रजगामार भूमिगत खदान में कंटीन्यूस माइनर मशीन को उतारने की…- भारत संपर्क

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रजगामार भूमिगत खदान में कंटीन्यूस माइनर मशीन को उतारने की तैयारी, सिंघाली खदान में भी इसी फार्मूले से होगा कोयला खनन

 

कोरबा। अब अंडरग्राउंड खदानों से कोयला उत्पादन करने में नहीं दिक्कत होगी, क्योंकि अब कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल नई प्रयोग के साथ सभी अंडरग्राउंड कोयला खदानों में कन्टीन्यूअस माइनर मशीन से कोयला उत्पादन को बढ़ाने की है। इसके लिए कोरबा एरिया की भूमिगत कोयला खदान रजगामार को चिन्हित किया गया है। कंटीन्यूस माइनर मशीन को उतारने की प्रक्रिया जारी है।
इसी साल पहली तिमाही में मशीन को रजगामार खदान में उतारने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इससे जुड़ी प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो सकी है। इससे देरी हो रही है। रजगामार के साथ-साथ कोरबा एरिया की सिंघाली खदान में भी कंटीन्यूस माइनर मशीन से कोयला खनन की योजना है। बता दे की पिछले साल 10 जनवरी को कंपनी ने विश्रामपुर एरिया के अधीन स्थित केतकी खदान से एमओडी (माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर) कोयला खनन शुरू किया गया है। यह कोल इंडिया की पहली एमओडी माइन है। इस खदान में कंटीन्यूस माइनर मशीन उतारी गई है।आने वाले दिनों में रजगामार, सिंघाली सहित अन्य भूमिगत कोयला खदानों में खनन के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है। गौरतलब है कि रजगामार और सिंघाली खदान भी घाटे में चल रही है। यहां मैन पावर अधिक है और कोयला खनन कम है। स्थिति ऐसी है कि इन दोनों खदानों से कोयला निकालकर यहां काम करने वाले कर्मचारियों का दिया जाना संभव नहीं है। अंडरग्राउंड खदानों से कोयला उत्पादन बढ़ाने को लेकर कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल नई प्रयोग के साथ आगे बढ़ रही है। इसकी जानकारी एसईसीएल के सीएमडी डॉ. प्रेमसागर मिश्रा ने दी है। मिश्रा स्वतंत्रता दिवस पर कंपनी मुख्यालय बिलासपुर में कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंडरग्राउंड कोयला खनन से पर्यावरण को अधिक नुकसान नहीं हो होता है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने अंडरग्राउंड खदानों में 16 कन्टीन्यूअस माइनर (सीएम) मशीन को उतारा है।कन्टीन्यूअस माइनर मशीन की मदद से कोयले की कटिंग कर बाहर निकाला जा रहा है। आने वाले दिनों में कंपनी की योजना 58 कन्टीन्यूअस माइनर और उतारने की है। वही मशीन की एक और खासियत है कि इससे 100 एमएम साइज का कोयला काटकर बाहर निकाला जाएगा। खदान से कोयले का बड़ा टुकड़ा बाहर नहीं आएगा। साथ ही आपको बता दे की कंटीन्यूस माइनर मशीन के इस्तेमाल से 24 घंटे में अधिकतम एक हजार टन कोयला काटकर बाहर निकाला जा सकता है। वर्तमान में जिस भूमिगत खदान में इस्तेमाल होने वाली एसडीएल से रोजाना 150 कोयला को उठाकर कन्वेयर बेल्ट तक पहुंचाया जाता है। जबकि लोड हॉल डंप के जरिए प्रतिदिन अधिकतम 200 टन कोयला फेस से बाहर निकालता है। अभी कोयला कंपनी विश्राम एरिया के गायत्री खदान में कंटीन्यूस माइनर का इस्तेमाल कर रही है।

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