तिरंगा फहराने से लेकर वापस रखने और कटने फटने तक… क्या करें, क्या ना करें? एक…

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तिरंगा फहराने से लेकर वापस रखने और कटने फटने तक… क्या करें, क्या ना करें? एक…
तिरंगा फहराने से लेकर वापस रखने और कटने-फटने तक... क्या करें, क्या ना करें? एक क्लिक में जानें सभी जरूरी नियम

तिरंगा झंडा से जुड़े सभी जरूरी नियमImage Credit source: STR/NurPhoto via Getty Images

हर साल 15 अगस्त को देशभर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि 1947 में इसी दिन भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी. तब से लेकर अब तक 15 अगस्त को एक त्योहार की तरह मनाया जा रहा है. इस दिन स्कूल-कॉलेजों से लेकर तमाम शिक्षण संस्थान, ऑफिस और सार्वजनिक जगहों पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है, पर क्या आप जानते हैं कि आखिर तिरंगा फहराने के क्या नियम हैं? सिर्फ झंडा फहराना ही नहीं बल्कि उसे वापस रखने को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. यूं ही जैसे-तैसे झंडे को नहीं रख दिया जाता है. इसके अलावा अगर तिरंगा कट-फट जाए, तो उसको लेकर भी नियम हैं. आइए जानते हैं इन जरूरी नियमों के बारे में…

तिरंगा फहराने के क्या हैं नियम?

  • तिरंगा झंडा खादी, सूती या सिल्क का बना होना चाहिए. हां, झंडा हाथ से काता हुआ या बुना हुआ भी हो सकता है.
  • झंडा आयताकार आकार में होना चाहिए, जिसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए.
  • झंडे में केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके फहराया नहीं जा सकता.
  • पहले तिरंगा झंडा सिर्फ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता था, लेकिन रात में भी झंडा फहराने की अनुमति है.
  • झंडे को जमीन पर कभी भी नहीं रखा जाना चाहिए.
  • जब तक सरकारी आदेश न दिया गया हो, झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जा सकता.
  • झंडे को पानी में नहीं डुबाया जाना चाहिए.
  • तिरंगे पर किसी भी तरह का अक्षर नहीं लिखा जाएगा.
  • झंडे का इस्तेमाल पर्दा बनाने या किसी भी चीज को ढकने के लिए नहीं किया जा सकता.
  • किसी भी तरह के झंडे को तिरंगे से ऊपर नहीं लगाया जाना चाहिए.

ऐसा करने पर मिल सकती है सजा

किसी भी तरह से झंडे को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है. अगर कोई झंडे को जलाने या अन्य किसी तरीके से उसे नुकसान पहुंचाने या मौखिक या शाब्दिक रूप से तिरंगे का अपमान करता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.

ऐसा करने पर माना जाएगा तिरंगे का अपमान

तिरंगे झंडे के कमर्शियल इस्तेमाल की इजाजत नहीं है और ना ही किसी को सलामी देने के लिए तिरंगे को झुकाया जा सकता है. अगर कोई व्यक्ति किसी के आगे तिरंगे को झुकाता है या उसका कपड़ा बनाकर पहनता है, किसी भी तरह की मूर्ति में लपेटता है या किसी व्यक्ति के शव के ऊपर झंडे को डाल देता है तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाता है. हां, शहीद आर्म्ड फोर्सेस के जवानों को इसमें छूट मिली हुई है.

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तिरंगे को वापस रखने के क्या हैं नियम?

तिरंगे झंडे को फहराने के बाद किसी भी तरह से नहीं रखा जा सकता बल्कि इसके लिए नियम हैं. तिरंगे को रखने के लिए सबसे पहले तो उसे लंबवत केसरिया और हरे रंग की पट्टी को सफेद के पीछे कर दें और उसके बाद अशोक चक्र के दोनों तरफ के हिस्से को पीछे कर दें यानी जब झंडा सिमट जाए तो ऊपर सिर्फ अशोक चक्र दिखाई देना चाहिए. इसके बाद आप उसे किसी सुरक्षित जगह पर रख दें, जहां उसे किसी भी तरह से नुकसान पहुंचने की संभावना न हो. झंडे को रखने का ये सही नियम है, जो कि अधिकतर लोगों को नहीं पता है.

झंडा कट-फट जाए तो क्या करें?

तिरंगा अगर कहीं से कट या फट जाता है और फहराने लायक नहीं रहता है तो उसे यूं ही कहीं भी फेंक नहीं चाहिए, बल्कि इसके लिए भी एक नियम है. भारतीय झंडा संहिता के मुताबिक, कट-फटे तिरंगे को दफना देना चाहिए या फिर उसे एकांत में कहीं जलाकर नष्ट कर देना चाहिए. इसमें इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि तिरंगे का किसी भी तरह से अपमान न हो.

तिरंगे को दफनाने का क्या हैं नियम?

कटे-फटे तिरंगे को दफनाने के लिए सबसे पहले तो आप एक बॉक्स लें और उसमें सम्मान के साथ झंडे को रख दें. फिर किसी एकांत और शांतिपूर्ण माहौल में उसे दफना दें. ध्यान रहे कि झंडे को कूड़ेदान या किसी अन्य जगह पर तो बिल्कुल भी ना फेकें.

पहले घर पर तिरंगा फहराने की नहीं थी इजाजत

आज से 32 साल पहले तक आम लोगों को घर पर तिरंगा झंडा फहराने की इजाजत नहीं थी. मशहूर बिजनेसमैन नवीन जिंदल ने आम लोगों को ये अधिकार दिलाया. साल 1992 की बात है. नवीन जिंदल अमेरिका से भारत लौटे थे और अपनी फैक्ट्री में रोजाना तिरंगा झंडा फहराने लगे थे, जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया. फिर क्या, नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में साल 1996 में फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि तिरंगा झंडा फहराना भारत के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक कमेटी का गठन किया गया, जिसका नेतृत्व पीडी शेनॉय ने किया. फिर साल 2002 में फ्लैग कोड बना और इस तरह से भारत के हर नागरिक को अपने घर पर भी तिरंगा झंडा फहराने का अधिकार मिल गया.

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