बृजभूषण शरण सिंह इन आरोपों को झूठ बताते हुए अपने पद पर टिके रहे. फिर कुछ दिनों तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा और मामला अचानक सुस्त पड़ता गया. कोई सख्त एक्शन न होता देख अप्रैल के अंत में एक बार फिर रेसलर जंतर-मंतर पर पहुंच गए और इस बार लंबा धरना शुरू हो गया. पुलिस के पास शिकायत दी गई लेकिन आरोप लगा कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. इसके बाद खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट गए, जिसके बाद कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.
पुलिस से टकराव, झेला अपमान
इस दौरान धरना भी चलता रहा और बीच-बीच में पुलिस से टकराव भी हुआ. फिर 28 मई को नई संसद के उद्धाटन की शाम खिलाड़ियों का पुलिस से टकराव हो गया और इसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. विनेश समेत पहलवानों के पक्ष में कई आवाजें उठीं लेकिन उनके खिलाफ भी उतने ही लोग थे, जो राजनीतिक आधार पर बृजभूषण का समर्थन कर रहे थे. इसके बाद से ही मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है, बयान दर्ज हुए हैं, पूछताछ हुई है लेकिन विनेश को तो इन सबसे अलग अपनी रेसलिंग पर भी ध्यान लगाना था. इसी कोशिश में वो अगस्त में चोटिल हो गईं और कई दिनों तक एक्शन से बाहर रहीं.
अब ओलंपिक में दिया जवाब
यहां तक कि इस साल की शुरुआत में क्वालिफिकेशन को लेकर भी विनेश को कई तरह का विरोध झेलना पड़ा और जब अपनी फेवरेट 53 किलोग्राम की कैटेगरी में उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने बड़ी चुनौती लेते हुए 50 किलो में दावा ठोका और पेरिस का टिकट कटाया. अब पेरिस में सिर्फ 24 घंटे के अंदर ही विनेश ने दुनिया की नंबर एक रेसलर को हराने के साथ ही फाइनल में भी एंट्री मार ली है. ऐसा करने वाली वो देश की पहली महिला पहलवान बन गई हैं और साथ ही अपने हेटर्स को भी खुद पर से गुस्सा होने का एक और कारण दे दिया है, जिसका उन्होंने वादा किया था.

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