लोक अदालत का सार ना जीत ना हार, हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का…- भारत संपर्क

0

लोक अदालत का सार ना जीत ना हार, हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का आयोजन 9096 प्रकरणों का हुआ निराकरण

कोरबा। लोक अदालत ने माता-पुत्र विवाद को किया समाप्त, वृद्ध महिला को मिला जीने का सहारा, प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने तथा जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है, ऐसे में वृद्ध जन जो शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके है, वे मजबूरन बुढापे में अपने बच्चों पर निर्भर करने लगते है। भरण-पोषण हेतु गुजारा भत्ता का भुगतान न केवल कानूनी अधिकार है, बल्कि बच्चों/परिजनों पर लगाया गया एक सामाजिक और नैतिक दायित्व भी है। ऐसे ही घटना जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन था, उक्त प्ररकण में आवेदिका जो अनावेदक की वृद्ध माता है,के द्वारा मान. न्यायालय में दिए आवेदन के अनुसार सन् 2010 में अपने पति के मृत्यु के पश्चात एस.ई.सी.एल. विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदिका ने अपने अनावेदक पुत्र को नामित किया तथा अनावेदक को नौकरी मिल जाने पर आवेदिका तथा उनकी तीन पुत्रियां साथ में रहने लगे। कुछ समय पश्चात नौकरी मिल जाने के बाद अनावेदक रोज शराब पीकर गाली-गलौच एवं मारपीट करने लगा तथा समय के साथ आवेदिका के द्वारा कई बार थाने में शिकायत दर्ज की गई परंतु थाने से समझाईश दिए जाने तथा कठोर कार्यवाही नहीं किए जाने पर अनावेदक का हौसला बुलंद हो चला तथा आवेदिका को उचित भरण-पोषण नहीं देने तथा ईलाज हेतु मेडिकल कार्ड में ईलाज हेतु सहमति नहीं देना जैसे प्रताडना देकर मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडित करने लगा। प्रताडना से तंग आकर आवेदिका ने घर छोड दिया तथा अपनी बहन के घर रहने लगी। जिस कारण आवेदिका ने मान. न्यायालय के समक्ष अंतर्गत धारा 144 बी.एन.एस.एस. वास्त भरण-पोषण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक पुत्र ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदकगण ने 150000/- रूपये (पंद्रह हजार रूपये) बिना किसी डर-दबाव के भरण-पोषण प्रदाय किए जाने हेतु राजीनामा किया जिसे अनावेदक आवेदिका के बैंक खाते में प्रत्येक माह के 10 तारीख तक सीधे जमा किए जाने अथवा भुगतान किए जाने का निर्देश दिया गया इस प्रकार बेसहारा परिवारजनों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया। वही बेसहारा वृद्ध महिला को मिला न्याय, लोक अदालत बना सहारा, मान. न्यायालय प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन एक और प्रकरण में वृद्ध माता, आवेदिका ने प्रस्तुत आवेदन के अनुसार जो बुढापे तथा खराब स्वास्थ्य के कारण कोल इंडिया स्पेशल फिमेल वांिलटियर स्कीम 2014 के तहत आवेदिका ने अपने एकमात्र पुत्र अर्थात अनावेदक को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदाय किया था। उक्त स्कीम के प्रावधानों के तहत अनावेदक को आवेदिका को अपने वेतन का 50 प्रतिशत राशि प्रतिमाह भरण-पोषण हेतु दिए जाने का आश्वासन सहित शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था। कुछ समय पश्चात अनावेदक के शादी के पश्चात से अनावेदक आवेदिका को भरण पोषण देने से मना कर दिया तथा मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताडित करने लगा, तथा सन् 2022 से घर से पृथक कर दिया ऐसे में वृद्ध आवेदिका मजबूरी में अन्य रिश्तेदारों के साथ रहने में विवश हो गई। उक्त संबंध में आवेदिका के द्वारा एस.ई.सी.एल. प्रबंधन में शिकायत दर्ज कराई गई जिसमें प्रबंधन के द्वारा आवेदिका को न्यायालयीन आदेश उक्ताशय का प्राप्त करने हेतु कहा जा रहा है, जिस कारणवश आवेदिका की ओर से माननीय न्यायालय के समक्ष अनावेदक के विरूद्ध धारा 144 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। आज हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में मान. खंडपीठ के द्वारा उभयपक्ष के मध्य सुलह कराया गया, जिसके बाद उभयपक्षों ने आपसी समझौतानामा पेश कर प्रकरण समाप्त करने का अनुरोध किया। उभयपक्ष आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर अनावेदक, आवेदिका को 30000/- रूपए प्रतिमाह भरण-पोषण राशि प्रदाय किए जाने में सहमति प्रदान कर अपने प्रकरण का निराकरण किया और ऐसे एक वृद्ध महिला को अपने जीवन जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया। वही नेशनल लोक अदालत 21 सितम्बर 2024 में 10 वर्षीय मामले के निराकरण
न्यायालय रूपल अग्रवाल न्याया. मजि0 प्रथम श्रेणी कटघोरा के न्यायालय में लंबित प्रकरण क्रमांक 933/2015 पक्षकार राज्य वि0 देवनारायण वगै0 में प्रार्थी श्याम कुमार निषाद पिता रामअवतार निषाद, उम्र 32 वर्ष निवसी पसान ने आरोपीगण देवनारायण, भारत मरकाम, पन्ना लाल, संतु उर्फ संतराम एवं श्यामरतन के विरूद्ध में वर्ष 2014 में थाना पसान में रिपोर्ट दर्ज करायी थी, कि आरोपीगण ने उसे 6 नग नकली सोने की बट्टी को असली बताकर प्रार्थी श्याम कुमार निषाद से 4,96000/-रूपये प्राप्त कर ठगी किया है। उक्त मामले में प्रार्थी श्यामकुमार निषाद ने न्यायालय में उपस्थित होक अभियुक्तगण से राजीनामा किया। उक्त प्रकरण में अभियुक्तगण की अ ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अशोक कुमार ताम्रकार एवं अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार निषाद प्रयासों से भी प्रकरण में सफरलता पूर्वक राजीनामा किया गया। वही वर्ष 2012 से चल रहे श्रमिक कानून से संबंधित प्रकरण का हुआ निराकरण, नेशनल लोक अदालत दिनांक 21 सितम्बर 2024 में वर्ष 2012 से श्रमिक कानून से संबंधित मामले का कंपनी एवं श्रमिकों के मध्य राजीनामा आधार पर श्रम न्यायालय के समक्ष मान. खंडपीठ के समझाईश के द्वारा आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर निराकरण किया गया।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ऑस्कर्स में ‘लापता लेडीज’ ही क्यों भेजी गई? सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन ने दिया… – भारत संपर्क| अश्लील कटेंट का डर, डिजिटल अरेस्ट और ठगी… कैसे बुजुर्ग ने लुटाए ढाई करोड़… – भारत संपर्क| युवती से नौकरी लगाने के नाम पर 1 लाख 80 दजार की ठगी, जालसाज गिरफ्तार – भारत संपर्क न्यूज़ …| वेट लॉस की इन गलतफहमियों पर करते हैं भरोसा तो वजन कम करना होगा मुश्किल| गिलहरी ने तेंदुए को दिखाई उसकी औकात, परछाई तक नहीं छू पाया शिकारी, छोटे जीव ने 2 मिनट…