मदरसे में नकली नोट की छपाई, बाजार में ट्रायल फिर सप्लाई… यूपी में फेक करे… – भारत संपर्क
सांकेतिक तस्वीर.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से चौंकाने वाली खबर सामने आई है. जिस मदरसे में बच्चों की पढ़ाई होनी थी, वहां नकली नोटों की छपाई हो रही थी. मदरसे के उस्ताद हों या मौलवी सबने मिलकर नकली नोटा का ऐसा छपाईखाना खोला था, जहां 18 लाख रुपये के नकली नोट छाप दिए गए. पुलिस ने मदरसे के मौलवी और उस्ताद के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है. मामले की जांच देश की खुफिया एजेंसी आईबी ने भी शुरू कर दी है.
आईबी ने मदरसे में जाकर जांच की क्योंकि उसे शक है कि मामले का कनेक्शन पड़ोसी देशों या फिर किसी आतंकी संगठन से हो सकता है. चिंता की बात ये है कि इस वक्त प्रयागराज के बाजार में लाखों रुपये के 100-100 के नकली नोट पहुंच चुके हैं. शायद जिनकी पहचान करना भी मुश्किल है. ये सारे नोट प्रयागराज के अतरसुइया इलाके के मौजूद जामिया हबीबिया नाम के मदरसे में छापे गए हैं.
नकली नोट छापने का ‘मास्टर’ बन गया तफसीरूल
इस मामले में आरोपी 25 साल का मोहम्मद तफसीरूल, जिसने मौलवी की पढ़ाई के बाद आलिम की डिग्री ली. वो मदरसे में प्रिंसिपल है. यहीं वो नकली नोट छापने का ‘मास्टर’ बन गया. दूसरा आरोपी 23 साल का जाहिर खान है. इसने भी मदरसे से आलिम की डिग्री ली. मदरसे में ही उस्ताद यानी टीचर बन गया. मगर, ये नकली नोट छापने का गुरु निकला.
तीसरा आरोपी 18 साल का मोहम्मद अफजल है. उसे मदरसे में नकली नोटों को बाजार में चलाने के लिए रखा गया था. एक अन्य आरोपी 18 साल का मोहम्मद शाहिद है. वो मदरसे में मौलवी बनने के लिए आया था. मगर,लेकिन नकली नोट छापने वाले इस नेटवर्क से जुड़ गया.
सिर्फ 100-100 के ही नोट क्यों छापे जाते थे?
जिन मदरसों को तालीम का केंद्र माना जाता है, उसमें इन लोगों ने मिलकर नकली नोट का छपाईखाना खोल दिया था. मदरसे के अंदर नकली नोट छापने की ये फैक्ट्री कैसे खुली और किस प्लानिंग के साथ मौलवी और उस्ताद काम कर रहे थे, इसके पैटर्न से भी पर्दा उठ चुका है.
आरोपी जानते थे कि 500 रुपये का नोट लेने से पहले दुकानदार कई बार देखता है. इसीलिए सभी ने मिलकर प्लान बनाया कि मदरसे में सिर्फ 100-100 के ही नकली नोट छापे जाएंगे. नकली नोटों को छापने के बाद अफजल और शाहिद बाकायदा ट्रायल के लिए बाजार जाते थे. इनका टारगेट बस स्टेशन या रेलवे स्टेशन जैसी जगह थीं. जहां अक्सर लोग जल्दबाजी में रहते हैं.
हर दिन 20 हजार रुपये के नोट छापते थे
असली या नकली नोट पहचानना जरूरी नहीं समझते. पुलिस के अनुसार मदरसे में नकली नोट छापने वाले ये आरोपी 100 रुपये के एक असली नोट के बदले 3 नोट देते थे. पुलिस के अनुसार, मदरसे के मौलवी और उस्ताद मिलकर रोज 20 हजार रुपये के नोट छापते थे. इस हिसाब से इन लोगों ने एक महीने के अंदर 6 लाख रुपये के नोट छापे. तीन महीने से मदरसे में नकली नोट वाली फैक्ट्री चलाई जा रही थी. हर महीने 6 लाख रुपये के हिसाब ने इन आरोपियों ने 3 महीने में 18 लाख रुपये के नोट छाप दिए.
पुलिस की रेड में बरामद चीजें
प्रिंटर, बड़ी संख्या में असली नोट के कागज जैसे पेपर, नोट छापने वाली स्याही और हरे रंग का सेलो टेप भी मदरसे से मिला है. ये लोग असली नोट में लगे मैटेलिक धागे की जगह नकली नोट में चमकीले और हरे टेप का इस्तेमाल करते थे.
रिपोर्ट- टीवी9 ब्यूरो.