जन्म से दिव्यांग पर नहीं मानी हार, पहले UPSC क्रैक कर बने IAS, अब पेरिस…

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जन्म से दिव्यांग पर नहीं मानी हार, पहले UPSC क्रैक कर बने IAS, अब पेरिस…
जन्म से दिव्यांग पर नहीं मानी हार, पहले UPSC क्रैक कर बने IAS, अब पेरिस पैरालंपिक में रचा इतिहास

IAS सुहास यथिराज ने रचा इतिहासImage Credit source: Alex Slitz/Getty Images

‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’. सोहन लाल द्विवेदी की ये कविता तो आपने सुनी ही होगी, जो आईएएस अधिकारी सुहास यथिराज पर बिल्कुल फिट बैठती है. दरअसल, सुहास ने पेरिस में चल रहे पैरालंपिक खेलों में इतिहास रच दिया है. बैडमिंटन के मेंस सिंगल्स एसएल4 कैटगरी में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता है और पैरालंपिक में लगातार दो मेडल जीतने वाले वह भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं.

सुहास के संघर्ष की कहानी लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत है कि कैसे जन्म से दिव्यांग एक लड़के ने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी और पहले यूपीएससी क्रैक कर आईएएस अधिकारी बना और अब एक खिलाड़ी के रूप में देश का मान बढ़ा रहा है. कर्नाटक के शिमोगा में जन्मे सुहास का पूरा नाम सुहास लालिनाकेरे यथिराज है. जन्म से ही उनके पैर में दिक्कत थी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी इस विकलांगता को खुद पर हावी नहीं होने दिया बल्कि उनका जो मन किया, उन्होंने वो काम किया और उसमें जबरदस्त सफलता भी पाई.

कितने पढ़े लिखे हैं सुहास?

सुहास ने अपनी शुरुआती पढ़ाई तो गांव में ही की है, लेकिन बाद में वह इंजीनियरिंग के लिए सूरतकल शहर चले गए. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कर्नाटक (NITK), जिसे एनआईटीके सुरथकल के नाम से भी जाना जाता है, वहां से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की है.

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पिता की मौत के बाद जिंदगी में आया मोड़

साल 2005 में सुहास की जिंदगी में तब एक नया मोड़ आया जब उनके पिता की मौत हो गई. वह एक सरकारी कर्मचारी थे. इस घटना ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को संभाला और फिर ठान लिया कि उन्हें भी सरकारी नौकरी ही करनी है और वो भी सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है. बस फिर क्या, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बन गए. वह 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें यूपी कैडर मिला है.

कहां-कहां रहे हैं तैनात?

सुहास ने अपने प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत आजमगढ़ से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में की थी और उसके बाद उन्होंने मथुरा, महाराजगंज, हाथरस, सोनभद्र, जौनपुर, प्रयागराज और गौतम बुद्ध नगर में डीएम के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं.

पत्नी भी हैं प्रशासनिक अधिकारी

सुहास ने साल 2008 में रितु सुहास से शादी की थी. रितु 2004 बैच की पीसीएस अधिकारी हैं और फिलहाल गाजियाबाद में एडीएम (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण की संयुक्त सचिव रहते हुए गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माणों पर जेसीबी चलवाकर वह चर्चा में आई थीं. जिस तरह सुहास प्रशासनिक सेवा के साथ-साथ खेल की दुनिया में भी नाम कमा रहे हैं, उसी तरह उनकी पत्नी ने भी प्रशासनिक सेवा के साथ-साथ मॉडलिंग में नाम कमाया है. साल 2019 में वह मिसेज इंडिया का खिताब जीत चुकी हैं.

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