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अब क्लिक में मिल जाएगी भूमि अधिग्रहण की जानकारी, एसईसीएल डिजिटल जमीन प्रबंधन प्रणाली को दे रहा बढ़ावा
कोरबा। एसईसीएल डिजिटल जमीन प्रबंधन प्रणाली (एलएएमएस) से अब भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल कर रही है। एक क्लिक में अधिग्रहण की गई भूमि की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी।कुसमुंडा खदान के प्रभावित गांव खोडरी से इस प्रक्रिया को शुरू किया गया है। इसके बाद मेगा प्रोजेक्ट दीपका व गेवरा में भी इसे लागू किया जाएगा। डिजिटल किए जाने से रिकार्ड रखने में आसानी होगी। ड्रोन कैमरे से अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की गई है। भविष्य में गेवरा व दीपका खदान के साथ ही कुसमुंडा खदान का भी विस्तार होना है। ऐसी स्थिति में जिन गांव की जमीन अधिकृत की जाएगी, उन गांव के रिकार्ड डिजिटल के रूप में रखे जाएंगे, ताकि नौकरी व मुआवजा देते वक्त किसी तरह की आपत्ति आने पर ग्रामीणों की समस्याओं का त्वरित निराकरण किया जा सके। सीएमडी- बोर्ड आनलाइन प्लेटफार्म है। इसके जरिेए एसईसीएल के मुख्यालय व परिचालन क्षेत्रों में विभिन्न कार्यो व प्रोजेक्ट की निगरानी की जा सकती है। इसके माध्यम से लंबित कार्यों का अवलोकन आसानी से किया जा सकता है। एसईसीएल ने कुसमुंडा के प्रभावित गांव खोडरी की भूमि अधिग्रहण का डिजिटल रिकार्ड तैयार कर लिया है। इस गांव 120 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है।इस जमीन से लगभग 500 लाख टन कोयले का उत्पादन होने का अनुमान है।210 खातेदार प्रभावित हो रहे। इसमें 113 को रोजगार की पात्रता दी जानी है। काश्तकारी जमीन का 16 लाख 28 हजार 877 रुपये प्रति एकड़ के दर से मुआवजा तैयार किया गया है। इस प्रणाली से आवश्यकता पडऩे पर एक क्लिक में किसी भी भू-विस्थापित या किसी भी गांव का ब्यौरा देखा जा सकेगा। इससे भू-विस्थापितों के पुनर्वास, रोजगरा व मुआवजा के कार्यों में अनावश्यक विलंब नहीं होगा।
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प्रक्रिया होगी सरल व पारदर्शी
भू-अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी व पारदर्शिता के लिए यह डिजिटल प्रणाली तैयार किया गया है। इससे एंड-टू-एंड वर्कफ्लो प्रबंधन को बढावा मिलेगा और भूमि मालिकों के दावों का तेजी से निपटान हो सकेगा। यह प्रणाली विशेष अभियान 4.0 के मुख्य उद्देश्यों को पूरा करेगी। साथ ही भू- अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाएगी। भूमि रिकार्ड को डिजिटल बनाने से प्रक्रियाओं में स्वचालिता आएगी। साथ ही महत्वपूर्ण भूमि संबंधी आंकड़ों की रीयल-टाइम में उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे कागजी कार्रवाई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।