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खदान क्षेत्र की आबो हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित, हवा में कोल डस्ट की मौजूदगी के कारण बढ़ रही समस्या
कोरबा। खदान क्षेत्रों की आबो हवा सबसे अधिक प्रदूषित है। पाल्युशन कंट्रोल बार्ड की मशीन जो आंकड़े जारी कर रही है उससे पता चलता है कि सुबह और दोपहर की हवा ज्यादा खराब हो रही है। शुक्रवार सुबह लगभग 11 बजे गेवरा में पीएम-2.5 का अधिकतम स्तर 103 दर्ज किया गया जबकि रात के 8 बजे से रात के 12 बजे तक पीएम-10 का स्तर 118 दर्ज किया गया। एक दिन पहले गेवरा और दीपका की हवा इससे भी खराब दर्ज की गई थी। पीएम-10 का अधिकतम स्तर 254 तक पहुंच गया था।
हवा में कोल डस्ट की मौजूदगी के कारण कोयला कर्मचारियों के परिवारों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। खदान में कोयला परिवहन के लिए बनाई गई सडक़ के दूसरी ओर स्थित आवासीय कालोनी में रहने वाले लोग परेशान हैं। उनके लिए कार्तिक के महीने में बाहर कपड़ा सूखाना मुश्किल हो रहा है। कोयले की डस्ट कपड़ों को काला कर रही है, घरों में भी समा रही है। इससे कोयला कर्मचारियों में पाल्युशन की मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों को लेकर नाराजगी है। समय-समय पर कोयला मजदूर यूनियन के जरिए भी अपनी बातें पहुंचाते रहे हैं मगर कोयला कंपनी का प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। कोल डस्ट को लेकर कुसमुंडा की स्थिति भी ठीक नहीं है। हालांकि कुसमुंडा में पाल्युशन का स्तर मापने के लिए यहां कोई मशीन सेंट्रल कंट्रोल पाल्युशन बोर्ड ने नहीं लगाई है। तापमान में गिरावट के साथ ही ऊर्जाधानी की हवा खराब हो रही है। कोल और फ्लाइएश (राख) के डस्ट यहां की आबोहवा को नुकसान कर रही है। कोरबा और गेवरा-दीपका में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर सामान्य से ज्यादा आ रहा है। इससे ठंड में कई प्रकार की समस्याएं खड़ी हो सकती है। दमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। गेवरा दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है। दीपका भी बड़ा कोयला उत्पादक खदान है। कोयला खनन और परिवहन में एसईसीएल का प्रबंधन भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल करता है। रेल मार्ग के साथ-साथ सडक़ मार्ग से कोयला ढोया जा रहा है। इन गाडिय़ों के चलने से कोयले की डस्ट आसपास के हवा में उड़ रही है। ठंड के दिन में स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है। शुक्रवार को गेवरा में लगी पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड की मशीन ने पीएम-10 का न्यूनतम स्तर 75 और अधिकतम स्तर 118 प्रति घनमीटर दर्ज किया। क्षेत्र में पीएम-10 के साथ-साथ पीएम-2.5 भी संतोषजनक नहीं है। यह भी अधिकतम 103 दर्ज किया गया है। पिछले कई दिनों से गेवरा में यह स्थिति बनी हुई है। इसका बड़ा कारण कोल डस्ट की रोकथाम को लेकर प्रबंधन की ओर से सही तरीके से कार्य नहीं करना है। सडक़ पर नियमित पानी का छिडक़ाव नहीं होने या स्प्रींक्लर के काम नहीं करने से गाडिय़ों के आने-जाने पर सडक़ पर धूल उड़ रही है। इससे कोल कर्मी परेशान हैं। हवा में कोल डस्ट की मौजूदगी के कारण खदान क्षेत्र में काम करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
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शहर में भी हवा की गुणवत्ता ठीक नहीं
कोरबा शहर में पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से मशीन नहीं लगाई गई है। हवा में मौजूद पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर जानने के लिए इस मशीन को ट्रांसपोर्ट नगर या पुराना बस स्टैंड में लगाया जाना चाहिए था, मगर यह मशीन क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी के कार्यालय परिसर में लगी है जो शहर के मुख्य मार्ग से काफी दूर है। इसके बावजूद यह मशीन जो आंकड़े जारी कर रही है उससे पता चलता है कि शहर में हवा की गुणवत्ता ठीक नहीं है। पीएम-10 और 2.5 की वृद्धि से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।
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सेहत के लिए हानिकारक
पीएम-10 छोटे-छोटे कण होते हैं जो नाक और गले से होकर फेफड़ों में समा जाते हैं और फेफड़े को प्रभावित करते हैं। कण के समाने पर दमा से पीडि़त मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। पीएम-2.5 पीएम-10 से भी छोटा होता है और यह फेफड़ों के जरिए रक्त कोशिकाओं तक समा जाता है। इससे आंख, नाक और गले में जलन होती है।