यूपी उपचुनाव: सीएम योगी ही नहीं मौर्या-चौधरी और पाठक का इम्तिहान, जयंत-अनुप… – भारत संपर्क
सीएम योगी, केशव मौर्या, ब्रजेश पाठक, जयंत चौधरी
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. यूपी के लोकसभा चुनाव में शिकस्त खाने के बाद बीजेपी ने अब उपचुनाव से उभरने के लिए सियासी बिसात बिछाई है. बीजेपी और सीएम योगी आदित्यनाथ ही नहीं बल्कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के भी साख बचाने का है, तो इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दल के तौर पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी से लेकर अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद की भी अग्निपरीक्षा होनी है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी उपचुनाव में सपा के पीडीए फॉर्मूले को कैसे काउंटर करती है?
यूपी की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव है, उसमें बीजेपी गाजियाबाद, खैर, फूलपुर, कुंदरकी, सीसामऊ, करहल, मझवां और कटेहरी सीट पर लड़ रही है. बीजेपी ने मीरापुर सीट अपनी सहयोगी आरएडली को दे रखी है. अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को भले ही उपचुनाव में सीटें न मिली हो, लेकिन अनुप्रिया पटेल के संसदीय क्षेत्र मिर्जापुर की मझवां में चुनाव है और निषाद समुदाय के वोटों के समीकरण है. इस लिहाज से अनुप्रिया और संजय निषाद को अपने-अपने वोट बैंक को बीजेपी के पक्ष में ट्रांसफर कराने का चैलेंज है.
सीएम योगी की साख का सवाल
यूपी उपचुनाव से सरकार में कोई बड़ा बदलाव या फिर सियासी हालात नहीं बदलने जा रहे हैं. इसके बावजूद बीजेपी और सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि जीत-हार से नैरेटिव गढ़ने की कवायद होगी. लोकसभा में बीजेपी को मिली मात के बाद सीएम योगी किसी भी सूरत में उपचुनाव नहीं हराना चाहते. इसके लिए ही पूरी जिम्मेदारी उन्होंने खुद संभाल रखी है, क्योंकि 2024 में सीटें कम आई थीं तो कई सवाल खड़े हुए थे. ऐसे में उपचुनाव का पूरा दारोमदार सीएम योगी के हाथों में है. बीजेपी उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार की आक्रामक रणनीति अपने हिसाब से सेट कर रहे हैं. उपचुनाव की हार-जीत दोनों का श्रेय सीएम योगी के हिस्से में आएगा, जिसके चलते पूरा दमखम लगा रखा है.
मौर्य-चौधरी-पाठक का इम्तिहान
सीएम योगी ही नहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का भी इम्तिहान उपचुनाव में होना है. भूपेंद्र चौधरी की वैसे सभी 9 सीटों पर पर साख दांव पर है, लेकिन असल परीक्षा उनके गृहक्षेत्र मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर होनी है. कुंदरकी सीट पर 3 दशक से बीजेपी जीत नहीं सकी. सपा का पूरी तरह से एकछत्र राज कायम है. भूपेंद्र चौधरी के गृह जनपद की कुंदरकी सीट पर बीजेपी से प्रत्याशी रामवीर सिंह के साथ प्रदेश अध्यक्ष की भी प्रतिष्ठा दांव पर है. ऐसे में कुंदरकी सीट के साथ-साथ जाट बहुल खैर में बीजेपी का वर्चस्व बरकरार रखने के साथ-साथ मीरापुर में आरएलडी को जिताने की जिम्मेदारी है. इसके अलावा संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बैठाकर चलने का चैलेंज है.
फूलपुर विधानसभा सीट, मौर्य वोट
डिप्टीसीएम केशव प्रसाद मौर्य की असल अग्निपरीक्षा फूलपुर सीट पर होनी है, जो उनके गृह क्षेत्र में आती है. बीजेपी ने पिछले दो चुनाव से अपना कब्जा बरकरार रखा है और जीत की हैट्रिक बनाने के लिए दीपक पटेल को उतारा है. लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट पर सपा से कम वोट बीजेपी को मिले थे, जिसके पीछे वजह मौर्य वोटों के छिटकने की थी. सियासी समीकरण के लिहाज से फूलपुर सीट बीजेपी के लिए काफी चुनौती पूर्ण बन गई है. फूलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की है.
डिप्टी सीएम केशव मौर्य का गढ़
फूलपुर को केशव प्रसाद मौर्य का गढ़ के तौर पर माना जाता है. वो यहां से सांसद रहे हैं. ऐसे में भाजपा को एक बार फिर इस सीट पर जीत दिलाने की जिम्मा उनके कंधों पर है. इसके अलावा मझवां सीट पर भी केशव मौर्य की साख दांव पर है, क्योंकि बीजेपी ने उनके समुदाय से आने वाली सुचिस्मिता मौर्य को उतारा है. फूलपुर और मझवां के सात उपचुनाव की बाकी सीटों पर ओबीसी समुदाय के खासकर अपने मौर्य समाज के खिसके वोटों को भी बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने की चुनौती है. उपचुनाव के नतीजे केशव मौर्य का सियासी कद तय करेगा.
बृजेश पाठक की अग्निपरीक्षा
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की उपचुनाव में अग्निपरीक्षा खानपुर की सीसामऊ और करहल विधानसभा सीट पर होनी है. बृजेश पाठक को यूपी में बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माना जाता है. उपचुनाव में कई सीटों पर ब्राह्मण वोटर काफी निर्णायक स्थिति में हैं. बीजेपी ने ब्राह्मण वोटों के समीकरण को देखते हुए गाजियाबाद और सीसामऊ सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे हैं. सपा ने भले ही किसी ब्राह्मण को टिकट न दिया हो, लेकिन बसपा ने तीन प्रत्याशी उतार रखे हैं. इस तरह से ब्राह्मण समुदाय के वोटों को बीजेपी के पक्ष में करने का चैलेंज है.
जयंत-अनुप्रिया-निषाद की परीक्षा
आरएलडी मीरापुर सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है और बीजेपी का उसे समर्थन हासिल है. ढाई साल पहले आरएलडी यह सीट सपा के समर्थन से जीतने में सफल रही थी, लेकिन अब बीजेपी के साथ मिलकर उतरी है. इस तरह मीरापुर सीट पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के खुद को साबित करने का चैलेंज है तो खैर और कुंदरकी सीट पर जाट वोटों को बीजेपी के पक्ष में कराने की चुनौती है. खैर सीट पर सपा ने चारू केन को प्रत्याशी बनाया है, जिनकी शादी जाट परिवार में हुई है. ऐसे में जाट वोट बिखरने का खतरा बीजेपी के लिए बना हुआ है.
संजय निषाद के सामने गठबंधन धर्म
निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद को भले ही उपचुनाव में एक भी सीट न मिली हो, लेकिन उनका प्रभाव कई सीटों पर है. कटहेरी और मझवां सीट पर 2022 में निषाद पार्टी चुनाव लड़ी थी, जिसमें मझवां सीट जीती थी. उपचुनाव में संजय निषाद के सामने गठबंधन धर्म निभाते हुए निषाद समुदाय के वोटों को बीजेपी के पक्ष में ट्रांसफर कराने का चैलेंज है. संजय निषाद अगर निषाद वोटों को लामबंद कराने में सफल नहीं होते हैं तो उनके सियासी कद पर असर पड़ेगा. ऐसे ही केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की भी साख दांव पर लगी है, क्योंकि उपचुनाव में कई सीट पर कुर्मी वोटों का आधार है. अनुप्रिया पटेल के सामने कुर्मी समुदाय के वोटों को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने की चुनौती है.