दिल्ली-गोरखपुर का ‘अस्पताल कांड’, तड़प-तड़प कर मासूमों की हुई थी मौत; झांसी… – भारत संपर्क

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दिल्ली-गोरखपुर का ‘अस्पताल कांड’, तड़प-तड़प कर मासूमों की हुई थी मौत; झांसी… – भारत संपर्क

झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मौत
उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को अग्निकांड से पूरा देश सिहर उठा है. आग की चपेट में आने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई और 16 बच्चे अब भी इमरजेंसी वार्ड में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. इस अग्निकांड ने दिल्ली और गोरखपुर के उस भयानक मंजर की यादें ताजा कर दीं, जिसमें दर्जनों मासूमों की जिंदा जलकर मौत हो गई. आज भी घरवाले उस हादसे को याद कर सिहर जाते हैं.
दिल्ली के विवेक विहार इलाके में 25 मई 2024 को ‘बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल’ में भीषण आग लग गई. इस हादसे में सात नवजात बच्चों की मौत हो गई थी और पांच बच्चे झुलस गए थे. इस हादसे को याद कर दिल्ली की सीमा रोने लगती हैं. वह कहती हैं कि उन्होंने अस्पताल में दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल की लापरवाही के कारण दोनों बच्चे जिंदा जल गए और मौत हो गई.
हादसे में सीमा के दो बच्चों की हुई थी मौत
सीमा कहती हैं कि इस हादसे का जिम्मेदार सिर्फ एक व्यक्ति नहीं था. पूरे प्रशासन की गलती थी. झांसी में भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अस्पताल के मालिक को अरेस्ट कर लिया था, जोकि अभी जेल में है. इस हादसे को लेकर एक एक जांच बैठाई गई. अफसरों की जांच में सामने आया कि अस्पताल को अवैध रूप से बेड की संख्या बढ़ाकर चलाया जा रहा था. अस्पताल में इमरजेंसी निकास नहीं था. आग को बुझाने वाले अग्निशामक यंत्र भी काम नहीं कर रहे थे. कुछ ऐसा ही झांसी अस्पताल में हुआ. यहां भी फायर बटन और अग्निशामक यंत्र हादसे के वक्त काम नहीं कर रहे थे.
दिल्ली के इस अस्पताल में मधुराज का बच्चा भी भर्ती था. वह कहते हैं कि ईश्वर की कृपा रही कि इस हादसे में उनका बेटा बच गया. मधुराज कहते हैं कि जो भी अवैध रूप से अस्पताल संचालित हो रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज का वो ‘आक्सीजन कांड’
सात साल पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भी ऑक्सीजन की कथित कमी के चलते 50 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. ये घटना अगस्त 2017 में हुई थी. आरोप लगे कि ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाले फर्म ने आपूर्ति रोकी थी, वो इसलिए क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने 69 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया था. हालांकि, सरकार ने इससे साफ इनकार किया. बताया गया कि बच्चों की मौतें इंसेफेलाइटिस की वजह से हुई थी.

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