ट्रैक पर डेटोनेटर, खंभा, फिश प्लेट… 3 महीने में रेल पटरियों पर 8 घटनाएं, … – भारत संपर्क

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ट्रैक पर डेटोनेटर, खंभा, फिश प्लेट… 3 महीने में रेल पटरियों पर 8 घटनाएं, … – भारत संपर्क

सांकेतिक तस्वीर
तीन महीने में ट्रेन पलटाने की साजिश के आठ मामले सामने आ चुके है. इन सभी मामलों में पैटर्न एक जैसा है. अंतर केवल यही है कि साजिश के तहत कहीं रेल की पटरी पर डेटोनेटर रखा मिला तो कहीं खंभा या फिर पटरी की फिस प्लेट ही खोल ली गई. शुरुआती एक दो घटनाओं से तो लगा कि किसी सिरफिरे ने मसखरी में ऐसा किया होगा. लेकिन, जब लगातार और एक ही पैटर्न पर इस तरह के मामले सामने आने लगे तो बड़ी साजिश की आशंका बलवती हो गई.
अब तो तमाम सरकारी एजेंसियां भी इन घटनाओं के पीछे की वजह आतंकी साजिश मानने लगी हैं. एजेंसियों ने हर घटना के बाद संबंधित लोगों कुछ लोगों को अरेस्ट भी किया. हालांकि अभी तक यह सभी घटनाएं आपस में कनेक्ट होती नजर नहीं आ रही. मामले की जांच में जुटी एजेंसियों को आशंका है कि इन सभी घटनाओं को देश के बाहर बैठी आतंकी संगठनों ने अपने गुर्गों या स्लीपर सेल के जरिए अंजाम दिया है. इसके पीछे अधिकारियों का मानना है कि यह वारदातें किसी लोकल अपराधी की नहीं हो सकती.
लोकल अपराधी का नहीं हो सकता काम
इन अधिकारियों के मुताबिक यदि यह काम उनका होता तो इसमें उनका आर्थिक लाभ नजर आता. जबकि इन घटनाओं में केवल लाशें बिछने की आशंका थीं. इन घटनाओं में कहीं से भी किसी को आर्थिक लाभ नहीं हो रहा. जांच एजेंसियों के मुताबिक इस तरह का लक्ष्य आम तौर पर आतंकी संगठनों का होता है. समझौता एक्सप्रेस में हुआ बम धमाका भी इसी तरह की घटनाओं का एक उदाहरण है.
तीन महीने और 8 घटनाएं

18 जुलाई: गोंडा में चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही ट्रेन की 12 बोगियां पटरी से उतरीं. इसमें दो लोगों की मौत हुई थी और कई यात्री घायल हो गए थे.
20 जुलाई: अमरोहा में मालगाड़ी के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. इस घटना की वजह से लखनऊ-दिल्ली रूट कई घंटे तक बंद रहा.
11 अगस्त: सोनभद्र में पावर प्लांट के लिए कोयला ले जा रही मालगाड़ी डिरेल.
17 अगस्त: साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे कानपुर में पटरी से उतरे.
8 सितंबर: फर्रुखाबाद से कासगंज जा रही कालिंदी एक्सप्रेस के रूट पर रेलवे लाइन पर मिला गैस सिलेंडर.
21 सितंबर: सूरत में रेलवे ट्रैक की फिस प्लेट खोलकर ट्रेन पलटाने की कोशिश
22 सितंबर: कानपुर में मालगाड़ी पलटाने की कोशिश, ट्रैक पर गैस सिलेंडर मिला.
22 सितंबर: खंडवा में उस ट्रैक पर 10 डेटोनेटर मिले. इसी ट्रैक पर सेना की विशेष ट्रेन गुरज रही थी.
23 सितंबर: बठिंडा-दिल्ली ट्रैक पर ट्रैक पर सरिया रखकर ट्रेन को पलटाने की कोशिश.

टल गए बड़े हादसे, नहीं तो जाती लाखों की जान
इन भी मामलों को जांच पहले अलग अलग हो रही थी. अब केंद्रीय एजेंसियों ने इन सभी मामलों की जांच एक साथ शुरू की है. इसी के साथ एजेंसियां यह जांचने की कोशिश कर रही है कि इन सभी घटनाओं के पीछे का कनेक्शन और उद्देश्य क्या है. जांच एजेंसियों के मुताबिक गनीमत रही कि इनमें से कोई भी घटना अंजाम तक नहीं पहुंची और छोटे मोटे नुकसान के साथ बड़े हादसे टल गए. अधिकारियों के मुताबिक यदि इन 8 घटनाओं में आतंकियों को 50 फीसदी भी सपलता मिल गई होती तो लाखों लोगों को अपने जीवन से हाथ धोड़ा पड़ जाता.

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