गजब है ! मूलभूत के कार्य में कर दिया मिट्टी मुरूम परिवहन,…- भारत संपर्क
गजब है ! मूलभूत के कार्य में कर दिया मिट्टी मुरूम परिवहन, नियम विरूद्ध जेसीबी से भी कराया काम, ग्राम पंचायत कुकरीचोली में भ्रष्टाचार का खेल
कोरबा। ग्राम पंचायतों के विकास में शासन प्रशासन द्वारा कोई कमी नहीं की जा रही है। विभिन्न मदों से ग्राम पंचायतों को राशि मुहैया कराई जा रही है। दूसरी ओर ग्राम पंचायतों के कुछ सरपंच सचिव शासकीय राशि से विकास कार्यों को संपादित कराने की बजाय अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। कोरबा और करतला जनपद पंचायत के लगभग 40 से अधिक ग्राम पंचायत के सरपंचों और सचिवों से करोड़ों की रिकवरी की जानी है। दूसरी और जनपद पंचायत कोरबा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कुकरीचोली में भ्रष्टाचार का नया मामला उजागर हुआ है, जहां नियम कायदों को ताक पर रखकर मूलभूत राशि में भ्रष्टाचार कर लिया गया है। जनपद पंचायत कोरबा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कुकरीचोली में मूलभूत मद की राशि से सड़क निर्माण कराया जाना बताया जा रहा है, जबकि ग्राम पंचायत में पहले से कांक्रीट सड़क बनी हुई है। और सचिवालय के पास कोई मिट्टी मुरूम से कोई नया रोड नहीं बना है। इसके अलावा जितनी राशि में हैंडपंप में पूरा नया सामान लग जाता उससे अधिक तो हैंडपंप मरम्मत में खर्च कर दिया गया है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में 76 ट्रिप मिट्टी और मुरूम का परिवहन करना बताया गया है। इसके अलावा 22 घण्टे जेसीबी चलाकर 49 हजार की राशि निकाल ली गई है। दिलचस्प बात तो यह है कि ग्राम पंचायत को मूलभूत से मिले राशि से मिट्टी से संबंधित कार्य नहीं कर सकते। लेकिन पंचायत में फर्जी बिल बनाकर 76 ट्रिप मिट्टी मुरूम व 22 घंटा जेसीबी चलाकर 49000 राशि निकल गया है। यह पूर्ण रूप से नियम कायदों के विपरीत है। जानकारों की मानें तो खनिज विभाग से मुरुम के लिए परमिशन विभाग से लेना पड़ता है, लेकिन ऐसा कोई परमिशन खनिज विभाग से नहीं लिया गया। यह खनिज चोरी का मामला भी दिखाई दे रहा है। वही हैंडपंप रिपेयरिंग के नाम से 27 हजार 550 रुपए निकाल लिया गया है, जबकि इतने पैसे में तो हैंडपंप में पूरा नया सामान लग जाता है। इस तरह ग्राम पंचायत में भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। मामले की जांच कराई जाए तो बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होगा।
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जीएसटी चोरी का भी मामला
किसी भी सामान की खरीदी और बिक्री करने पर जीएसटी अदा करनी पड़ती है। खासकर शासकीय कार्यों में तो जीएसटी के साथ ही सामग्री खरीदी होनी चाहिए। ग्राम पंचायत में कराए गए कार्य में कोई जीएसटी अदा नहीं की गई है। महज बिल में पेन से लिखकर समस्त खर्च का ब्योरा दे दिया गया है। आरटीआई के तहत मिले दस्तावेज में हैंडपंप मरम्मत के लिए श्री सदगुरु कबीर ट्रेडर्स सेमीपाली उरगा के बिल में 5 प्रतिशत जीएसटी काटकर जरूर दिया गया है, मगर यह कोई पक्का बिल नहीं है, ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि काटी गई जीएसटी जमा की भी गई है की नहीं। इसके अलावा प्राप्त अन्य बिल में तो जीएसटी का ही जिक्र नहीं है। यह मामला जीएसटी चोरी का भी हो सकता है जिसकी जांच की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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नहीं दी सत्यापित प्रतिलिपि, की गई अपील
मामले में एक बड़ा झोल तो यह भी है कि सूचना के अधिकार में सत्यापित प्रतिलिपि नहीं दिया गया है। इसलिए मामले में आरटीआई आवेदन कर्ता ने जनपद पंचायत में अपील भी की है। सत्यापित प्रतिलिपि से यह स्पष्ट हो जाता है कि संबंधित दस्तावेज आरटीआई से प्राप्त हुए हैं, मगर संबंधित मामले में जन सूचना अधिकारी ने सत्यापित प्रतिलिपि देना मुनासिब नहीं समझा है।